वडोदरा के करेलीबाग क्षेत्र में 21 वर्षीय कानून के छात्र रक्षित चौरसिया द्वारा नशे की हालत में कार चलाते हुए आठ लोगों को कुचल देने और एक की मौत हो जाने की घटना के बाद गुजरात पुलिस ने नशे के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। इस कार्रवाई में एक चौंकाने वाला ट्रेंड सामने आया है—शिक्षण परिसरों के पास नशे की दवाओं के गोदाम पाए जा रहे हैं।
यह हादसा 13 मार्च को हुआ था। इसके कुछ ही दिनों बाद, वडोदरा सिटी स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए वाघोडिया में एक किराए के गोदाम से कोडीन युक्त कफ सिरप की 4,785 बोतलें (मूल्य ₹10.97 लाख) और ट्रामाडोल हाइड्रोक्लोराइड जैसी 1.5 लाख से अधिक नशीली गोलियां (मूल्य ₹15.5 लाख) बरामद कीं।
आरोपी एक मेडिकल स्टोर संचालक है, जो कथित रूप से इन प्रतिबंधित दवाओं की अवैध बिक्री में शामिल था। उसके खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
शिक्षा के केंद्र में बदलते वडोदरा में नशे का खतरा
यह मामला वडोदरा के तेजी से उभरते शिक्षा हब वाघोडिया में सामने आया है। वडोदरा शहर में एम.एस. यूनिवर्सिटी, गति शक्ति विद्यापीठ, कई निजी विश्वविद्यालय और केंद्रीय विश्वविद्यालय का नया कैंपस स्थित हैं। यहां देश-विदेश से छात्र पढ़ाई के लिए आते हैं।
वडोदरा पुलिस आयुक्त नरसिंह कोमर ने The Indian Express से कहा, “यह चिंता का विषय है कि जहां से कोडीन सिरप जब्त किया गया, वह स्थान शिक्षा केंद्र के रूप में जाना जाता है… युवाओं की उपस्थिति को देखते हुए नशे के सौदागरों पर कार्रवाई और भी आवश्यक हो जाती है। हम सक्रियता से ऐसे मामलों पर नजर रख रहे हैं।”
कोमर ने बताया, “हमारी जांच में यह भी सामने आया है कि कई अपराधी, विशेष रूप से घरों में चोरी करने वाले लोग, चोट लगने या मारपीट की स्थिति में दर्द सहन करने के लिए इन नशीली दवाओं का सेवन करते हैं।”
सस्ती होने के कारण कोडीन बना युवाओं का नया नशा
अहमदाबाद SOG के डिप्टी कमिश्नर जयराजसिंह वाला के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में कोडीन का दुरुपयोग तेजी से बढ़ा है। उन्होंने कहा, “यह नशा मुख्य रूप से निम्न आय वर्ग के युवा करते हैं, क्योंकि यह सस्ता है और शराब की तरह प्रतिबंधित नहीं है। इसका असर ऐसा होता है कि व्यक्ति नशे में भी सामान्य दिखता है। हमने देखा है कि ऑटो-रिक्शा चालकों में भी इसकी लत बढ़ रही है।”
उन्होंने आगे बताया कि आर्थिक रूप से सक्षम युवा महंगे नशों जैसे एमडी ड्रग्स का सेवन करते हैं और धीरे-धीरे उपभोक्ता से सौदागर बन जाते हैं ताकि अपनी लत के खर्च को पूरा कर सकें।
पढ़े-लिखे युवाओं से लेकर MBA छात्रा तक बनीं ड्रग्स तस्कर
वाला ने अगस्त 2023 की एक घटना को याद करते हुए कहा कि 33 वर्षीय विशाखा मेघवाल, जो एक कानून की छात्रा और MBA ग्रेजुएट थीं, कॉलेज के दौरान नशे की लत में फंस गईं और बाद में खुद ड्रग्स बेचने लगीं।
वडोदरा में लगातार बढ़ रही जब्तियों की संख्या
वडोदरा सिटी SOG ने 2024 में अब तक 18 मामलों में 38 लोगों को गिरफ्तार किया है और ₹1.04 करोड़ की नशीली सामग्री जब्त की है, जिसमें ₹61.61 लाख की एमडी और ₹22.02 लाख की हाइब्रिड गांजा शामिल है। 2023 में 34 मामलों में 55 लोग पकड़े गए और ₹74.25 लाख की ड्रग्स जब्त हुई थीं। 2022 में 20 मामलों में 39 आरोपी और ₹41.26 लाख की जब्ती दर्ज की गई थी।
अहमदाबाद में भी बढ़ी कार्रवाई
The Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2022 से नवंबर 2024 के बीच अहमदाबाद SOG ने 100 मामलों में 232 लोगों को गिरफ्तार किया और ₹5.43 करोड़ की ड्रग्स जब्त की।
नशे की शुरुआत और फिर पेडलिंग का जाल
वाला बताते हैं, “शुरुआत में किसी को फ्री में 3-4 बार नशा दिया जाता है ताकि लत लग जाए। उसके बाद कीमत वसूली जाती है। फिर उन्हें सुझाव दिया जाता है कि अगर वे 10 लोगों को ड्रग्स बेचें तो अपनी डोज़ मुफ्त में मिल सकती है। इस तरह का नेटवर्क तैयार किया जाता है ताकि मांग बनी रहे।”
बेल के कारण फिर से सक्रिय हो जाते हैं तस्कर
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि एमडी जैसे ड्रग्स की 1 मिलीग्राम से कम की डोज़ की कीमत ₹3,000 से ₹7,000 तक होती है। उन्होंने कहा, “NDPS एक्ट की अधिकतर धाराएं जमानती हैं, जिससे आरोपी बेल पर बाहर आकर फिर से नेटवर्क में सक्रिय हो जाते हैं।”
2021 में नीति लागू होने के बाद जब्त की गई ₹16,155 करोड़ की ड्रग्स
जनवरी 2025 में राज्य सरकार ने बताया कि 2021 में शुरू की गई नारकोटिक्स रिवॉर्ड पॉलिसी के बाद से अब तक ₹16,155 करोड़ की 87,607 किलो ड्रग्स जब्त की गई हैं और 2,500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह नीति ड्रग्स के बारे में जानकारी देने वाले व्यक्तियों और जब्ती करने वाले अधिकारियों को इनाम देने के लिए बनाई गई है।
अब तक 64 लोगों को ₹50,000 से अधिक का इनाम दिया गया है और 700 से अधिक मामलों की समीक्षा की जा रही है।
‘अमीरों का नशा’ बन रहा हाइब्रिड गांजा
वडोदरा SOG के पुलिस इंस्पेक्टर एस.डी. रटाड़ा ने बताया कि हाइब्रिड गांजा (हाइड्रोपोनिक वीड) की मांग अमीर वर्ग में तेजी से बढ़ी है। “इसकी कीमत एमडी ड्रग्स के बराबर होती है—लगभग ₹3,000 प्रति ग्राम। उच्च वर्ग में यह लत डिप्रेशन से निपटने के बहाने ली जाती है। वडोदरा के तीन बड़े मामलों में हमने पाया कि इसकी सप्लाई राजस्थान, मध्य प्रदेश और मुंबई से हो रही थी। हम अब भी सप्लाई चेन की जांच कर रहे हैं।”









