एक बैग, कुछ नगदी और इंसानियत की दिल को छू लेने वाली कहानी - Vibes Of India

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एक बैग, कुछ नगदी और इंसानियत की दिल को छू लेने वाली कहानी

| Updated: October 23, 2021 19:50

अहमदाबाद में जब एक दयालु, बुजुर्ग महिला ने पिछले हफ्ते मरम्मत कराने ले लिए अपना डफल बैग दिया, तो इसने उन घटनाओं की एक श्रृंखला को जन्म दिया जो बार-बार यह याद दिलाती हैं कि शायद दुनिया में हर कोई बुरा नही होता है, ईमानदारी और करुणा सुनने में जितनी दुर्लभ लगती है, उतनी है नही; मतलब स्पष्ट है कि दुनिया में नेकदिल और अच्छे लोग भी हैं।

बोपल की रहने वाली 84 वर्षीय कमल केलॉग ने बैग के ट्रॉली का हैंडल फंस जाने के कारण अपना बैग मरम्मत के लिए दे दिया। गुरुकुल में साईराम बाग के मालिक 40 वर्षीय आरिफ अब्दुल रहीम ने उस बैग की मरम्मत के लिए उनसे 130 रुपये लिए।

19 अक्टूबर को जब कमल की बेटियां बैग लेने गई तो बैग के साथ आरिफ ने उन्हें 15 हजार रुपये दिए। यह देख दंग रह जाने वाले बेटियों को आरिफ़ ने बताया कि, कैश बैग के सामने वाले पैकेट में था, शायद कमल भूल गईं थीं कि उन्होंने इसमें पैसे रखे थे।

बेटियाँ एक ऐसे व्यक्ति की ईमानदारी की प्रत्यक्ष साक्षी बनकर घर लौटीं, जिसका व्यवसाय – अनगिनत अन्य लोगों की तरह महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। लेकिन महामारी के उस दौर ने आरिफ़ व्यक्ति को उसकी ईमानदारी से डिगा न सका। 

घर में यह सब देख कमल सहम गईं! जब उसे पता चला कि वह जो पैसा भूल गई थी और बैग की मरम्मत करने वाले ने उसे बेटियों को लौटा दिया था, तो उसने अपनी बेटियों से पहले यही सवाल किया: “क्या आपने उसे उसकी ईमानदारी के लिए पुरस्कृत किया?”

बेटियों ने अपनी मां से कहा कि चूंकि यह उनका पैसा है इसलिए वे इसे किसी और को देने का फैसला नहीं कर सकती थीं।

कमल की आंखें भर आईं। वह एक ऐसी महिला है जो दूसरों को देने में खुशी ढूंढती है। 60 वर्षीया अनुपमा केलॉग कहती हैं, “जब भी उसके(कमल) घर से कुछ गायब होता है, तो हम यह समझते हैं कि उसने उसे किसी को दे दिया होगा।”

कमल आरिफ को उसकी ईमानदारी के लिए इनाम देना चाहती थी। उसने आरिफ को फोन किया। भावुक मन से भारी आवाज में कमल ने उसे पूरे पैसे देने की पेशकश की। “मैं आपकी ईमानदारी से अभिभूत हूं। पैसे वापस करने के लिए धन्यवाद। मैं तुम्हें इनाम देना चाहूंगी, ”कमल ने कहा।

आरिफ ने कमल की बात मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कमल से कहा, “अल्लाह मुझे मेरे श्रम के लिए जो प्रदान कर रहा है उससे मैं संतुष्ट हूं।” “लोग अक्सर अपना कीमती सामान यहां भूल जाते हैं जब वे उन्हें मरम्मत के लिए देते हैं लेकिन किसी ने मुझे आज तक कोई इनाम नहीं दिया है!”

कमल ने जोर देकर कहा कि वह कम से कम 5,000 रुपये लें। “पैसा ले लो और अगर आप इसे नहीं चाहते हैं, तो इसे गरीबों में वितरित करें या इसके साथ जो चाहें करें,” उसने कहा।

अभिभूत होकर आरिफ ने अनिच्छा से यह स्वीकार कर लिया। कमल के परिवार ने उसे पेटीएम के जरिए पैसे ट्रांसफर किए।

“मैं उसे सारे पैसे देना चाहती थी लेकिन उसने मना कर दिया इसलिए हमने उसे पूरी राशि का केवल एक तिहाई दिया,” कमल ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया। “मैं उस आदमी की ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुई; वह चाहता तो बिना किसी के जाने पैसे ले सकता था।”

आरिफ ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया कि यह कोई पहली बार नहीं है जब कोई मरम्मत के लिए आए बैग के अंदर पैसे भूल गया हो।

“मैं अपनी नैतिक विज्ञान की किताबों में पढ़ता था कि ईमानदारी को हमेशा पुरस्कृत किया जाना चाहिए। मैं 22 साल से काम कर रहा हूं, मैंने सभी को पैसा लौटा दिया है।” “यह पहली बार है जब किसी ने मेरी ईमानदारी को स्वीकार किया है, लेकिन हम हमेशा दूसरे लोगों का सामान लौटाते रहे हैं।”

आरिफ ने कहा कि महामारी के प्रभाव के बाद उनका व्यवसाय धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा है, लेकिन यह अभी तक सामान्य स्थिति में नही आया है।

उन्होंने कहा, “यह एक पारिवारिक व्यवसाय है, मेरे पिता की नवरंगपुरा में एक दुकान थी, जिसे उन्होंने 1980 में स्थापित किया था।” “वह हमेशा पैसे लौटाते थे; ज्यादातर लोगों ने उनकी ईमानदारी के बदले में उन्हें कुछ तोहफा दिया, लेकिन इससे पहले किसी ने मुझे कभी इनाम नहीं दिया था।

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