अहमदाबाद। अहमदाबाद के मेघाणीनगर में तेज धूप और तपती गर्मी के बीच बी.जे. मेडिकल कॉलेज की हॉस्टल मेस की जली हुई इमारतें खामोश खड़ी हैं। 12 जून को इसी समय एयर इंडिया की फ्लाइट 171 यहीं आकर गिरी थी, जिसमें 260 लोगों की जान चली गई थी।
हादसे के तुरंत बाद यह इलाका राहत और बचाव दल, पुलिसकर्मियों, मृतकों के परिजनों और सैकड़ों तमाशबीनों से भरा हुआ था। आज वहां सिर्फ जली हुई इमारतें और झुलसे हुए पेड़ बचे हैं, जो हादसे की भयावहता की गवाही देते हैं।
गूगल मैप पर यह जगह अब “AI 0171 Ground Zero” के नाम से चिन्हित है, जहां बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का पिछला हिस्सा कई दिनों तक फंसा रहा था।
चारों हॉस्टल इमारतें वीरान
चारों हॉस्टल ब्लॉक — अतुल्यम 1 से 4 — अब काले पड़ चुके हैं और पूरी तरह खाली पड़े हैं। इनमें रहने वाले करीब 150 मेडिकल छात्र-छात्राओं को अन्य हॉस्टलों और किराए के कमरों में शिफ्ट कर दिया गया है। कुछ छात्र पास की ही इमारतों में रह रहे हैं, जहां से उन्हें रोज उस जगह को देखना पड़ता है जहां उनके दोस्त मारे गए थे। हादसे में चार मेडिकल छात्रों की भी जान गई थी।
कड़ी सुरक्षा और जांच जारी
हादसे की जांच के लिए गुजरात पुलिस ने इस इलाके को सील कर रखा है। एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने यूके और यूएस के विशेषज्ञों के साथ मिलकर जांच का काम लगभग पूरा कर लिया है। हादसे के दो हफ्ते बाद विमान का मलबा अहमदाबाद एयरपोर्ट के सुरक्षित हैंगर में पहुंचा दिया गया था।
एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (सेक्टर-2) जयपालसिंह राठौर ने बताया, “AAIB की साइट पर जांच लगभग पूरी हो गई है। जैसे ही वे हमें लिखकर देंगे कि सुरक्षा घेरे की जरूरत नहीं है, हम पुलिस बल हटा लेंगे।”
फ्लाइट 171 लंदन गैटविक जा रही थी और टेकऑफ के एक मिनट के अंदर दोपहर 1.38 बजे हादसे का शिकार हो गई। विमान में मौजूद 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई, जबकि ब्रिटिश नागरिक विश्वेश कुमार रमेश अकेले जीवित बच सके। जमीन पर 19 लोगों की जान गई, जिनमें हॉस्टल परिसर और बाहर सड़क पर मौजूद लोग शामिल थे। कई ने मौके पर दम तोड़ दिया, तो कुछ ने अस्पताल में इलाज के दौरान।
छात्रों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था
बी.जे. मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. मिनाक्षी पारिख ने बताया कि मेस पूरी तरह तबाह हो गई थी। इसके बाद सोपानम 7 और 8 हॉस्टल की कैंटीनों को खाली करवाकर वहां अस्थायी मेस बनाई गई। उन्होंने कहा, “हमने 27 किचन सेटअप किए, नए बर्तन दिए और एक महीने का राशन भी दिया।”
अतुल्यम 8 ब्लॉक, जो हादसे में बचा रहा था, राहत और बचाव कार्य के दौरान NDRF का बेस बना था और अब कॉलेज को वापस सौंप दिया गया है।
AAIB की अनुमति के बाद चार जली हुई हॉस्टल इमारतों की संरचनात्मक जांच करवाई जाएगी। उसके बाद तय होगा कि इन्हें मरम्मत कर उपयोग में लाया जा सकता है या फिर तोड़कर नए सिरे से बनाना होगा।
क्लासें फिर शुरू, गम अभी बाकी
कॉलेज में 23 जून से कक्षाएं फिर शुरू हो गईं। 24 जून को मृतकों के लिए प्रार्थना सभा हुई और दो दिन बाद परीक्षाएं भी ली गईं। जो छात्र मानसिक आघात के कारण परीक्षा नहीं दे पाए, उनके लिए विशेष परीक्षा और जरूरतमंदों को राइटर मुहैया कराए जाएंगे।
कॉलेज ने पहले छात्रों के लिए काउंसलिंग सेशन भी आयोजित किए थे ताकि वे इस सदमे से उबर सकें।
अभी भी कड़ी निगरानी
हादसे वाली जगह के चारों ओर अभी भी भारी पुलिस तैनाती है। मुख्य सड़क पर तीन पुलिस पिकेट बनाए गए हैं — एक 1200-बेड वाले महिला, बाल और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के सामने, दूसरा ICMR-राष्ट्रीय व्यावसायिक स्वास्थ्य संस्थान (NIOH) के गेट के पास और तीसरा हॉस्टल परिसर के मेन गेट पर।
राठौर ने बताया, “पहले 15 दिन सबसे ज्यादा भीड़ और जिज्ञासु लोग आए। हमें साइट की पवित्रता बनाए रखने के लिए भारी सुरक्षा करनी पड़ी। बाद में बैरिकेड लगाने के बाद सुरक्षा घटाई गई।”
मेघाणीनगर स्थित गुजरात हाउसिंग बोर्ड अपार्टमेंट के पास दीवार में हुए सुराख से भी कई लोग अंदर घुस सकते थे। उस हिस्से को अब मेटल शीट लगाकर बंद कर दिया गया है।
हॉस्टल परिसर के मेन गेट पर ही गुजरात इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (GISF) के चौकीदार राजेंद्र पाटणकर घायल हुए थे और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इसी गेट से हादसे के इकलौते जीवित यात्री रमेश भी झटके में बाहर निकले थे, जिन्हें बाद में एंबुलेंस में अस्पताल ले जाया गया।
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