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गुजरात में ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम: महिला डॉक्टर ने गंवाए जीवनभर की कमाई, 19 करोड़ की ठगी

| Updated: July 29, 2025 14:14

गुजरात की महिला डॉक्टर से साइबर ठगों ने 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर ₹19 करोड़ ठग लिए; डर और मानसिक दबाव बनाकर 3 महीनों तक करते रहे धोखाधड़ी

गांधीनगर। गुजरात में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक महिला डॉक्टर को साइबर ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जाल में फंसाकर उनकी जीवनभर की जमा पूंजी — करीब ₹19 करोड़ — हड़प ली। यह देश में अब तक के सबसे बड़े “डिजिटल अरेस्ट” फ्रॉड मामलों में से एक माना जा रहा है।

ऐसे शुरू हुआ ठगी का खेल

इस घटना की शुरुआत 15 मार्च को एक फोन कॉल से हुई, जिसमें कॉलर ने खुद को सरकारी अधिकारी बताते हुए कहा कि डॉक्टर के मोबाइल में आपत्तिजनक कंटेंट पाया गया है। धमकी दी गई कि उनका मोबाइल नंबर बंद कर दिया जाएगा और उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया जाएगा।

इसके बाद कई हफ्तों तक डॉक्टर को लगातार फोन आते रहे। कभी कॉलर खुद को सब-इंस्पेक्टर बताता, तो कभी पब्लिक प्रॉसिक्यूटर। हर कॉल में डर का माहौल बनाया गया और मानसिक दबाव बढ़ाया गया। धीरे-धीरे डॉक्टर को इस हद तक डराया गया कि वे ठगों के निर्देशों पर हर गतिविधि साझा करने लगीं — यहां तक कि बाहर निकलते समय वीडियो कॉल के जरिए अपनी लोकेशन भी बताने लगीं।

तीन महीनों में 35 खातों में ट्रांसफर हुए ₹19 करोड़

लगातार मानसिक उत्पीड़न और धमकियों के बीच, डॉक्टर ने तीन महीनों में कुल ₹19 करोड़ की रकम — जो उनकी जीवनभर की कमाई और संपत्ति थी — देशभर के 35 अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी। ठगों ने डॉक्टर के सोने के आभूषणों पर लोन भी दिलवाया और उस रकम को भी हड़प लिया।

ठगी का खुलासा और जांच शुरू

एक दिन अचानक सभी कॉल्स बंद हो गए। जब डॉक्टर ने अपने परिवार को पूरे मामले की जानकारी दी, तब जाकर ठगी की असलियत सामने आई। इसके बाद 16 जुलाई को साइबर सेल, CID क्राइम ब्रांच, गुजरात में शिकायत दर्ज की गई और जांच शुरू हुई।

एक आरोपी गिरफ्तार, ₹1 करोड़ की राशि जब्त

जांच के दौरान सुराग मिलने पर सूरत से एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया। उसके बैंक खाते में ठगी की गई राशि में से ₹1 करोड़ बरामद हुए हैं। आरोपी से पूछताछ जारी है, जबकि पुलिस पूरे नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ने में लगी है।

मास्टरमाइंड्स की तलाश, रिकवरी बनी चुनौती

साइबर क्राइम टीम डिजिटल ट्रेल के माध्यम से इस रैकेट के मास्टरमाइंड्स तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। हालांकि ₹19 करोड़ की रकम कई खातों में बंटी हुई है, इसलिए पैसे की रिकवरी अब एक जटिल चुनौती बन गई है। पुलिस और जांच एजेंसियां इस संगठित अपराध में शामिल सभी लोगों की पहचान कर उन्हें कानून के दायरे में लाने में जुटी हैं।

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