comScore अमेरिका में H-1B और ग्रीन कार्ड कार्यक्रम में बड़ा बदलाव, भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा असर - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

Vibes Of India
Vibes Of India

अमेरिका में H-1B और ग्रीन कार्ड कार्यक्रम में बड़ा बदलाव, भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा असर

| Updated: August 27, 2025 15:49

ट्रम्प प्रशासन H-1B और ग्रीन कार्ड वीज़ा सिस्टम में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है, जिससे लाखों भारतीय छात्रों और पेशेवरों का भविष्य प्रभावित हो सकता है।

ट्रम्प प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि अमेरिका के H-1B वीज़ा और ग्रीन कार्ड कार्यक्रम में व्यापक बदलाव किए जाने वाले हैं। इस कदम का असर वहां रह रहे लाखों विदेशी छात्रों और पेशेवरों पर पड़ सकता है।

अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटकनिक (Howard Lutnick) ने H-1B वीज़ा को एक “धोखा” करार देते हुए कहा कि इसे बदलने का समय आ चुका है। उन्होंने लिखा—

“H-1B वीज़ा सिस्टम अमेरिकी नौकरियों को विदेशी श्रमिकों से भर देता है। अब महान अमेरिकी कंपनियों का ध्यान अपने देश के लोगों को नौकरी देने पर होना चाहिए। यही सही समय है जब हमें अमेरिकियों को काम पर रखना चाहिए।”

‘ग्रीन कार्ड सिस्टम भी होगा प्रभावित’

लटकनिक ने Fox News से बातचीत में बताया कि वे इस बड़े बदलाव का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि औसत अमेरिकी और ग्रीन कार्ड धारकों के बीच वेतन असमानता इस सुधार की मुख्य वजह है।

उनके अनुसार— “H-1B कार्यक्रम बेहद खराब है, इसी कारण इसमें बदलाव किया जा रहा है। हम ग्रीन कार्ड सिस्टम को भी नया रूप देंगे। जहां औसत अमेरिकी सालाना 75,000 डॉलर कमाता है, वहीं ग्रीन कार्ड धारकों की औसत आमदनी 66,000 डॉलर है। यानी हम निचले स्तर के लोगों को ले रहे हैं। डोनाल्ड ट्रम्प इस व्यवस्था को बदलने जा रहे हैं। अब ‘गोल्ड कार्ड’ आएगा और हम सिर्फ बेहतरीन लोगों को चुनेंगे, जिन्हें अमेरिका आने का मौका मिलेगा।”

लॉटरी सिस्टम की जगह वेतन-आधारित प्रक्रिया

नए प्रस्तावों के तहत H-1B लॉटरी सिस्टम समाप्त कर वेतन-आधारित चयन प्रक्रिया लागू की जाएगी। इसमें उच्च आय वाले आवेदकों को प्राथमिकता मिलेगी। अमेरिकी प्रशासन ने इस बदलाव से जुड़ा ड्राफ्ट नियम पहले ही स्वीकृत कर दिया था।

भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा बड़ा असर

पिछले कई वर्षों से H-1B वीज़ा आवंटन में भारतीयों की हिस्सेदारी लगभग 70% रही है। ऐसे में इस बदलाव का सबसे बड़ा असर भारतीय छात्रों और कामगारों पर पड़ने की संभावना है।

ट्रम्प के कार्यकाल से लगातार सख्ती

जनवरी में डोनाल्ड ट्रम्प के पद संभालने के बाद से ही विदेशी छात्रों और कर्मचारियों के लिए नियम कड़े किए जा रहे हैं। इस साल की शुरुआत में सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज़ (CIS) ओम्बुड्समैन कार्यालय, जो प्रवासियों की तकनीकी समस्याओं को हल करता था, बंद कर दिया गया।

अब H-1B वीज़ा धारकों से बायोमेट्रिक जानकारी और घर के पते जैसी व्यक्तिगत डिटेल भी मांगी जा रही है, जो पहले आवश्यक नहीं थी।

‘ग्रीन कार्ड स्थायी अधिकार नहीं’

अमेरिकी उपराष्ट्रपति JD वेंस ने हाल ही में कहा था कि ग्रीन कार्ड किसी व्यक्ति को अमेरिका में स्थायी रूप से रहने का अधिकार नहीं देता। इस बयान ने ग्रीन कार्ड धारकों के भविष्य को लेकर और सवाल खड़े कर दिए हैं।

वहीं ट्रम्प प्रशासन का “गोल्ड कार्ड” कार्यक्रम ग्रीन कार्ड का संभावित विकल्प माना जा रहा है, जिसे दुनिया भर से चुनिंदा और सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए लाया जा रहा है।

यह भी पढ़ें- राहुल गांधी का आरोप: गुजरात से शुरू हुई वोट चोरी, 2014 के बाद राष्ट्रीय स्तर पर अपनाई गई रणनीति

Your email address will not be published. Required fields are marked *