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पोरबंदर के सरकारी स्कूल के 13 वर्षीय छात्र ने बनाया ब्लेड रहित पंखा

| Updated: February 8, 2022 9:58 am

पंखा हवा तो देता है लेकिन ब्लेड नीचे हैं इसलिए वे दिखाई नहीं दे रहे हैं.इससे बच्चों को कोई नुकसान नहीं होता है। यह पंखा वजन में हल्का भी है , इसे आसानी से कही भी ले जाया जा सकता है.


पोरबंदर के सरकारी स्कूल में कक्षा 8 में पढ़ने वाले एक छात्र ने ब्लेड रहित पंखा बनाकर जिला स्तरीय ” इंस्पायर अवार्ड” जीता. साथ -साथ सरकारी स्कूलो की गुणवत्ता को लेकर भी एक बेहतरी की उम्मीद जगायी है. अब राज्य स्तर पर यह छात्र पोरबंदर जिले का प्रतिनिधित्व करेगा.

छात्र ने विकलांगों के लिए एक रोटी मेकर भी बनाया है। गुजरात के बच्चे इनोवेशन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं.यह इसका सूचक भी है.खास तौर से सरकारी विद्यालयों में जिनकी गुणवत्ता पर समय समय पर आरोप लगते हैं.

विकलांगो के लिए बनायीं ” रोटी मेकर “

मोहनदास करमचंद गांधी गवर्नमेंट स्कूल, पोरबंदर के कक्षा 8 में पढ़ने वाले 14 वर्षीय छात्र धैर्य विमल हिंदोचा ने सरकार द्वारा आयोजित इंस्पायर अवार्ड्स में भाग लिया. इसके लिए धैर्य ने बैटरी से चलने वाला ब्लेड रहित पंखा बनाया. यह कार्य जिला स्तर पर प्रथम आया और इसके लिए 10 हजार का नकद पुरस्कार भी मिला.

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इस ब्लेड रहित पंखे के अलावा, धैर्य ने विकलांगों के लिए एक स्वचालित रोटी मेकर भी बनाया है. जिससे बिना हाथ के अपंग रोटी बना सकते हैं. इन दोनों नवाचारों के बारे में धैर्य ने कहा कि पंखों वाला पंखा हो तो छोटे बच्चे उसमें हाथ डाल सकते हैं जिसमे उनके घायल होने की संभावना बनी रहती है. लेकिन इस पंखे में इस तरह की घटना होगी क्योकि इसमें ब्लेड अंदर हैं। पंखा हवा तो देता है लेकिन ब्लेड नीचे हैं इसलिए वे दिखाई नहीं दे रहे हैं.इससे बच्चों को कोई नुकसान नहीं होता है। यह पंखा वजन में हल्का भी है , इसे आसानी से कही भी ले जाया जा सकता है.


विज्ञान और शोध के प्रति छात्रों को जागरूक करने के लिए सरकार कर रही कई योजना

बच्चों को विज्ञान और नए शोध के प्रति प्रेरित करने के लिए सरकार द्वारा इस तरह की नवीन परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं धैर्य निकट भविष्य में राज्य स्तर पर पोरबंदर जिले का प्रतिनिधित्व करेंगे.

इस छात्र की कामयाबी से स्कूल और उसका परिवार भी खुश है और परिवार वालों ने भी कहा कि धैर्य को और आगे ले जाने की पूरी कोशिश करेंगे.

सरकार द्वारा छात्रों को केवल पाठ्यपुस्तक ज्ञान देने के बजाय अनुसंधान कौशल विकसित करने के लिए नई परियोजनाएँ बनाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। पोरबंदर के इस बच्चे ने जिस तरह बिना पंखे के पंखा और साथ ही ऑटोमैटिक रोटी मेकर बनाया है वह काबिले तारीफ है. क्योंकि सिर्फ 13 साल की उम्र में ऐसे बच्चे अगर इस तरह से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करें तो उन्हें इस दिशा में ज्यादा सफलता मिल सकती है।

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