पानीपत के 23 वर्षीय नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में पुरुषों की भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता और पहले भारतीय ट्रैक और फील्ड एथलीट बने। एक साक्षात्कार में उन्होंने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि वह अत्यंत खुश और थके हुए थे और वो अपने तकिए के पास पदक लेकर सोए थे और जिससे उन्हें अच्छी नींद आई। इस जीत ने न केवल भारत का गौरव जीता है, बल्कि इसने उनकी जीतने के संघर्ष की यात्रा को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
नीरज चोपड़ा की पदोन्नति की संभावना
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सूबेदार चोपड़ा को मई 2016 में चार राजपुराता राइफल्स में डायरेक्ट-एंट्री नायब सूबेदार (जूनियर कमीशन ऑफिसर) के रूप में नामांकित किया गया था और निश्चित रूप से मौजूदा नियमों के अनुसार उन्हें पदोन्नति मिलेगी। अगले कुछ दिनों में इस बात का अंतिम फैसला लिया जाएगा।
नीरज चोपड़ा की टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों पर सरकार की भूमिका
भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा साझा किए गए एक दस्तावेज़ के अनुसार, सरकार ने नीरज पर उनके प्रशिक्षण और विदेशों में प्रतियोगिताओं के लिए 4.85 करोड़ रुपये खर्च किए। उन्होंने वर्तमान ओलंपिक चक्र में 26 प्रतियोगिताओं में भाग लिया और दक्षिण अफ्रीका, पोलैंड, तुर्की, फिनलैंड, चेक गणराज्य और स्वीडन में प्रशिक्षण शिविर भी लिए। दस्तावेज के अनुसार, नीरज के लिए 4,35,000 रुपये की लागत से चार भाले खरीदे गए । नीरज ने टोक्यो के लिए उड़ान भरने से पहले यूरोपीय टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा करने के लिए स्वीडन में 50 दिनों के लिए ओलंपिक तैयारी शिविर की स्थापना की गई थी जिसमे, नीरज पर 19.22 लाख खर्च किए गए।