छोटे बिजनेस के लिए लागत बढ़ा सकते हैं यूपीआई पर क्रेडिट कार्ड

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

छोटे बिजनेस के लिए लागत बढ़ा सकते हैं यूपीआई पर क्रेडिट कार्ड

| Updated: October 4, 2022 09:34

मुंबईःयूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) प्लेटफॉर्म पर क्रेडिट कार्ड के जरिये लेनदेन (transactions) शुरू होने पर करोड़ों छोटे व्यापारी और स्ट्रीट वेंडर प्लास्टिक मनी का उपयोग कर सकेंगे। हालांकि यह कार्डधारकों को तो खुश कर सकता है, पर यह उन छोटे बिजनेस को 45 दिनों तक का मुफ्त क्रेडिट की लागत को बढ़ा देगा। इसलिए कि यह उनके ओवरहेड्स को जोड़ देगा। वर्तमान में क्रेडिट कार्ड स्वीकार करने वाले खुदरा विक्रेता (retailers) एक महीने की ‘मुफ्त क्रेडिट’ लागतों को पूरा करने के लिए बैंकों को हर साल लगभग 13,000 करोड़ रुपये का भुगतान करते हैं। इन भुगतानों (charges) पर आई एक रिपोर्ट में यह मौलिक प्रस्ताव दिया गया है कि इन लेनदेन पर क्रेडिट जोखिम और ब्याज लागत को व्यापारी छूट दर (separated from the merchant discount rate- MDR) से अलग कर देना चाहिए। यह वह शुल्क होता है, जो दुकानदार क्रेडिट कार्ड से भुगतान की सुविधा के लिए बैंक को देता है।

क्रेडिट लागत (ब्याज, interest) तब कार्ड जारीकर्ता बैंक द्वारा सीधे ग्राहकों को बिल किया जाएगा। इससे जो लाभ होगा, उसे पहले से ही क्रेडिट कार्ड स्वीकार करने वाले कारोबारी ग्राहकों को भी छूट के जरिये दे सकते हैं, जिससे बिक्री में वृद्धि हो सकती है। यह रिपोर्ट आईआईटी-बॉम्बे में गणित विभाग के प्रोफेसर आशीष दास ने तैयार की है। दास ने भुगतान और बैंकिंग शुल्क पर कई रिपोर्टें लिखी हैं, जिनमें से कई के कारण नीति में बदलाव हुए हैं।

रिपोर्ट में रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कुछ सवालों का जवाब देना चाहती है। रिपोर्ट आऱबीआई से सहमत है कि लेनदेन की लागत को फंड की लागत और क्रेडिट जोखिम से अलग करना है। दास के अनुसार, छोटी दुकानों के लिए क्रेडिट कार्ड की स्वीकृति को बढ़ाने से, उपरोक्त डीलिंकिंग प्रस्ताव के अभाव में, महंगाई पर प्रभाव पड़ेगा। इसलिए कि क्रेडिट कार्ड शुल्क डेबिट कार्ड से दोगुना है, जबकि एक व्यापारी UPI के माध्यम से धन प्राप्त करने के लिए कुछ भी नहीं देता है।

दास कहते हैं कि आज 1,000 रुपये के लेन-देन पर  व्यापारी डेबिट कार्ड से भुगतान के लिए 10 रुपये और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 20 रुपये का भुगतान करता है। इन लागतों को समग्र लागतों (overall costs) में शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि इन्हें अधिभार (surcharge) के माध्यम से ग्राहकों पर नहीं डाला जा सकता है। दास कहते हैं कि आज यूपीआई का उपयोग करने वाले ग्राहकों की संख्या क्रेडिट कार्ड से कहीं अधिक है, इसलिए यह तर्क सही नहीं है कि व्यापारी ग्राहक से हार जाएगा। भुगतान शुल्क के मुद्दे पर दास ने इसे गैर-पारदर्शी तरीके (non-transparent manner) से ग्राहकों को देने पर भी सवाल उठाया है। ऐसा आईआरसीटीसी (IRCTC) जैसे कुछ मर्चेंट पोर्टल्स में किया जा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “व्यापारी द्वारा जारी भुगतान रसीद भुगतान एग्रीगेटर और अधिग्रहणकर्ता बैंकों द्वारा निकाले गए अतिरिक्त बेहिसाब धन (additional unaccounted money extracted by the payment aggregator and acquirer banks) के लिए जिम्मेदार नहीं है। हालांकि, उपभोक्ता और जीएसटी (with associated GSTIN) के साथ अतिरिक्त धन एकत्र करने वाले के बीच एक स्पष्ट संबंध मौजूद होना चाहिए। लेकिन व्यवहार में ऐसा संबंध मौजूद नहीं है।”

Also Read: बहुत जल्द QR कोड से खुद जांच सकेंगे नकली दवा

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d