अमेरिका में एक बार फिर सरकारी शटडाउन का संकट गहरा गया है, जिससे लाखों लोगों के जीवन पर असर पड़ना शुरू हो गया है। कई सरकारी विभागों के पास फंड खत्म होने के कारण काम रुक गया है, कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज दिया गया है या फिर बिना तनख्वाह के काम करने को कहा गया है।
इस शटडाउन की सबसे बड़ी मार उन हज़ारों भारतीय पेशेवरों पर पड़ने वाली है, जो H-1B वीज़ा और ग्रीन कार्ड के सहारे अमेरिका में अपने भविष्य का सपना देख रहे हैं।
अप्रवासन वकीलों के अनुसार, इस शटडाउन के कारण अमेरिकी श्रम विभाग (Department of Labour) को मिलने वाली फंडिंग पूरी तरह से रोक दी गई है। यह विभाग H-1B वीज़ा और ग्रीन कार्ड की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
किसी भी कंपनी को विदेशी पेशेवर के लिए H-1B वीज़ा प्रायोजित करने से पहले श्रम विभाग से एक लेबर कंडीशन एप्लीकेशन (LCA) को मंजूरी दिलानी होती है। इसी तरह, रोज़गार-आधारित ग्रीन कार्ड के लिए भी विभाग से PERM सर्टिफिकेशन लेना अनिवार्य है।
अब जब विभाग का कामकाज ही ठप हो गया है, तो ये सभी प्रक्रियाएं रुक गई हैं। मैनिफेस्ट लॉ के एक अप्रवासन वकील हेनरी लिंडपेरे ने बताया, “इसका मतलब यह है कि जिन लोगों के LCA आवेदन 1 अक्टूबर से पहले स्वीकृत नहीं हुए थे, वे अब आगे नहीं बढ़ पाएंगे। कोई भी नया H-1B वीज़ा जारी नहीं होगा, न ही कोई नौकरी बदल पाएगा और न ही अपने वीज़ा की स्थिति में बदलाव कर पाएगा। जब तक श्रम विभाग दोबारा काम शुरू नहीं करता, तब तक H-1B वीज़ा की प्रक्रिया लगभग बंद रहेगी।”
भारतीयों पर सबसे गहरा असर क्यों?
यह संकट भारतीय पेशेवरों के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि वे H-1B वीज़ा प्रणाली के सबसे बड़े लाभार्थी हैं। आंकड़ों के मुताबिक, इस वीज़ा का 71% से अधिक हिस्सा भारतीयों को मिलता है।
सिलिकॉन वैली की एक जानी-मानी अप्रवासन वकील सोफी अल्कोर्न का कहना है कि भारतीय समुदाय पर इसका सबसे तत्काल और बड़ा असर श्रम विभाग के बंद होने से ही पड़ेगा।
उन्होंने कहा, “जो आवेदन पहले से ही प्रक्रिया में हैं, उन पर शायद ज्यादा असर न पड़े, लेकिन नए आवेदक सबसे बुरी तरह प्रभावित होंगे।”
हालांकि, इस मुश्किल घड़ी में एक छोटी सी उम्मीद की किरण भी है। जिन लोगों के सर्टिफिकेशन श्रम विभाग से पहले ही मंजूर हो चुके हैं, उनके मामलों पर अमेरिकी नागरिकता और आप्रवासन सेवा (USCIS) काम करना जारी रख सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि USCIS का खर्च सरकारी फंडिंग से नहीं, बल्कि वीज़ा फीस से चलता है।
यह गतिरोध ऐसे समय में आया है जब ट्रंप प्रशासन पहले से ही H-1B वीज़ा प्रणाली में बड़े बदलावों की योजना बना रहा है, जिससे भारतीयों की चिंताएं बढ़ी हुई हैं।
सरकार ने पहले ही नए आवेदकों के लिए H-1B वीज़ा शुल्क में $100,000 की भारी बढ़ोतरी की घोषणा की थी और मौजूदा लॉटरी सिस्टम को बदलकर अधिक वेतन वाले श्रमिकों को प्राथमिकता देने की बात कही थी।
कब खत्म होगा यह शटडाउन?
अमेरिकी सरकार का यह शटडाउन 1 अक्टूबर को स्थानीय समयानुसार रात 12:01 बजे से शुरू हुआ है और यह कब खत्म होगा, इसकी कोई निश्चित तारीख नहीं है। इससे पहले भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में 2018-19 में शटडाउन हुआ था, जो 35 दिनों तक चला था।
22 दिसंबर 2018 से शुरू होकर 25 जनवरी 2019 तक चलने वाला वह शटडाउन पिछले चार दशकों में अमेरिका का सबसे लंबा सरकारी शटडाउन था। इस दौरान बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की आशंका भी जताई जा रही है।
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