पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के असामान्य लक्षणों में से एक उनकी औपचारिक शिक्षा को जारी रखने की ललक है। बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री में औपचारिक तौर पर मास्टर्स करने वाले किसी भी व्यक्ति की तरह चन्नी पंजाब विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रहे हैं।
कहना ही होगा कि जिस व्यक्ति ने नगरपालिका चुनावों में भाग लेकर अपने राजनीतिक जीवन का ककहरा सीख लिया हो, उसका उत्थान तब तक स्थिर रहा जब तक कि वह कठिन परिस्थितियों में राज्य के शीर्ष राजनीतिक पद पर नहीं पहुंच गया। वह व्यक्ति उस कैप्टन अमरिंदर सिंह की कुर्सी पर बैठा, जिनकी उपस्थिति ही चारों ओर उनके व्यक्तित्व की आभा बिखेर देती थी।
मृदु भाषी व्यक्ति माने जाने वाले चन्नी का अन्य भाषाओं के प्रति गहरा लगाव रहा है। वह उर्दू भी जानते हैं, जिसे पंजाब में विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के बीच व्यापक रूप से पढ़ा जाता है और जिसे कला एवं साहित्य के पारखी लोगों के बीच विशेष सम्मान हासिल है।
चंडीगढ़ के बाहरी इलाके में खरड़ शहर के रहने वाले चन्नी ने 2007 में अपने पैतृक गांव चमकौर साहिब से पंजाब विधानसभा में पहुंचने से पहले दो बार नगर पार्षद और तीन बार नगर निकाय के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उनके पिता सरपंच हुआ करते थे। परिवार का अपना कारोबार है। चन्नी विवाहित हैं। उनकी पत्नी का नाम कमलजीत कौर है। उनके दो बेटे हैं।
विधायिका में आने के बाद से चन्नी धीरे-धीरे आगे बढ़ते गए और दूसरी बार विधायक रहते उनके जीवन में एक बड़ी उपलब्धि आई। 2015 के आसपास कांग्रेस में आंतरिक कलह के कारण उन्हें विधानसभा में विपक्ष का नेता बना दिया गया। यह एक ऐसा पद था, जिसने उन्हें साथी विधायकों के बीच उनका ओहदा बढ़ा दिया।
पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पिछली अमरिंदर सिंह सरकार के कामकाज का मजाक उड़ाते हुए चन्नी को घेर रहे थे।
एक बिंदु पर सुखबीर बादल चन्नी से पूछते हैं, कृपया बताएं कि कितनी नई सड़कें बनीं। कुछ आंकड़ों के जवाब में अकालियों ने ताना मारा कि राज्य में राजमार्गों का नेटवर्क बादल शासन के दौरान ही था। चन्नी आखिरकार अपने चतुराई भरे जवाब से इस चक्रव्यूह से निकलने में सफल रहे।
बहरहाल, उनके मुख्यमंत्री बन जाने से पहले ही अन्य दलों की राजनीतिक गणना उलट-पुलट गई है, जो चुनाव में दलित कार्ड खेलने के इच्छुक थे। बसपा प्रमुख मायावती ने चन्नी को बधाई देते हुए इस कदम को चुनावी हथकंडा बताया है।
जिस समय कांग्रेस अपने इस कदम पर गर्व कर रही थी, उसी समय भाजपा ने अपने आईटी सेल के माध्यम से अनुचित संदेश भेजने के लिए एक नौकरशाह द्वारा उन पर लगाए गए ‘मी टू’ के आरोप का मुद्दा उछाल दिया, जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी। इस समय उस मसले को उठाने का संकेत साफ है कि भाजपा सीएम पर लगातार पैनी नजर रखेगी।
नए मुख्यमंत्री को पार्टी के भीतर और बाहर से उनकी सरकार के सामने आने वाली कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए चतुराई से काम लेना होगा। शपथ ग्रहण से पहले चन्नी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के गुरुद्वारे में जाकर मत्था टेका और वापस सचिवालय में पीसीसी प्रमुख नवजोत सिद्धू की मौजूदगी में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे।
इस तरह सीखने की अपनी जिज्ञासा के अलावा चन्नी ने राष्ट्रीय स्तर पर हैंडबॉल भी खेला है। विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में उन्होंने पदक भी जीते हैं। हालांकि उन्हें मैदान में दिखाए गए हाथ की निपुणता दिखाने की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन नए मुख्यमंत्री को मैदान में बने रहने के लिए टीम भावना की जरूरत जरूर पड़ेगी।