नई दिल्ली: सरकार के एक आधिकारिक सूत्र ने बुधवार को बताया कि लगभग 45 करोड़ लोग हर साल ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग में करीब 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाते हैं, इसके बावजूद गेमिंग कंपनियों ने इस पर प्रतिबंध लगाने का विरोध किया है।
जानकारों ने कहा कि सरकार ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग को समाज के लिए बड़ी समस्या मानती है और राजस्व की तुलना में लोगों की भलाई को प्राथमिकता दी है। लगभग 45 करोड़ लोग हर साल पैसा गंवाते हैं। कुल अनुमानित नुकसान करीब 20,000 करोड़ रुपये है. हालांकि अब संसद में ‘ऑनलाइन गेमिंग का प्रचार और विनियमन बिल 2025’ पेश किया गया है।
लोकसभा से पास हुए इस बिल का उद्देश्य eSports और ऑनलाइन सोशल गेमिंग को बढ़ावा देना है और पैसे वाले गेमिंग को पूरी तरह प्रतिबंधित करना है।
मामले के जानकारों कहा, “पैसे वाले ऑनलाइन गेमिंग ने समाज में गंभीर समस्या पैदा कर दी है। हर सांसद ने इसके दुष्प्रभावों को लेकर चिंता जताई है। उद्योग के एक हिस्से से मिलने वाले राजस्व और समाज के कल्याण के बीच, सरकार ने समाज की भलाई को चुना है।”
बिल के तहत राज्य सरकारें पैसे वाले गेमिंग से जुड़ी संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करेंगी। कोई भी व्यक्ति जो ऑनलाइन पैसे वाले गेमिंग सेवा का उल्लंघन करता है, उसे तीन साल तक की जेल, 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है। नियमों का उल्लंघन करके विज्ञापन देने पर दो साल तक की जेल, 50 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों लग सकते हैं।
बताया जा रहा है कि कई ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म खुद को “कौशल आधारित गेम” बताकर जुआ और सट्टेबाजी से अलग दिखाते हैं।
खिलाड़ी बिल के अनुसार पीड़ित माने जाएंगे और उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। कार्रवाई उन लोगों पर होगी जो प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करते हैं, लेन-देन की सुविधा देते हैं।
दूसरी ओर, यह बिल eSports और ऑनलाइन सोशल गेम्स को बढ़ावा देने का भी प्रयास करता है, जो रचनात्मक अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं। यह भी बताया गया कि, ये उद्योग का दो-तिहाई हिस्सा हैं। बिल में इनके लिए बजट, योजनाएं और प्राधिकरण का प्रावधान है। इससे ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
सरकार पिछले ढाई से तीन साल से अधिक समय से रियल-मनी गेमिंग पर नियंत्रण के प्रयास कर रही है, लेकिन प्लेटफ़ॉर्म और खिलाड़ी अक्सर इसे बायपास कर लेते थे।
अब चल रहे Games को GST के माध्यम से रोकने के प्रयास असफल रहा है, और नियामक निकाय का प्रस्ताव हितों के टकराव के कारण प्रभावित हुआ। बिल के प्रावधान जनता और उनके प्रतिनिधियों की शिकायतों के बाद तैयार किए गए हैं।











