नई दिल्ली: अमेरिका ने भारत से आने वाले सामानों पर बुधवार से 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है। यह कदम रूस से हथियार और कच्चा तेल खरीदने को लेकर “दंडात्मक कर” के रूप में उठाया गया है। नए शुल्क लागू होने के बाद मौजूदा टैरिफ दोगुना हो गया है। इस फैसले से भारतीय निर्यातकों को गहरा झटका लगने की आशंका जताई जा रही है।
भारतीय निर्यातक संगठन (FIEO) ने चेतावनी दी है कि यह निर्णय भारत के निर्यात क्षेत्र पर गंभीर असर डालेगा। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 86.5 अरब डॉलर का सामान और सेवाएँ निर्यात किया था, जो किसी भी देश को सबसे अधिक है। इसमें से करीब दो-तिहाई हिस्से पर अब अतिरिक्त टैरिफ का असर पड़ेगा।
$48 अरब का निर्यात होगा प्रभावित
जानकारी के मुताबिक, लगभग 48 अरब डॉलर का निर्यात अब 35 प्रतिशत तक की कीमत की असमानता का सामना करेगा। इससे वियतनाम, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों को फायदा मिलेगा, क्योंकि उन पर अपेक्षाकृत कम शुल्क लागू है।
FIEO के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन ने बताया कि तमिलनाडु के तिरुपुर जैसे टेक्सटाइल हब में उत्पादन पहले ही ठप हो चुका है। इसी तरह झींगा (श्रिम्प) निर्यातक भी संकट में हैं, क्योंकि उनकी 40 प्रतिशत बिक्री अमेरिकी बाजार पर निर्भर करती है। चमड़ा, सिरेमिक और हस्तशिल्प उद्योग भी गंभीर नुकसान की चपेट में आ सकते हैं।
राहत पैकेज की मांग
रल्हन ने सरकार से अपील की है कि वह निर्यातकों को राहत देने के लिए कदम उठाए। इसमें कम से कम 12 महीने तक ऋण की किस्तों पर रोक और अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मांग शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को तेजी से अन्य देशों के साथ व्यापारिक समझौते करने चाहिए ताकि नए बाजार खोले जा सकें।
निर्यात में 43% गिरावट का अनुमान
इसी बीच ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने अपनी रिपोर्ट में चेताया है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारतीय निर्यात का मूल्य 43 प्रतिशत तक घटकर 50 अरब डॉलर से नीचे आ सकता है। इसके चलते भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 1 प्रतिशत तक की गिरावट आने की संभावना है।
यह अनुमान सरकार के पहले आकलन से कहीं अधिक है। 1 अगस्त को जब 25 प्रतिशत टैरिफ की पहली किश्त लागू हुई थी, तब सूत्रों ने कहा था कि जीडीपी पर असर 0.2 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगा। लेकिन अब दूसरी किश्त लागू होने के बाद स्थिति और गंभीर हो गई है।
किन सेक्टरों पर असर?
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के लगभग 30 प्रतिशत निर्यात पर शुल्क नहीं लगेगा, लेकिन बाकी 66 प्रतिशत हिस्से—जैसे टेक्सटाइल, जेम्स-ज्वेलरी, श्रिम्प और फर्नीचर—पर बड़ा असर होगा।
अमेरिका भारत के टेक्सटाइल निर्यात का सबसे बड़ा गंतव्य है, और पिछले पांच वर्षों में इस क्षेत्र में भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। इसी तरह, अमेरिका भारत के ज्वेलरी निर्यात का भी सबसे बड़ा बाजार है, जो सालाना 28.5 अरब डॉलर की खेप का करीब एक-तिहाई हिस्सा खरीदता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और निर्यात क्षेत्र की लचीलापन इस संकट को आंशिक रूप से संतुलित कर सकते हैं। अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में, ट्रंप प्रशासन के टैरिफ के बावजूद निर्यात में लगभग 2.3 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी संभव है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी असर
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक रिपोर्ट ने इशारा किया है कि यह टैरिफ कदम खुद अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, नए शुल्क से अमेरिका की जीडीपी पर 40-50 बेसिस प्वाइंट तक का दबाव पड़ सकता है और इनपुट लागत बढ़ने से महंगाई में इजाफा हो सकता है।
भारत का सख्त रुख
भारत ने साफ किया है कि वह अमेरिकी दबाव के आगे झुकेगा नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोहराया है कि भारतीय किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। अमेरिका लंबे समय से भारतीय डेयरी और कृषि क्षेत्र में बाजार पहुंच की मांग कर रहा है, जिसके चलते दोनों देशों के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौता अटका हुआ है।
हालांकि, फरवरी में दोनों देशों ने व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू की थी, जिसका लक्ष्य 2030 तक सालाना व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुँचाना है। लेकिन ताजा टैरिफ विवाद इस राह को और कठिन बना सकता है।
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