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बिहार चुनाव से पहले सियासी सरगर्मी तेज, राहुल गांधी की यात्रा से बीजेपी सतर्क

| Updated: August 28, 2025 13:22

राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से बढ़ा बिहार का चुनावी तापमान, बीजेपी-एनडीए ने संयुक्त अभियान और नई चुनावी योजना बनाई।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही इस यात्रा में जुटी भीड़ ने बीजेपी और एनडीए खेमे को सक्रिय कर दिया है। सत्ताधारी दल अब अपने प्रमुख नेताओं को मैदान में उतारकर विपक्षी गठबंधन के असर को संतुलित करने की रणनीति बना रहा है।

राहुल गांधी की इस यात्रा में राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव भी शामिल हुए। इसी दौरान राहुल ने चुनाव आयोग और बीजेपी पर “वोट चोरी” के गंभीर आरोप लगाए और विशेष पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। विपक्षी इंडिया गठबंधन लगातार इस मुद्दे को हवा दे रहा है।

बीजेपी की चिंता: वोटर लिस्ट और नए समीकरण

बीजेपी के भीतर भी इस बात को लेकर असहजता है कि SIR प्रक्रिया से एनडीए को खास लाभ नहीं हुआ, बल्कि कई समर्थक मतदाता सूची से हट भी गए हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, “लगभग हर परिवार प्रभावित हुआ है। ऊपर से वक्फ कानून संशोधन ने मुस्लिम-यादव आधार को और मज़बूत किया है, जिससे कांग्रेस-राजद को फायदा मिल रहा है।”

प्रशांत किशोर का हमला

बीजेपी के लिए दूसरी चुनौती जन सुराज पार्टी प्रमुख प्रशांत किशोर का लगातार हमला है। हाल ही में उन्होंने बिहार बीजेपी के तीन बड़े नेताओं – प्रदेश अध्यक्ष दिलीप कुमार जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे – पर गंभीर आरोप लगाए।

  • जायसवाल पर किशनगंज के माता गुजरी मेडिकल कॉलेज पर अवैध कब्ज़े का आरोप
  • सम्राट चौधरी पर फर्जी शैक्षणिक रिकॉर्ड का आरोप
  • मंगल पांडे पर एम्बुलेंस घोटाले का आरोप, जिसमें 466 एम्बुलेंस 28 लाख रुपये की ऊंची कीमत पर खरीदी गईं, जबकि अन्य राज्यों ने कम दाम पर खरीदीं

बीजेपी ने इन सभी आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है।

एनडीए की रणनीति

पार्टी का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साफ-सुथरी छवि और संयुक्त प्रचार अभियान विपक्ष के असर को कम कर सकते हैं। इसी कड़ी में बीजेपी ने बिहार से जुड़े राष्ट्रीय नेताओं और प्रवक्ताओं – रविशंकर प्रसाद, शाहनवाज हुसैन, राजीव प्रताप रूडी, संजय जायसवाल, गुरु प्रकाश और अजय आलोक – को सभी 38 जिलों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की जिम्मेदारी सौंपी है।

इसके अलावा, 14 विशेष टीमों का गठन किया गया है जो 243 विधानसभा क्षेत्रों में सभाएं और रैलियाँ करेंगी। पार्टी नेतृत्व का निर्देश है कि हर कार्यक्रम में सभी सहयोगी दलों की मौजूदगी और झंडे अनिवार्य होंगे। इन सम्मेलनों में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की उपलब्धियों को उजागर किया जाएगा।

भीड़ से हैरान बीजेपी

बीजेपी नेताओं ने स्वीकार किया कि राहुल गांधी की यात्रा में उम्मीद से कहीं अधिक भीड़ जुट रही है। एक सांसद का कहना है, “हमारे नेता जब लालू यादव के चारा घोटाले की बात करते हैं, तो जनता एम्बुलेंस घोटाले की ओर इशारा करती है। ऐसे में राहुल को बढ़त मिल रही है।”

कुछ नेताओं का मानना है कि यादव-मुस्लिम वोट बैंक पहले से ही राजद-कांग्रेस के साथ है, लेकिन इस बार कुछ दलित समूह भी इंडिया गठबंधन के नज़दीक जा रहे हैं। वहीं SIR प्रक्रिया से अवैध मतदाताओं की ही नहीं, अन्य नामों की भी कटौती हुई है।

बीजेपी का पलटवार

हालांकि, पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस बात से इनकार करते हैं कि राहुल की यात्रा या SIR विवाद से एनडीए को नुकसान होगा। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा, “भारत में दो सबसे बड़ी वोट चोरी की घटनाएँ हुईं। एक लालू प्रसाद के समय जब 1990-2000 में बैलेट पेपर लूटे जाते थे और दूसरी 1952 में जब नेहरू ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को 14,000 वोटों से हरवाया। जनता इन घटनाओं को नहीं भूलती।”

पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन ने भी राहुल की यात्रा को गंभीरता से लेने से इनकार किया। उनके अनुसार, भीड़ में ज्यादातर कांग्रेस और राजद के टिकट चाहने वाले लोग हैं। उन्होंने कहा, “जब राहुल गांधी मखाना किसानों के पास जाते हैं, तो उन्हें समझना चाहिए कि किसान अच्छी तरह जानते हैं कि मोदी सरकार ने उनके लिए क्या किया है।”

हुसैन ने यह भी कहा कि इंडिया गठबंधन में नेतृत्व को लेकर भ्रम है। उन्होंने कहा, “जब राहुल से पूछा गया कि तेजस्वी उनके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे या नहीं, तो उन्होंने जवाब टाल दिया। इससे राजद समर्थकों को लगता है कि यह यात्रा केवल राहुल की सियासी छवि बढ़ाने के लिए है।”

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