गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पिछले तीन दशकों से सत्ता में है। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 26 में से 25 सीटें जीतीं।
गुजरात को भाजपा का ‘मॉडल राज्य’ कहा जाता है। यहां केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय – तीनों स्तरों पर भाजपा की सरकार है। इसके बावजूद सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLAD) के तहत विकास कार्यों के क्रियान्वयन में राज्य की स्थिति बेहद खराब है।
महती अधिकार गुजरात पहल द्वारा किए गए विश्लेषण में सामने आया है कि सांसदों ने अपने आवंटित फंड का 95.8 प्रतिशत खर्च ही नहीं किया। पूरे साल में केवल 4.2 प्रतिशत फंड का उपयोग हुआ है।
18वीं लोकसभा का गठन जून 2024 में हुआ था।
महती अधिकार गुजरात पहल ने www.mplads.sbi पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर केवल तथ्यात्मक विश्लेषण किया है। इन आंकड़ों से साफ जाहिर है कि विकास कार्यों का क्रियान्वयन बेहद कमजोर है।
एमपीएलएडी योजना के तहत प्रत्येक सांसद को अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए प्रति वर्ष 5 करोड़ रुपये आवंटित होते हैं। MPLAD 2023 की गाइडलाइंस के अनुसार इसमें जनस्वास्थ्य, शिक्षा, सार्वजनिक और सामुदायिक भवनों का निर्माण, पेयजल और स्वच्छता, सिंचाई, नाला निर्माण, बाढ़ नियंत्रण, पशुपालन, मत्स्य पालन, कृषि और किसान कल्याण, ऊर्जा आपूर्ति तथा सड़क, पुल, रेलवे आदि से जुड़े कार्य कराए जा सकते हैं।
5 जुलाई 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, गुजरात के 26 लोकसभा सांसदों (25 भाजपा और 1 कांग्रेस) को कुल 254.8 करोड़ रुपये का बजट मिला था। लेकिन इसमें से केवल 10.72 करोड़ रुपये यानी महज 4.2 प्रतिशत ही खर्च हुए।
कहां कितना खर्च हुआ?
- भरूच लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 1.73 करोड़ रुपये खर्च हुए।
- इसके बाद पाटण में 1.56 करोड़ रुपये और
- साबरकांठा में 1.08 करोड़ रुपये खर्च हुए।
भरूच से भाजपा के वरिष्ठ नेता मनसुख वसावा सांसद हैं, जबकि साबरकांठा से कांग्रेस की गेनिबेन ठाकोर सांसद हैं।
दूसरी ओर, अहमदाबाद ईस्ट, अहमदाबाद वेस्ट, बनासकांठा, छोटा उदेपुर, गांधीनगर और नवसारी लोकसभा क्षेत्रों में अभी तक एमपीएलएडी फंड से एक भी रुपया खर्च नहीं हुआ।
सिफारिशें तो बहुत, लेकिन काम पूरा नहीं
सांसदों द्वारा सुझाए गए कार्यों की बात करें तो:
- नवसारी से सबसे अधिक 297 कार्यों की सिफारिश की गई है।
- इसके बाद मेहसाणा में 271 और
- खेड़ा में 265 कार्यों की सिफारिश की गई है।
नवसारी के सांसद भाजपा के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटील हैं।
गाइडलाइंस के मुताबिक, सांसद द्वारा सुझाए गए कार्यों को 45 दिनों में स्वीकृति दी जानी चाहिए। लेकिन आंकड़ों की जांच में सामने आया कि 3823 सुझाए गए कार्यों में से केवल 93 कार्य ही पूरे हुए हैं।
महती अधिकार गुजरात पहल की पंक्ति जोग ने Vibes of India से बातचीत में बताया कि अहमदाबाद ईस्ट, अहमदाबाद वेस्ट, बनासकांठा, छोटा उदेपुर, दाहोद, गांधीनगर, जामनगर, जूनागढ़, खेड़ा, कच्छ, नवसारी, पंचमहल, सुरेंद्रनगर और वलसाड में एक भी काम पूरा नहीं हुआ है।
इस तरह 26 में से 14 लोकसभा क्षेत्रों में पूरे साल में कोई भी विकास कार्य पूरा नहीं हुआ। 4–5 लोकसभा क्षेत्रों में तो खर्च ही शून्य रहा।
पहले साल के 254.8 करोड़ रुपये के कुल बजट में से केवल 129 करोड़ रुपये के कार्यों की सिफारिश की गई।
पंक्ति जोग ने यह भी कहा कि सांसद और जिला योजना बोर्ड के बीच कोई समन्वय नहीं दिखता। सामान्यतः सांसद अपने क्षेत्र के विकास कार्यों की सिफारिश जिला योजना बोर्ड को भेजते हैं और वहां से यह जिला पंचायत, नगर निगम या अन्य एजेंसियों को क्रियान्वयन के लिए जाता है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जिलों में बनी समन्वय समितियां आखिर करती क्या हैं? ये समितियां पिछले डेढ़ दशक से काम कर रही हैं, जिनमें कलेक्टर, जिला विकास अधिकारी, सांसद और अन्य संबंधित अधिकारी होते हैं।
कुछ विकास कार्यों की सिफारिश सितंबर 2024 में ही कर दी गई थी, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ।
पंक्ति जोग ने बताया कि जो फंड खर्च नहीं होता, वह अगले साल के लिए आगे बढ़ जाता है। लेकिन पांच साल के कार्यकाल के अंत तक अगर पैसा खर्च नहीं हुआ तो वह लैप्स हो जाता है। हालांकि नियम में यह भी प्रावधान है कि जरूरत पड़ने पर लैप्स हुए फंड का कुछ हिस्सा सांसदों को फिर दिया जा सकता है।
उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि मौजूदा हालात में क्या सांसद अपने आवंटित फंड को सही से खर्च भी कर पाएंगे?
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