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49 की उम्र में 28 वाली फुर्ती, मिलिए डॉ. सुषमा पचौरी से जिनकी 43 किलो वजन घटाने की कहानी आपको चौंका देगा

| Updated: October 9, 2025 14:32

"लोग क्या कहेंगे?" के डर से गोल्ड मेडल तक का सफर

8 अक्टूबर को जब डॉ. सुषमा पचौरी ने अपना 49वाँ जन्मदिन मनाया, तो उनकी एक सोशल मीडिया पोस्ट ने हजारों लोगों को प्रेरित कर दिया। उन्होंने लिखा, “मैंने अपनी जिंदगी के 48 साल पूरे कर लिए हैं और 28 साल की ऊर्जा के साथ 49वें साल में कदम रख रही हूँ। आप सभी के प्यार और सम्मान के लिए दिल से धन्यवाद।”

यह सिर्फ एक जन्मदिन का संदेश नहीं था, बल्कि हिम्मत, सपनों और खुद को फिर से पाने की एक असाधारण कहानी की झलक थी।

डॉ. सुषमा की परवरिश एक ऐसे पारंपरिक परिवार में हुई जहाँ महिलाओं के लिए पहनावे से लेकर व्यवहार तक के सख्त नियम थे। इन बंधनों के बावजूद, उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया, परीक्षाओं में टॉप किया और मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर बनकर निकलीं।

लेकिन शादी के बाद उनकी जिंदगी ने एक दर्दनाक मोड़ लिया। उन्हें बार-बार गर्भपात का सामना करना पड़ा और लंबे समय तक चले इलाज के बाद आखिरकार उन्होंने अपने बेटे वैभव को जन्म दिया। इस दौरान चली दवाओं और हॉर्मोनल बदलावों का उनके शरीर पर गहरा असर पड़ा। उनका वजन तेजी से बढ़ा, त्वचा का रंग गहरा हो गया और वह खुद को आईने में पहचान नहीं पाती थीं। लोग भी कानाफूसी करने लगे थे कि “वह पहले जैसी नहीं रहीं।”

सुषमा ने अपने इंस्टाग्राम पर उन दिनों को याद करते हुए लिखा, “जब मैंने खुद को आईने में देखा, तो मुझे पता था कि कुछ बदलना होगा।”

बस यही वह पल था जब उन्होंने अपनी जिंदगी की बागडोर वापस अपने हाथों में लेने का फैसला किया। उन्होंने जिम जाना शुरू किया और अपनी फिटनेस पर काम करने लगीं। केवल दो साल की मेहनत के बाद, उन्हें फिर से ‘जिंदा’ होने का एहसास हुआ।

साल 2016 में उन्होंने महज़ मनोरंजन के लिए एक फिटनेस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और वहीं उन्हें अपने असली जुनून का पता चला। 2017 तक, वह FITTR के साथ एक सर्टिफाइड कोच बन चुकी थीं। इसके बाद जब उन्होंने अपने परिवार के सामने बिकिनी एथलीट बनने का सपना ज़ाहिर किया, तो सब हैरान रह गए।

परिवार की पहली प्रतिक्रिया थी, “तुम ऐसा नहीं कर सकतीं, लोग क्या कहेंगे?” लेकिन सुषमा ने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उनके पति ने उनके सपने को समझा और उनका सबसे बड़ा सहारा बने। वह उनके साथ मुंबई गए, तैयारी में मदद की और जब सुषमा ने अपना पहला गोल्ड मेडल जीता, तो सबसे ज्यादा खुश वही थे।

एक समय था जब डॉ. सुषमा का वजन 93 किलो तक पहुँच गया था। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने 43 किलो वजन कम किया और आज उनका वजन 50 किलो है।

सुषमा मानती हैं कि आज भी लोग उनके पीछे बातें करते हैं, लेकिन अब उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने बताया, “मैं वह कर रही हूँ जिससे मुझे खुशी मिलती है और मेरे परिवार को मुझ पर गर्व है।” अब तो उनकी माँ भी गर्व से कहती हैं, “देखो, मेरी बेटी एक चैंपियन है।”

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