अहमदाबाद/गांधीनगर: कहते हैं जब रक्षक ही भक्षक बन जाए, तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए? गुजरात में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने सीआईडी (CID) क्राइम के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा ‘रिश्वत कांड’ उजागर किया है। विडंबना यह है कि रिश्वत लेते पकड़ा गया मुख्य आरोपी पुलिस इंस्पेक्टर (PI) खुद पूर्व में ACB में ही तैनात रह चुका है।
ACB ने CID क्राइम की CI सेल में तैनात PI पी.के. पटेल और कॉन्स्टेबल विपुलभाई देसाई को 3.30 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।
क्या है पूरा मामला? (गोवा कॉल सेंटर कनेक्शन)
इस रिश्वत कांड की जड़ें गोवा में चल रहे एक अवैध कॉल सेंटर से जुड़ी हैं। साल 2024 में, CID क्राइम की एक टीम ने गांधीनगर की गिफ्ट सिटी (GIFT City) के पास से एक कॉल सेंटर संचालक को पकड़ा था। पूछताछ में पता चला कि इस नेटवर्क का मुख्य ठिकाना गोवा में है। इस इनपुट के आधार पर कार्रवाई करते हुए CID क्राइम ने गोवा के एक कैसीनो में छापा मारा और 23 आरोपियों को गिरफ्तार किया। बाद में इस पूरे मामले की जांच CI सेल को सौंप दी गई थी।
2 करोड़ की मांग, 30 लाख में हुआ सौदा
जांच के दौरान, कॉल सेंटर से जुड़े अहमदाबाद के कई लोगों को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया गया। इसी कड़ी में एक ऐसे व्यक्ति का नाम सामने आया जो पहले कॉल सेंटर से जुड़ा था। करीब दो महीने पहले, PI पी.के. पटेल ने इस व्यक्ति को नोटिस देकर लिखित जवाब देने को कहा।
शिकायत के मुताबिक, PI पटेल ने शिकायतकर्ता को मामले में आरोपी न बनाने के बदले में 2 करोड़ रुपये की भारी-भरकम रिश्वत की मांग की। काफी बातचीत और मोलभाव के बाद यह सौदा 30 लाख रुपये में तय हुआ। इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थ शिकायतकर्ता ने अंततः ACB का दरवाजा खटखटाया और औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।
ऐसे बिछाया गया जाल: फिल्म जैसी गिरफ्तारी
शिकायत मिलने के बाद ACB के PI डी.एन. पटेल ने जाल बिछाया। योजना के मुताबिक, PI पी.के. पटेल ने रिश्वत की रकम लेने के लिए शिकायतकर्ता को सरगासण (Sargasan) स्थित स्वागत सिटी मॉल के पास एक निर्माणाधीन साइट पर बुलाया।
PI पटेल की तरफ से पैसे लेने के लिए कॉन्स्टेबल विपुलभाई देसाई मौके पर पहुंचे। जैसे ही शिकायतकर्ता ने कॉन्स्टेबल को पैसे सौंपे और फोन पर PI पटेल को पुष्टि की कि “पैसे दे दिए गए हैं”, वैसे ही ACB की टीम हरकत में आ गई।
टीम ने मौके से कॉन्स्टेबल देसाई को रंगे हाथों दबोच लिया। वहीं, दूसरी टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए CID क्राइम के ऑफिस से PI पी.के. पटेल को गिरफ्तार कर लिया। पकड़ी गई रिश्वत की राशि 3.30 लाख रुपये बताई गई है।
आरोपी इंस्पेक्टर का रिकॉर्ड: रक्षक से बना आरोपी
गिरफ्तार PI पी.के. पटेल का करियर रिकॉर्ड चौंकाने वाला है। वे 2010 में PSI के रूप में भर्ती हुए थे और 2019 में प्रमोट होकर पुलिस इंस्पेक्टर बने। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि पटेल ने खुद 5 साल तक ACB में सेवाएं दी हैं, और उन्हें भ्रष्टाचार पकड़ने की बारीकियों का पूरा ज्ञान था। साल 2023 में उनका तबादला CID क्राइम में हुआ था।
गिरफ्तारी के समय उनका मासिक वेतन लगभग 90,000 रुपये था, जबकि उनके साथ पकड़े गए कॉन्स्टेबल विपुल देसाई का वेतन करीब 45,000 रुपये था।
आंकड़े बता रहे कहानी: हर छठे दिन एक पुलिसकर्मी हो रहा गिरफ्तार
ACB के आंकड़े पुलिस विभाग की चिंता बढ़ाने वाले हैं। आंकड़ों के मुताबिक, औसतन हर छह दिन में एक पुलिस अधिकारी रिश्वत लेते पकड़ा जा रहा है:
- 2023: 60 पुलिसकर्मी ट्रैप हुए।
- 2024: 60 पुलिसकर्मी ट्रैप हुए।
- 2025 (मार्च तक): 15 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
अब तक कुल 135 पुलिसकर्मी भ्रष्टाचार के आरोप में फंस चुके हैं और इन मामलों में 98 लाख रुपये की रिश्वत राशि जब्त की गई है। भ्रष्टाचार के मामलों में गृह विभाग (Home Department) सबसे ऊपर है।
आगे क्या होगा?
PI पटेल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस भवन में हड़कंप मचा हुआ है। चर्चा है कि जांच की आंच गोवा और महाराष्ट्र तक फैले उनके संभावित वित्तीय लिंक तक जा सकती है। ACB अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि दोनों आरोपियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) खंगाले जाएंगे। इसके अलावा, PI पटेल और उनके परिवार की आय और संपत्ति की विस्तृत जांच (Disproportionate Assets probe) भी की जाएगी।
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