comScore AICC अधिवेशन में कांग्रेस का राजनीतिक प्रस्ताव: INDIA गठबंधन के प्रति प्रतिबद्धता, धर्मनिरपेक्षता और न्यायिक जवाबदेही पर ज़ोर - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

Vibes Of India
Vibes Of India

AICC अधिवेशन में कांग्रेस का राजनीतिक प्रस्ताव: INDIA गठबंधन के प्रति प्रतिबद्धता, धर्मनिरपेक्षता और न्यायिक जवाबदेही पर ज़ोर

| Updated: April 10, 2025 12:12

बुधवार को आयोजित ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी ने एक राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें पार्टी ने INDIA गठबंधन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और इस गठबंधन के निर्माण में अपनी भूमिका को रेखांकित किया।

लोकसभा चुनावों के बाद गठबंधन की निष्क्रियता को देखते हुए, कांग्रेस ने यह संदेश दिया कि पार्टी अभी भी INDIA गठबंधन की विचारधारा और साझा मुद्दों के साथ खड़ी है। प्रस्ताव में कहा गया, “कांग्रेस ने न केवल अपने परंपरागत सहयोगियों के साथ बल्कि जनहित के साझा मुद्दों पर INDIA गठबंधन की रूपरेखा तैयार करने और उसे बनाए रखने के लिए रचनात्मक सहयोग और सामूहिक प्रयासों की भावना से कार्य किया है। हम भविष्य में भी इस प्रयास को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

INDIA गठबंधन को मजबूत करने की अपील

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने समापन भाषण में भी INDIA गठबंधन का उल्लेख करते हुए कहा, “हमें उस INDIA गठबंधन को और मजबूत करना है जिसे हमने मिलकर बनाया है… हमें एकजुट रहकर आगे बढ़ना है।” उन्होंने संसद में वक्फ विधेयक का विरोध करने के दौरान गठबंधन की एकता का उदाहरण भी दिया।

मसौदे में नहीं था INDIA गठबंधन का उल्लेख

ध्यान देने वाली बात यह है कि मंगलवार को कांग्रेस कार्यसमिति के समक्ष प्रस्तुत किए गए प्रारंभिक मसौदे में INDIA गठबंधन का कोई उल्लेख नहीं था। यह हिस्सा अंतिम दस्तावेज़ में जोड़ा गया, जो पार्टी के बदले हुए राजनीतिक रुख को दर्शाता है।

न्यायिक जवाबदेही पर संतुलित रुख

प्रस्ताव में हाल ही में दिल्ली में एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के घर से कथित नकदी मिलने की घटना का हवाला देते हुए न्यायिक जवाबदेही और स्वतंत्रता पर संतुलन की बात कही गई। उन्होंने कहा, “कांग्रेस मानती है कि एक स्वतंत्र न्यायपालिका संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक है, लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि न्यायपालिका को स्वयं के लिए उत्तरदायित्व के मानक और सुरक्षा उपाय तय करने चाहिए। बिना न्यायिक स्वतंत्रता से समझौता किए, न्यायिक जवाबदेही की एक प्रभावी व्यवस्था समय की मांग है।”

राहुल गांधी की विचारधारात्मक लड़ाई की पुनरावृत्ति

अपने संबोधन में राहुल गांधी ने एक बार फिर दोहराया कि कांग्रेस और भाजपा के बीच लड़ाई विचारधारा की है। उन्होंने कहा, “जो पार्टियां विचारधारा और स्पष्टता से रहित हैं, वे भाजपा और आरएसएस का मुकाबला नहीं कर सकतीं। केवल वही पार्टी, जिसकी अपनी विचारधारा हो, भाजपा और आरएसएस को चुनौती दे सकती है और उन्हें हरा सकती है।”

धर्मनिरपेक्षता पर स्पष्ट रुख

प्रारंभिक मसौदे में केवल सरदार वल्लभभाई पटेल के एक उद्धरण के ज़रिए धर्मनिरपेक्षता का जिक्र था, लेकिन अंतिम प्रस्ताव में इसे विस्तार देते हुए कहा गया, “हमारी धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता इसी पुष्टि से उपजी है और भारत की प्राचीन परंपराओं से प्रेरित है।”
इस अनुभाग का शीर्षक था: “राष्ट्रीय सौहार्द – सभी धर्मों के लिए समान सम्मान”।

राष्ट्रवाद और आरक्षण पर कांग्रेस का रुख

प्रस्ताव में कांग्रेस ने अपने राष्ट्रवाद को भाजपा के “छद्म राष्ट्रवाद” से अलग बताते हुए स्पष्ट किया कि पार्टी सच्चे राष्ट्रवाद की पक्षधर है। इसके साथ ही कांग्रेस ने खुद को “आरक्षण लागू करने में अग्रणी” बताया और सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

मोदी सरकार के प्रति विरोध की रणनीति पर मतभेद

प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पार्टी के भीतर दो धाराएं सामने आईं — एक पक्ष सरकार के हर कदम पर आक्रामक आलोचना के पक्ष में था, जबकि अल्पसंख्यक धड़ा रचनात्मक आलोचना के साथ एक सकारात्मक विकल्प प्रस्तुत करने की वकालत कर रहा था।

खड़गे, राहुल गांधी, कन्हैया कुमार और इमरान प्रतापगढ़ी जैसे नेताओं ने भाजपा की “घृणा की राजनीति,”, “संस्थाओं पर कब्ज़ा” और “अल्पसंख्यकों पर हमले” जैसे मुद्दों को उठाया। साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र चुनावों में कथित धांधली और “पूंजीवादी गठजोड़” पर भी सवाल उठाए।

शशि थरूर ने दी संतुलन और सकारात्मकता की सलाह

सांसद शशि थरूर, जिन्हें सचिन पायलट द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए कहा गया था, ने एक अलग दृष्टिकोण रखा। उन्होंने कहा, “हमें न केवल अपने पारंपरिक मतदाता आधार को बनाए रखना है, बल्कि पिछले तीन चुनावों में जो समर्थन हम खो चुके हैं, उसे भी फिर से हासिल करना है। इसके लिए केवल आलोचना नहीं, बल्कि रचनात्मक और सकारात्मक दृष्टिकोण जरूरी है।”

थरूर ने यह भी चेताया कि पार्टी को अपने इतिहास पर अति-निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “आज के युवा मतदाता इतिहास के बजाय भविष्य पर ध्यान देते हैं। कांग्रेस को आशा की पार्टी बनना होगा, न कि आक्रोश की; सकारात्मकता की पार्टी, केवल नकारात्मकता की नहीं; भविष्य की पार्टी, केवल अतीत की नहीं।”

Your email address will not be published. Required fields are marked *