वाशिंगटन/केनोशा: अमेरिका में बैठे जालसाजों द्वारा बुजुर्गों को निशाना बनाने का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। केनोशा अभियोजकों ने शिकागो उपनगर में रहने वाले दो गुजरातियों के खिलाफ गंभीर आरोप तय किए हैं। इन पर नॉर्थ केनोशा की एक बुजुर्ग महिला से 6,53,000 डॉलर (करीब 5.5 करोड़ रुपये) से अधिक का सोना ठगने का आरोप है। जांचकर्ताओं का कहना है कि यह ठगी महज एक घटना नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे एक बड़े स्कैम का हिस्सा है।
क्या है पूरा मामला?
केनोशा काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी कार्यालय ने 20 नवंबर को जगदीशकुमार नंदानी और चिंतन ठक्कर के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप दाखिल किए। इन दोनों पर 1,00,000 डॉलर से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग और इतनी ही राशि की चल संपत्ति की चोरी का आरोप लगाया गया है।
जांच अधिकारियों के मुताबिक, इस ठगी की कहानी तब शुरू हुई जब पीड़ित बुजुर्ग महिला को एक व्यक्ति के लगातार फोन आने लगे। फोन करने वाले ने खुद को ‘फेडरल एजेंट’ (संघीय जांच अधिकारी) बताया। उसने झूठ बोलते हुए महिला को डराया कि उसके बैंक खाते हैक हो चुके हैं और उनका इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा है।
जालसाज ने महिला को विश्वास दिलाया कि अपनी जमा पूंजी बचाने का सबसे सुरक्षित तरीका उसे सोने (Gold) में बदलना है। मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, “यह एक कमजोर बुजुर्ग नागरिक को जाल में फंसाने की सोची-समझी साजिश थी।” उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के कॉल्स अक्सर विदेशों में बैठे प्रशिक्षित हैंडलर्स द्वारा किए जाते हैं।
घर बेचकर सोना खरीदने को किया मजबूर
फर्जी अधिकारी की बातों में आकर महिला ने 1 मार्च को अपने घर पर 3,32,750 डॉलर का सोना और 15 मार्च को 1,39,500 डॉलर का सोना हैंडओवर कर दिया। उसे लगा कि वह संघीय अधिकारियों की मदद कर रही है। डर इतना ज्यादा था कि महिला ने बाद में अपना घर भी बेच दिया और उससे मिली रकम को भी सोने में बदलकर ठगों के हवाले कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम में उसे कुल 6,53,000 डॉलर से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा।
भारत से मिल रहे थे निर्देश
कोर्ट रिकॉर्ड्स के अनुसार, इलिनोइस के एडिसन की पुलिस ने मार्च में ही नंदानी को हिरासत में ले लिया था। पूछताछ के दौरान उसने केनोशा से सोना पिकअप करने की बात कबूली। फोन लोकेशन डेटा से भी पुष्टि हुई कि जिस दिन सोना सौंपा गया, नंदानी पीड़ित महिला के घर के आसपास ही मौजूद था।
आपराधिक शिकायत में कहा गया है कि नंदानी ने चिंतन ठक्कर को अपना सक्रिय भागीदार बताया। जांच में यह भी सामने आया कि ये दोनों मैसेजिंग ऐप्स के जरिए भारत में बैठे लोगों के संपर्क में थे। संदेह है कि ‘राहुल’ नाम का एक व्यक्ति इन्हें निर्देश दे रहा था और पिकअप के रास्ते तय कर रहा था।
कमीशन पर काम कर रहे थे आरोपी
अधिकारियों ने बताया कि नंदानी हर पिकअप के लिए अपने पास 1,000 से 1,500 डॉलर रखता था और बाकी सोना शिकागो में अलग-अलग ड्रॉप-ऑफ पॉइंट्स पर पहुंचा देता था। एक जांचकर्ता ने खुलासा किया, “ठगी की कमाई का बड़ा हिस्सा अमेरिका से बाहर भेजा गया है,” जिससे यह साफ होता है कि ये दोनों गुजराती एक संगठित चेन का हिस्सा थे।
केनोशा पुलिस को इस मामले की जानकारी तब मिली जब एडिसन पुलिस ने नंदानी के फोन में पीड़ित महिला की जानकारी देखी। फिलहाल, दोनों आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए गए हैं, लेकिन वे अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
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