यमन में हत्या के मामले में केरल की नर्स निमिषा प्रिया की कल होने वाली फांसी को रोकने के लिए कूटनीतिक और धार्मिक स्तर पर कोशिशें तेज हो गई हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, भारत के ग्रैंड मुफ्ती और प्रमुख सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरु कंथापुरम ए. पी. अबूबकर मुसल्यार ने पीड़ित यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के परिवार से ‘ब्लड मनी’ (दिया) लेकर माफी देने की अपील के लिए मध्यस्थता शुरू की है।
94 वर्षीय कंथापुरम, जिन्हें औपचारिक रूप से शेख अबूबक्र अहमद के नाम से जाना जाता है, ने यमन के धार्मिक नेताओं से बातचीत की। इसके बाद, आज धामार शहर में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है, जिसका नेतृत्व मशहूर सूफी धर्मगुरु शेख हबीब उमर बिन हफिज करेंगे। इस बैठक में हफिज के प्रतिनिधि महदी के परिवार से बातचीत करेंगे।
कंथापुरम के कार्यालय के अनुसार, पीड़ित का एक करीबी रिश्तेदार—जो होदीदा राज्य की अदालत के मुख्य न्यायाधीश और यमनी शूरा काउंसिल के सदस्य भी हैं—इन वार्ताओं में हिस्सा लेने के लिए धामार पहुंच गए हैं। उन्हें भी शेख हबीब उमर ने सलाह दी थी कि वे इसमें भाग लें।
कंथापुरम के कार्यालय के बयान के मुताबिक:
“यह तथ्य कि वह शेख हबीब उमर के सूफी तरीक़े के अनुयायी हैं और एक अन्य प्रमुख सूफी नेता के पुत्र हैं, हमारे लिए बड़ी उम्मीद जगाता है। वह परिवार को मनाने के साथ-साथ अटॉर्नी जनरल से भी मुलाकात कर सकते हैं, ताकि कल होने वाली फांसी को टालने के लिए आपात प्रयास किए जा सकें।”
बयान में यह भी कहा गया कि पीड़ित परिवार द्वारा हबीब उमर के प्रतिनिधियों से बात करने पर सहमति देना “हमारे प्रयासों के लिए एक सकारात्मक संकेत” के तौर पर देखा जा रहा है।
पीटीआई के मुताबिक, महदी की हत्या सिर्फ उनके परिवार के लिए नहीं बल्कि धामार क्षेत्र की जनजातियों और निवासियों के बीच भी एक अत्यंत भावनात्मक मुद्दा है। कंथापुरम के कार्यालय ने बताया कि इस वजह से पहले पीड़ित परिवार से संपर्क स्थापित करना संभव नहीं था। “केवल कंथापुरम के हस्तक्षेप से ही परिवार से पहली बार बातचीत संभव हो सकी,” बयान में कहा गया।
आज की बैठक का उद्देश्य ब्लड मनी स्वीकार करने पर अंतिम निर्णय तक पहुंचना है।
इस बीच, भारत सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि निमिषा प्रिया की रिहाई या उनकी फांसी रोकने के लिए उसके पास “ज्यादा कुछ करने के विकल्प” नहीं हैं। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को बताया कि सरकार “निजी स्तर” पर पूरी कोशिश कर रही है और यमन के कुछ शेखों तथा प्रभावशाली लोगों से संपर्क किया है।
केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा प्रिया को 2020 में यमन की एक स्थानीय अदालत ने हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। उनके परिवार की यमन की सुप्रीम कोर्ट में अपील 2023 में खारिज हो गई थी। इसी साल जनवरी में हौथी विद्रोहियों की सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के अध्यक्ष महदी अल-मशात ने उनकी फांसी की मंजूरी दे दी। वह फिलहाल यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं।
यमन के शरिया कानून के तहत, निमिषा प्रिया को सिर्फ तभी माफी मिल सकती है जब पीड़ित का परिवार ‘ब्लड मनी’ या ‘दिया’ के रूप में 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8 करोड़ रुपये) की पेशकश स्वीकार कर ले, जो उनकी वार्ता टीम ने प्रस्तावित की है।










