बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख और उनके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी एनकाउंटर मामले में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया है कि वह 2018 के विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील नहीं करेगी, जिसमें सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया गया था। सीबीआई ने स्पष्ट किया कि उसने इस फैसले को स्वीकार कर लिया है।
यह जानकारी बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान दी गई। दरअसल, सोहराबुद्दीन के भाइयों, रुबाबुद्दीन और नयाबुद्दीन शेख, ने दिसंबर 2018 में आए इस फैसले को अप्रैल 2019 में चुनौती दी थी।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अनखड़ की बेंच ने शेख के भाइयों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने बेंच को बताया, “हमने (सीबीआई) बरी करने के फैसले को स्वीकार कर लिया है।” उन्होंने साफ किया कि एजेंसी इस फैसले के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं करेगी।
आपको बता दें कि यह मामला 2005 का है, जब गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख को गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद के पास एक कथित मुठभेड़ में मार गिराया था। उसकी पत्नी कौसर बी की भी कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी। इसके एक साल बाद, दिसंबर 2006 में, इस मामले के मुख्य गवाह माने जा रहे तुलसीराम प्रजापति की भी एक अन्य कथित एनकाउंटर में मौत हो गई थी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा था। बाद में, केस की सुनवाई को गुजरात से मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया।
दिसंबर 2018 में, मुंबई की एक विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया था। अदालत ने माना था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा कि शेख और अन्य को मारने की कोई साजिश रची गई थी या इसमें आरोपियों की कोई भूमिका थी।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि निचली अदालत में सुनवाई सही तरीके से नहीं हुई। उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ गवाहों के बयान निचली अदालत द्वारा ठीक से दर्ज नहीं किए गए थे। अपनी याचिका में उन्होंने विशेष अदालत के फैसले को रद्द करने और मामले की दोबारा सुनवाई की मांग की है।
इस मामले में हालिया अपडेट यह है कि हाई कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ता भाइयों को उन गवाहों की एक सूची चार्ट के रूप में जमा करने का निर्देश दिया है, जिनके बयान उनके अनुसार सही ढंग से दर्ज नहीं किए गए थे। मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 अक्टूबर की तारीख तय की गई है।
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