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26 लाशें, एक झूठा इकरार और अब अमेरिकी हथौड़ा! आखिर कौन है TRF जिसके तार जुड़े हैं पहलगाम में कत्लेआम से..?

| Updated: July 18, 2025 12:45

अमेरिका ने पहलगाम हमले के बाद द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को आतंकी संगठन घोषित किया; लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े इस संगठन पर भारत में कई हमलों में संलिप्तता का आरोप है।

अमेरिका ने पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को आधिकारिक रूप से विदेशी आतंकवादी संगठन (Foreign Terrorist Organization – FTO) और विशेष वैश्विक आतंकवादी (Specially Designated Global Terrorist – SDGT) के रूप में सूचीबद्ध किया है। यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के कुछ महीनों बाद उठाया गया है, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे।

गुरुवार को जारी एक आधिकारिक बयान में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा:

“आज, अमेरिकी विदेश विभाग ने द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन और विशेष वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया है।”

अमेरिकी अधिकारियों ने इस हमले को भारत में 2008 के मुंबई हमलों के बाद सबसे घातक आतंकी हमला बताया है। मुंबई हमलों को भी लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया था।

TRF, जिसे कश्मीर रेजिस्टेंस के नाम से भी जाना जाता है, ने पहले इस हमले की ज़िम्मेदारी ली थी, लेकिन कुछ दिनों बाद उसने अपना बयान वापस ले लिया और किसी भी प्रकार की संलिप्तता से इनकार किया।

लश्कर-ए-तैयबा एक इस्लामिक आतंकी संगठन है, जिसे अमेरिका पहले से ही “विदेशी आतंकी संगठन” के रूप में नामित कर चुका है। इस संगठन पर भारत समेत अन्य देशों में कई बड़े हमलों का आरोप है, जिनमें 2008 का मुंबई हमला प्रमुख है, जिसमें तीन दिनों तक चली हिंसा में 170 से अधिक लोग मारे गए थे।

रुबियो ने कहा कि अब TRF और इसके सभी उपनामों को इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट की धारा 219 और कार्यकारी आदेश 13224 के तहत लश्कर-ए-तैयबा के साथ आधिकारिक तौर पर जोड़ा गया है। यह संशोधित नामांकन फेडरल रजिस्टर में प्रकाशित होने के बाद प्रभावी होगा।

बयान में कहा गया:

“यह कार्रवाई अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुरक्षित रखने, आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले के लिए न्याय सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”

यह घोषणा उस समय आई जब एक भारतीय सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन की यात्रा पर था। इस दौरान अमेरिका ने आतंक के खिलाफ भारत की लड़ाई और द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी के प्रति अपना समर्थन दोहराया।

पहलगाम हमला और उसके बाद की स्थिति

22 अप्रैल को चार सशस्त्र आतंकवादियों ने पहलगाम के बैसरण घाटी में धावा बोला और धर्म की पुष्टि करने के बाद हिंदू पुरुषों पर गोलीबारी की। इस जघन्य हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया।

इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी लॉन्चपैड्स पर सटीक हवाई हमले किए गए। भारत के हमलों में रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस समेत पाकिस्तान की कई सैन्य संरचनाओं को भारी नुकसान पहुंचा।

इसके बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) और पंजाब व राजस्थान में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बार-बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया।

संघर्षविराम की घोषणा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर की। उन्होंने दावा किया कि यह वाशिंगटन की मध्यस्थता और व्यापार वार्ताओं को खत्म करने की धमकी के कारण संभव हुआ। हालांकि, भारत ने ट्रंप के दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से गलत है।

भारत ने दोहराया कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच किसी भी प्रकार के विवाद को बाहरी हस्तक्षेप के बिना द्विपक्षीय रूप से हल किया जाना चाहिए।

अंततः 10 मई को संघर्षविराम तब हुआ जब पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय समकक्ष से संपर्क कर गोलीबारी रोकने की अपील की। दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से संघर्षविराम को स्वीकार किया।

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