केंद्र सरकार सोमवार को संसद के चल रहे मानसून सत्र में बिजली संशोधन बिल या ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) बिल, 2022 को पेश करेगी। बिल का उद्देश्य बिजली वितरण क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश को सुनिश्चित करना है। साथ ही ग्राहकों को दूरसंचार सेवाओं की तरह बिजली के लिए भी कंपनी चुनने की सुविधा देगा।
बिल में विद्युत अधिनियम की धारा 62 में संशोधन करने का भी प्रयास किया गया है, ताकि एक वर्ष में टैरिफ में ग्रेडेड संशोधन के संबंध में प्रावधान किया जा सके और उचित (विद्युत नियामक) आयोग द्वारा अधिकतम सीमा के साथ-साथ न्यूनतम दर को अनिवार्य रूप से निर्धारित किया जा सके।
यह प्रस्ताव करता है कि एक बिजली कंपनी अन्य बिजली वितरण लाइसेंसधारक के नेटवर्क का उपयोग कर सकता है। बिल भुगतान सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने और नियामकों (रेग्युलेटर) को अधिक अधिकार देने का भी प्रयास करता है।
बिजली इंजीनियर और कर्मचारी क्यों कर रहे हैं विरोध?
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बिजली (संशोधन) बिल 2022 को सभी हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के लिए ऊर्जा पर बनी संसद की स्थायी समिति (PAC) को भेजने की अपील की है। एआईपीईएफ के प्रवक्ता वीके गुप्ता ने कहा, “8 अगस्त को संसद में बिल पेश किए जाने पर विरोध के तौर पर देश भर के पावर इंजीनियर और कर्मचारी तुरंत काम बंद कर देंगे।”
एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कि बिल में बिजली उपभोक्ताओं को कई सेवा प्रदाताओं का विकल्प प्रदान करने का दावा ‘भ्रामक’ है और सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों का घाटा और बढ़ जाएगा।
उन्होंने कहा, “बिल के अनुसार केवल सरकारी डिस्कॉम यानी बिजली कंपनियों के पास सार्वभौमिक बिजली आपूर्ति दायित्व होगा। इसलिए निजी लाइसेंसधारी केवल लाभ कमाने वाले क्षेत्रों यानी औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं में बिजली की आपूर्ति करना पसंद करेंगे। इस प्रकार लाभ कमाने वाले क्षेत्र सरकारी डिस्कॉम से छीन लिए जाएंगे। इसके बाद सरकारी डिस्कॉम डिफॉल्ट रूप से घाटे में चल रही कंपनियां बन जाएंगी और आने वाले दिनों में निर्मातों से बिजली खरीदने के लिए उनके पास पैसे भी नहीं होंगे।”
एसकेएम ने चेताया
किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने संसद के मानसून सत्र में बिजली (संशोधन) बिल पेश करने और पारित करने के खिलाफ केंद्र को चेतावनी दी है। एसकेएम ने एक बयान में कहा, “इस बिल को वापस लेना किसानों के साल भर के संघर्ष की मुख्य मांगों में से एक थी।” एसकेएम ने बिजली (संशोधन) बिल को पेश और पारित किए जाने पर तत्काल बड़े पैमाने पर राष्ट्रव्यापी विरोध का आह्वान किया है।