स्वाद में अमदावाद का "केएल 11 कैफे" देता है मलयाली मजा - Vibes Of India

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स्वाद में अमदावाद का “केएल 11 कैफे” देता है मलयाली मजा

| Updated: May 13, 2022 18:45

“जब भी हम अपने घरेलू व्यंजनों को याद करना शुरू करते हैं, तो घर की याद आने लगती है। अहमदाबाद में एक छात्रा के नाते मैं भी इस अनुभव से गुजरी थी। अहमदाबाद में केरल का भोजन खोजना काफी कठिन था। बस, इस आवश्यकता ने ही आविष्कार को जन्म दे दिया।” यह कहना है पालडी में “केएल 11” कैफे की कर्ता-धर्ता श्री लक्ष्मी का।

उन्होंने सुरक्षित वेतनभोगी नौकरी की सुख-सुविधाओं को छोड़ने का जोखिम उठाया और 2019 में भोजनालय की स्थापना की। फिर निश्चित रूप से, इसी बीच महामारी ने विश्व व्यवस्था को बदल दिया। वह आगे कहती हैं, “अब कारोबार में तेजी आ रही है और मैं अपने फैसले से खुश हूं।”

अहमदाबाद केरल समाज (एकेएस) के अनुसार, गुजरात में मलयाली लोगों की सही संख्या के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। एकेएस के केएम रामचंद्रन कहते हैं, “हम अहमदाबाद और गांधीनगर को मिलाकर यह संख्या लगभग तीन लाख होने का अनुमान लगाते हैं। केएल-11 हम सभी के लिए एक मिलाप केंद्र बनकर उभरा है। हमारे लिए इसका मतलब है-सस्ती दरों पर प्रामाणिक और पारंपरिक भोजन। ”

इसका नाम ही सुनने में दिलचस्प लगता है। दरअसल यह कोझीकोड (उत्तरी केरल/मालाबार) क्षेत्र में वाहनों का पंजीकरण नंबर है। केएल यानी राज्य का नाम और 11 उत्तर केरल को दर्शाता है, जो खाना पकाने के अपने अनोखे तरीके के लिए जाना जाता है।

आरामदायक कोने में जाते ही आपको केरल के स्थलों, ध्वनि और खुश्बू के आनंद आने लगेंगे। चेट्टा (भाई) से लेकर हिंदी और अंग्रेजी में कहे जाने वाले मल्लू तक, कैफे में दिखेंगे, जो दक्षिण भारतीय परिवेश का अहसास कराते हैं।

यहां पहुंचे पास के राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) के छात्रों के एक समूह ने कहा, “हम शाम का नाश्ता और भोजन आमतौर पर केएल-11 से ही मंगाते हैं। केले की प्लेट पर पुट्टू (बेलनाकार चावल केक), कड़ाला (काले चने की करी) और पप्पदुम जैसी चीजें हम सभी को पुरानी यादें ताजा कराते हुए उनकी कमी दूर कर देती है। ”

शेफ रसिन लाल के लिए यह सब मलयालियों का बेसब्री से इंतजार करने का प्यार और वादा है, जो उन्हें दिन-ब-दिन और अच्छा खाना बनाने के लिए प्रेरित करता है। जैसा कि वह कहते हैं, “मैं दोपहर के भोजन के दौरान उनकी आंखों में चमक देख सकता हूं, जिसमें केरल चावल, उपरी, पापड़म, घर का बना अचार, वेज करी (सांबर, मोरिंगा के पत्ते, दाल नारियल करी, कद्दू एरिसरी) फिश फ्राई और नदन चिकन करी शामिल होते हैं।”

श्री लक्ष्मी बताती हैं कि उनके पिता की शिक्षाएं अच्छी रही हैं। वह बहुत उत्साह से सफलता के लिए आवश्यक नुस्खा बताते हुए कहती हैं, “मुझे पिता की याद आती है। वह कहते थे कि खाना प्यार से परोसो। लोगों के दिलों को भरने का लक्ष्य रखना चाहिए। बस, यही वह कारण है, जो लोगों को बार-बार यहां आने को विवश करता है। हमें पहले से बुक किए गए और रुचि के अनुसार भोजन के ऑर्डर भी मिल रहे हैं। ”

अहमदाबाद और गांधीनगर के आस-पास के मलयाली भी अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए केएल-11 में बड़ी संख्या में आते हैं। पजमपोरी (मीठा केला फ्राई), केले के पत्तों में मीठा एडा, नेय्यप्पम, चिकन कटलेट और पारिप्पु वड़ा (तला हुआ दाल वड़ा) जैसे स्नैक्स के साथ केरल सुलेमानी (काली चाय) और पीछे बजते क्षेत्रीय संगीत किसी अतिरिक्त बोनस से कम नहीं लगते।

बहरहाल, श्री और शेफ लाल के लिए अपने समुदाय को एक छतरी के नीचे जुटाने का काम चल रहा है। वे कहते हैं, “भोजन सभी को बांधता है। अप्पम और स्टू, घी चावल, केरल चिकन स्टू और चिकन कुर्मा जैसे व्यंजनों के लिए रात के खाने पर भीड़ अधिक रहती है। हमारा ध्यान उन छात्रों और कामकाजी पेशेवरों पर रहता है, जो घर से दूर हैं। लेकिन अब हमारे पास गैर-मलयाली परिवार भी आते हैं, जो रात के खाने के लिए जगह मिलने तक लाइन में लगे रहते हैं। ”

लगता है, केएल-11 को दिल की राह का पता जरूर है!!

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