प्री-स्कूल दाखिले की दर में गिरावट, महामारी ने गुजरात के स्कूली बच्चों प्रभावित किया

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

प्री-स्कूल दाखिले की दर में गिरावट, महामारी ने गुजरात के स्कूली बच्चों प्रभावित किया

| Updated: January 19, 2023 15:07

गुजरात में कोविड-19 के कारण छोटे बच्चों की पढ़ाई पर खराब असर पड़ा है। कोविड से पहले के 2018 के आंकड़ों की तुलना में आंगनवाड़ियों में बच्चों की नामांकन दर (enrollment rate) में भारी गिरावट आई है। ऐसा तब है जब 3-4 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के अनुपात में वृद्धि हुई है, और जिनका प्री-प्राइमरी स्कूलों में नामांकन होना बाकी है। यह जानकारी गुजरात में प्रथम फाउंडेशन द्वारा बुधवार को जारी ग्रामीण भारत के लिए शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2022 से मिली है।

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2014 से 2018 की तुलना में कोविड-19 महामारी के समय राज्य में पढ़ने और गणित में लगातार सुधार को बाधित किया। देशभर में कक्षा 5 के ऐसे छात्रों का सबसे कम अनुपात देखा गया, जो अंग्रेजी में सरल वाक्य पढ़ सकते थे। अध्ययन से पता चलता है कि गुजरात ने 2018 और 2022 के बीच शेष भारत की तुलना में अधिकांश क्षेत्रों में खराब प्रदर्शन किया है।

जहां 3 साल के बच्चों के बीच नामांकन दर 4.9 प्रतिशत से गिरकर 17.2 प्रतिशत हो गई, वहीं इसी अवधि के दौरान 4 साल के बच्चों की नामांकन दर 2.5 प्रतिशत से घटकर 8.1 प्रतिशत हो गई। यह संख्या 2022 में 78.3 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से अलग है, जो पूरे ग्रामीण भारत में 2018 के मुकाबले 7.1 प्रतिशत अंक अधिक है।

राज्य के कक्षा 5 के छात्रों में केवल 8.2 प्रतिशत ( भारत में सबसे कम) अंग्रेजी में सरल वाक्य पढ़ सकते हैं। इनमें से 67.5 फीसदी ही उसका मीनिंग भी बता सके। गुजरात में प्रथम प्रोग्राम अफसर रेणु सेठ ने कहा, “कक्षा 3 से एक विषय के रूप में बिना किताबों के अंग्रेजी पढ़ाए जाने के बावजूद ऐसा है। इसकी गंभीर पढ़ाई कक्षा 5 से होती है, जब बच्चा वास्तव में इस विषय के संपर्क में आता है। ”

अध्ययन में कहा गया है कि 2022 में चार में से एक से भी कम बच्चे पढ़ने और गणित में ग्रेड-स्तर पर थे। इसका मतलब यह है कि अधिकांश बच्चों को साक्षरता और गणित में मूलभूत ज्ञान प्राप्त करने में मदद की तत्काल जरूरत है। यदि सभी बच्चों को 2027 तक कक्षा III तक बुनियादी मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त करना है, तो कक्षा में प्रैक्टिस और उपयुक्त गतिविधियों और कठिन प्रयासों में बड़े बदलाव की जरूरत है।

पिछले 10 वर्षों में कक्षा 5 और 8 के छात्रों के अनुपात में तेजी से गिरावट आई है, जो कक्षा 2 के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं। जबकि 2012 में सर्वेक्षण किए गए कक्षा 8 के लगभग 81 प्रतिशत छात्र कक्षा 2-स्तर का पाठ पढ़ सकते थे। इसी तरह 2018 में यह अनुपात गिरकर 73 प्रतिशत हो गया और 2022 में 52.4 प्रतिशत तक गिर गया।

ऐसे ही 2012 में कक्षा 5 के लगभग 48 प्रतिशत छात्र वही पाठ पढ़ सकते थे। लेकिन नए सर्वेक्षण में दर्ज 34.2 प्रतिशत से पहले 2018 में यह संख्या बढ़कर 53.8 प्रतिशत हो गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, “राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी या प्राइवेट स्कूलों में कक्षा 5 में नामांकित बच्चों का अनुपात जो कम से कम कक्षा 2 के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, 2018 में 50.5 प्रतिशत से गिरकर 2022 में 42.8 प्रतिशत हो गया। जो राज्य 15 प्रतिशत या अधिक अंकों की कमी दिखा रहे हैं, उनमें आंध्र प्रदेश (2018 में 59.7 से 2022 में 36.3 प्रतिशत), गुजरात (53.8 से 34.2 प्रतिशत) और हिमाचल प्रदेश (76.9 से 61.3 प्रतिशत) शामिल हैं।“

यह गिरावट कक्षा 8वीं की लड़कियों में सबसे अधिक थी। 2018 में 77.1 प्रतिशत लड़कियां जो कक्षा 2-स्तर का पाठ पढ़ सकती थीं, के मुकाबले 2022 में केवल 49 प्रतिशत ऐसा कर सकीं। यानी 28.1 प्रतिशत की गिरावट।

