अनंत महादेवन एक और म्यूजिकल फिल्म से आरडी बर्मन को श्रद्धांजलि देंगे - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

अनंत महादेवन एक और म्यूजिकल फिल्म से आरडी बर्मन को श्रद्धांजलि देंगे

| Updated: June 28, 2021 22:35

दिल विल प्यार व्यार में आरडी बर्मन के जादू को रीक्रिएट करने के बाद अनंत महादेवन एक और म्यूजिकल फिल्म प्लान कर रहे हैं।

60 के दशक के अंत और 70 के दशक की शुरुआत में छोटे नवाब, भूत बंगला, तीसरी मंजिल, पड़ोसन और हरे रामा हरे कृष्णा जैसी फिल्मों ने हिंदी सिनेमा को एक नई आवाज दी। सचिन देव बर्मन के बेटे राहुल, जिन्हें लोग प्रेम से पंचम कहते थे, और जो खुद एक गायक-संगीतकार थे, वह अपने पिता की शास्त्रीय और बंगाली शैली के संगीत से दूर अपने इंडो-वेस्टर्न संगीत के साथ एक ट्रेडसेंटर बनकर सामने आए।

उनके ‘पिया तू, अब तो आजा’, ‘दम मारो दम’ और ‘महबूबा महबूबा’ ने उन्हें न केवल पिता से अलग पहचान दी, बल्कि शंकर-जयकिशन की जोड़ी, नौशाद की धुन, जयदेव की कविता व पवित्रता और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की लोकप्रियता ने उन्हें अधिक पहचान दी । रचनाओं के स्केल और विविधता, विभिन्न शैलियों के साथ उनके प्रयोग और भारतीय शास्त्रीय विधा से पश्चिमी शास्त्रीय विधा व पश्चिमी पॉप से भारतीय संगीत के बीच सहजता से ढल जाने की अद्भुत क्षमता में आरडी बर्मन की प्रतिभा छिपी है।

मैं कॉलेज में था, जब मेरा उनके संगीत से परिचय हुआ था और जब तक मैंने इस इंडस्ट्री में कदम रखा, तब तक वह इसे छोड़ चुके थे। लेकिन जैसे ही मौका मिला, आरडी बर्मन के संगीत को श्रद्धांजलि देते हुए 2002 में मैंने दिल विल प्यार व्यार के रूप में रोमांटिक म्यूजिकल फिल्म का निर्देशन किया। आरडी का संगीत अपने वक्त से आगे रहा है और दशकों बाद भी सदाबहार है।

हमने आधिकारिक तौर पर एचएमवी से अधिकार खरीदे थे। लेकिन मेरे मन में यह बात स्पष्ट थी कि अपनी फिल्म के लिए जो 13 गाने चुने हैं, उन्हें रीमिक्स नहीं करूंगा। मैं उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के साथ मिलकर रीक्रिएट करने की तैयारी में था, जो गायक-संगीतकार आरडी बर्मन के करीबी थे और उन्हें अच्छी तरह से जानते थे। जब मैंने आरडी बर्मन के मुख्य संयोजक रहे बबलू चक्रवर्ती से संपर्क किया तो उन्हें अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं हो रहा था। जब हम एम्पायर स्टूडियो में रिकॉर्डिंग कर रहे थे, तब मैंने देखा कि वह आदर के साथ आरडी बर्मन की एक तस्वीर निकालते, उसके सामने कुछ फूल चढ़ाते, शांत मन से प्रार्थना करते और उसके बाद ही काम शुरू करते थे।

‘ओ हंसिनी’, ‘ओ हसीना जुल्फों वाली’, ‘मेरे सामने वाली खिडकी में’, ‘रात कली एक ख्वाब में आई’, ‘तुम बिन जाऊं कहां’ और ‘यादों की बारात’ जैसे सदाबहार हिट गानों को रीक्रिएट करने के लिए हमने उस समय के टॉप गायक/गायिकाओं अलका याज्ञनिक, कविता कृष्णमूर्ति, साधना सरगम और सुनिधि चौहान से लेकर कुमार शानू, अभिजीत, हरिहरन, बाबुल सुप्रियो और शान तक को साथ जोड़ा। अभिजीत और शानू को गुजरे जमाने के इन गानों को फिर रिकॉर्ड करने का विचार पसंद आया था। इन गानों को गाने का मौका शायद उन्हें और कहीं नहीं मिलता। वहीं, कविता तब चौंक गई जब उन्हें पता चला कि हम चाहते हैं कि वह ‘बहारों के सपने’ फिल्म में लताजी (मंगेशकर) के गाए गाने ‘क्या जानूं सनम’ को रीक्रिएट करें।

जब वह रिकॉर्डिंग के लिए आईं, तब कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मैं यह करना चाहती हूं।‘ आखिरकार, उनके पति डॉ एल. सुब्रमण्यम ने उन्हें समझाया। उन्होंने बताया कि हम मूल संगीतकार और गायक को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हुए इसे रीक्रिएट कर रहे हैं और यह उनके लिए लताजी का गीत गाने का एक मौका है। इसके बाद कविता ने हरिहरन के साथ डुएट के तौर पर ‘गुम है किसी के प्यार में’ को रिकॉर्ड किया। रामपुर का लक्ष्मण के लिए आरडी बर्मन के साथ लता मंगेशकर-किशोर कुमार ने मूल रूप से इस गाने को गाया था।

म्यूजिक को एक डबल सीडी पैक में जारी किया गया था और जल्द ही यह लोगों के कलेक्शन का हिस्सा बन गया और लोगों में इसके लिए होड़ लग गई। एचएमवी ने इसकी बिक्री से अच्छी खासी कमाई की। मेरा एकमात्र अफसोस यही है कि जब तक हमारी फिल्म रिलीज हुई तब तक विनाइल रिकॉर्ड का जमाना खत्म हो गया था। एम्पायर स्टूडियो में आरडी बर्मन के कुछ संगीतकारों के साथ एक लाइव ऑर्केस्ट्रा हुआ था, और एक ग्रामोफोन रिकॉर्ड पुरानी यादों को ताजा कर सकता था। आज बीस साल बाद हम एक और म्यूजिकल फिल्म पर विचार कर रहे हैं, लेकिन यह केवल आरडी बर्मन को श्रद्धांजलि नहीं होगी। इसमें हम अन्य संगीतकारों जैसे मदन मोहन, शंकर-जयकिशन, एसडी बर्मन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का भी एक-एक गाना रखेंगे। अगर सिचुएशन के हिसाब से सही गाना मिला तो संभवत: नौशाद साहब का गाना भी इसमें होगा। और निश्चित रूप से एक गीत रोशन साहब के 1964 की ऐतिहासिक फिल्म चित्रलेख से भी होगा, जिसमें ‘संसार से भागे फिरते हो’ और ‘मन रे, तू काहे न धीर धरे’ जैसे  सदाबहार गाने हैं।

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d