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केंद्र की नीति से उलट ओडिशा के मुख्यमंत्री ने राज्य में मिशनरियों के संगठनों के लिए मंजूर किए 78 लाख रुपये

| Updated: January 6, 2022 9:52 am

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मंगलवार को मिशनरीज ऑफ चैरिटी (एमओसी) द्वारा राज्य में संचालित संस्थानों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 78.76 लाख रुपये मंजूर किए हैं। उन्होंने ऐसा मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एफसीआरए पंजीकरण को नवीनीकृत करने के खिलाफ केंद्र के फैसले के कुछ दिनों बाद  ही किया है।

ये पैसे आठ जिलों में एमओसी द्वारा संचालित 13 संस्थानों को मिलेंगे। पटनायक ने सभी जिला कलेक्टरों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि राज्य भर में गैर-लाभकारी संगठन द्वारा संचालित संगठनों के किसी भी आश्रयी को कोई संकट ना हो। सभी कलेक्टरों को लिखे एक पत्र में उन्होंने उन्हें एमओसी द्वारा संचालित संगठनों के साथ नियमित रूप से संपर्क में रहने के लिए कहा था, जिसे मदर टेरेसा द्वारा 1950 में स्थापित किया गया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन संगठनों का कोई भी आश्रयी विशेष रूप से भोजन और स्वास्थ्य संबंधी कारणों से परेशान न हो। पटनायक ने लिखा, “जहां भी जरूरत हो, इस उद्देश्य के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से धन का उपयोग किया जा सकता है।”

सीएम कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा, “सीएम के निर्देशों के आधार पर सभी कलेक्टरों ने अपने-अपने जिलों में आकलन किया और संस्थानों के लिए हुई आवश्यकताओं को पूरा किया है। उनके अनुरोधों के आधार पर सहायता मंजूर की गई है।”

अधिकारी के अनुसार, राज्य के विभिन्न कुष्ठ केंद्रों और अनाथालयों में 900 से अधिक आश्रयी को इस मंजूरी से लाभ होगा। इतना ही नहीं, जब भी और अधिक सहायता की आवश्यकता होगी, तो दी जाएगी।

एमओसी की सिस्टर 1974 में ओडिशा पहुंचीं। तब से उन्होंने 18 आश्रयस्थल खोले हैं। इनमें नौ बीमारों, परित्यक्त और बुजुर्गों के लिए; छह  बच्चों के लिए हैं। इनके अलावा कुष्ठ पीड़ितों और मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए भी तीन केंद्र हैं। इन संस्थानों की देखभाल करने वाली 87 सिस्टर हैं।

पिछली जनगणना के अनुसार, ओडिशा में ईसाई 11.6 लाख की आबादी के साथ सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह हैं। वे राज्य की आबादी का 2.7 प्रतिशत हैं। इसके बाद मुसलमान (2.17 प्रतिशत) हैं।

2008 में ओडिशा में तब बड़े दंगे हुए थे, जब कंधमाल में हिंदुत्व समूहों के लोगों द्वारा ईसाई समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया था। घटना के समय  मुख्यमंत्री पटनायक के नेतृत्व में भाजपा और बीजद की गठबंधन सरकार थी। बीजद ने अगले वर्ष भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया और विधानसभा चुनावों में भी 147 में से 103 सीटों पर जीत हासिल की।

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