वलसाड, गुजरात: तकनीकी युग में साइबर अपराधी नए-नए तरीकों से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। गुजरात के वलसाड में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक 60 वर्षीय सेवानिवृत्त (रिटायर्ड) बुजुर्ग ने एक फर्जी ट्रेडिंग ऐप के चक्कर में अपनी जीवन भर की जमा-पूंजी, यानी 2.52 करोड़ रुपये गंवा दिए।
अप्रैल 2024 में शुरू हुए इस खेल में ठगों ने बुजुर्ग को 33 करोड़ रुपये के फर्जी मुनाफे का सपना दिखाया था। लेकिन जब पैसे निकालने की बारी आई, तो लाखों की फीस मांग ली गई और बुजुर्ग को ठगी का एहसास हुआ।
यूट्यूब वीडियो से शुरू हुई धोखे की कहानी
इस पूरी घटना की शुरुआत बेहद सामान्य तरीके से हुई। अप्रैल 2024 में, बुजुर्ग ने यूट्यूब पर एक वीडियो देखा, जिसके नीचे दिए गए लिंक में शेयर बाजार की जानकारी देने का वादा किया गया था। भविष्य की सुरक्षा के लिए निवेश की सोच रहे बुजुर्ग ने जैसे ही उस लिंक पर क्लिक किया, उनका नंबर साइबर ठगों तक पहुंच गया।
कुछ ही पलों में उन्हें एक अनजान वॉट्सऐप नंबर से मैसेज आया: “क्या आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं? आप किस तरह के स्टॉक पसंद करेंगे?”
जैसे ही बुजुर्ग ने रुचि दिखाई, उन्हें एक प्राइवेट वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़ दिया गया। इस ग्रुप में कथित ‘एक्सपर्ट्स’ निवेश के हॉट टिप्स दे रहे थे। पीड़ित का भरोसा जीतने के लिए ठगों ने शुरुआत में उन्हें थोड़ा मुनाफा भी कमा कर दिया।
फर्जी ऐप और लालच का चक्रव्यूह
भरोसा कायम होने के बाद, नितिन शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने बुजुर्ग से व्यक्तिगत संपर्क किया और कहा, “आप और निवेश करें, मैं आपका पोर्टफोलियो बड़ा बना दूंगा।”
ठगों के निर्देश पर पीड़ित ने ‘UK-IND Fast Trading’ नामक एक ऐप डाउनलोड किया। यह ऐप देखने में बिल्कुल असली ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जैसा लगता था। इसके बाद, ‘यशवी कंपनी’ के तेजस कुमार जैन नामक व्यक्ति ने उन्हें पैसे जमा करने के लिए गाइड किया।
शुरुआत 5 लाख रुपये से हुई। इसके बाद लालच और दबाव में आकर बुजुर्ग ने राशि को बढ़ाकर 10 लाख और मई 2024 तक 20 लाख रुपये कर दिया। धीरे-धीरे करके उन्होंने कुल 2.52 करोड़ रुपये इस ऐप में लगा दिए। ऐप के डैशबोर्ड पर उनका मुनाफा 33 करोड़ रुपये दिख रहा था, जिससे उन्हें लगा कि उनका रिटायरमेंट अब सुरक्षित है।
पैसे निकालने की कोशिश और सच्चाई का खुलासा
धोखाधड़ी का पता तब चला जब बुजुर्ग ने अपनी ‘कमाई’ निकालने की कोशिश की। ठगों ने निकासी के लिए उनसे 66 लाख रुपये की भारी-भरकम ‘ब्रोकरेज फीस’ की मांग की। जब पीड़ित ने इसका विरोध किया और ग्राहक सेवा (कस्टमर केयर) से संपर्क करने की कोशिश की, तो कोई जवाब नहीं मिला। सारे नंबर बंद हो चुके थे।
ठगे जाने का एहसास होने पर पीड़ित ने तुरंत अपने परिवार को सूचित किया। वलसाड साइबर क्राइम ब्रांच और गांधीनगर सीआईडी (CID) साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई है।
पीड़ित ने अपनी शिकायत में नितिन शर्मा, यशवी जैन, निकिता जायसवाल और तेजस कुमार जैन का नाम संदिग्धों के रूप में लिया है। इन लोगों ने खुद को ‘यशवी कंपनी’ का बताते हुए सेबी (SEBI) से रजिस्टर्ड होने का झूठा दावा किया था।
दिसंबर 2025 तक, पुलिस की जांच जारी है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी की खबर नहीं है। गुजरात में बुजुर्गों को निशाना बनाने वाले ऐसे मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।
विशेषज्ञों की राय: अपनी सुरक्षा अपने हाथ
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी अनजान लिंक या वॉट्सऐप ग्रुप पर आंख मूंदकर भरोसा न करें।
- सत्यापन करें: निवेश करने से पहले ऐप या कंपनी की जांच सेबी (SEBI) या आरबीआई (RBI) की आधिकारिक वेबसाइट पर जरूर करें।
- लालच से बचें: कोई भी वैध ब्रोकर रातों-रात अमीर बनाने का वादा नहीं करता और न ही पैसे निकालने के लिए पहले फीस मांगता है।
- शिकायत दर्ज करें: यदि आपके साथ ऐसा कोई धोखा होता है, तो तुरंत 1930 हेल्पलाइन पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।
यह घटना एक सबक है कि कैसे डिजिटल दुनिया में थोड़ी सी असावधानी जीवन भर की कमाई को खतरे में डाल सकती है।
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