रिपोर्ट में कहा गया है कि “कक्षा 3 के बच्चों में  30.8 प्रतिशत बड़े अक्षर (अंग्रेजी में) भी नहीं पढ़ सकते हैं, 30.4 प्रतिशत बड़े अक्षर पढ़ सकते हैं लेकिन छोटे अक्षर नहीं। इसी तरह 28.2 प्रतिशत छोटे अक्षर पढ़ सकते हैं लेकिन शब्द नहीं। वहीं 8.3 प्रतिशत शब्द पढ़ सकते हैं, लेकिन वाक्य नहीं और 2.3 प्रतिशत वाक्य पढ़ सकते हैं।”

यह सर्वे गुजरात के 26 जिलों (30 गांव प्रति जिला) में किया गया। रिपोर्ट के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से 16 वर्ष के बीच के 20,330 बच्चों का सर्वेक्षण किया गया और पांच से 16 वर्ष के बीच के 16,310 बच्चों का।

SER 2022 पहला क्षेत्र-आधारित “बुनियादी” राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण है। एएसईआर चार साल के अंतराल के बाद ऐसे समय में वापस आया है, जब बच्चे महामारी के कारण लंबे समय तक स्कूलों के बंद रहने के बाद वापस क्लास में आ गए हैं।

सर्वे से यह भी पता चला है कि प्राइवेट स्कूलों के  बच्चों का प्रदर्शन सरकारी स्कूलों की तुलना में अधिक गिरा है। रिपोर्ट में अंग्रेजी भाषा में गिरते प्रदर्शन पर प्रकाश डाला गया है। 2016 से 2022 के बीच कक्षा 8 के छात्रों का अनुपात, जो अंग्रेजी वाक्य पढ़ सकते थे, 37.6 प्रतिशत से गिरकर 25.2 प्रतिशत हो गया। सरकारी स्कूलों की तुलना में प्राइवेट स्कूलों में यह अधिक था। प्राइवेट स्कूलों में कक्षा 8 के लगभग 61.6 प्रतिशत छात्र 2016 में अंग्रेजी वाक्य पढ़ सकते थे। यह 2022 में 19.2 प्रतिशत अंक घटकर 42.4 प्रतिशत हो गया। हालांकि, सरकारी स्कूल के आठवीं के छात्रों के बीच यह गिरावट केवल 11.3 प्रतिशत अंक थी।

गिरावट की प्रवृत्ति मठ तक भी फैली हुई है। कक्षा 3 के छात्रों में 9.8 प्रतिशत 1 और 9 के बीच की संख्याओं को भी नहीं पहचान सकते थे। जबकि 29.6 प्रतिशत 9 तक की संख्याएं पहचान सकते थे, लेकिन 99 या उससे अधिक की संख्याएं नहीं। इसी तरह 37.5 प्रतिशत 99 तक की संख्याएं पहचान सकते थे, लेकिन घटा नहीं सकते थे। 18.5 प्रतिशत बच्चे घटा सकते हैं, लेकिन विभाजित (division) नहीं कर सकते। केवल 4.6 प्रतिशत ही बांट सके।

अंग्रेजी में कक्षा 2-स्तर का पाठ पढ़ सकने वाले कक्षा 6 और कक्षा 8 के बीच के छात्रों के अनुपात में सबसे अधिक गिरावट दक्षिण गुजरात में आई है- 2018 में 69.1 प्रतिशत से 2022 में 25 प्रतिशत। इस दौरान ऐसी ही प्रवृत्ति विभाजन (division) कर सकने वाले बच्चों की हिस्सेदारी में दिखी, जो 34.9 प्रतिशत से 16.5 प्रतिशत रह गई। सर्वे दक्षिण गुजरात के जिलों- भरूच, नवसारी, सूरत, तापी, डांग और वलसाड में किया गया।

मल्टीग्रेड कक्षा 2 और कक्षा 4 का अनुपात भी गुजरात में पिछले एक दशक में लगातार वृद्धि दर्शाता है। उदाहरण के लिए, कक्षा 2 की कक्षाओं में अन्य कक्षाओं के बच्चों के साथ बैठने का अनुपात 2018 में 50.9 से बढ़कर 2022 में 69.3 प्रतिशत हो गया। इस बीच, गुजरात में पीने के पानी की उपलब्धता वाले स्कूलों का अनुपात 88 प्रतिशत से घटकर 71.8 प्रतिशत हो गया।

जबकि प्राइवेट प्री-स्कूल नामांकन सभी आयु समूहों के लिए गिरा। वर्ष 2006 के बाद से 2022 में 6-14 आयु वर्ग के बच्चों के बीच सरकारी स्कूलों में उच्चतम नामांकन दर (highest enrolment rate) देखी गई। तब यह 89.3 प्रतिशत थी। यह आंकड़ा 2014 में सबसे कम 83.4 प्रतिशत था।

प्रवृत्ति में विरोधाभासों पर प्रकाश डालते हुए सेठ ने कहा, “एक तरफ कहा जाता है कि 2022 में सरकारी स्कूलों में नामांकन अधिक है, लेकिन दूसरी तरफ आंगनवाड़ी केंद्रों में नामांकन में कमी आई है। यह शायद कम फीस वाले प्राइवेट स्कूलों के कारण है, जो राज्य में माता-पिता के साथ फंस गए हैं।”

Also Read: माइक्रोसॉफ्ट सभी उत्पादों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स उपयोग के लिए उत्सुक: नडेला

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d