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कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला: गुजरात की दो दवा कंपनियों पर गिरी गाज, प्रोडक्शन तुरंत रोकने का आदेश

| Updated: October 7, 2025 17:19

मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद गुजरात सरकार की बड़ी कार्रवाई, कंपनियों को बाजार से सभी दवाएं वापस लेने का दिया निर्देश।

अहमदाबाद: मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित रूप से दूषित कफ सिरप पीने से बच्चों की दुखद मौतों की खबरों के बीच गुजरात सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को सरकार ने घोषणा की कि जांच के दायरे में आईं दो दवा निर्माता कंपनियों को तत्काल प्रभाव से अपना उत्पादन बंद करने का आदेश दिया गया है।

सरकार के अनुसार, एक “गहन निरीक्षण” के बाद इन कंपनियों में कई खामियां पाई गईं, जिसके चलते यह सख्त कार्रवाई की गई है। जिन कंपनियों पर यह कार्रवाई हुई है, उनमें सुरेंद्रनगर स्थित शेप फार्मा प्राइवेट लिमिटेड और अहमदाबाद की रेडनेक्स फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड शामिल हैं।

क्या है पूरा मामला और विवाद?

यह घटना भारत में कफ सिरप को लेकर चल रहे विवाद की एक और कड़ी है। पिछले कुछ समय से भारत में बनी कफ सिरप की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं। इसकी शुरुआत तब हुई जब गाम्बिया और उज्बेकिस्तान जैसे देशों में भारत में बने कफ सिरप पीने से दर्जनों बच्चों की मौत हो गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) और एथिलीन ग्लाइकॉल (Ethylene Glycol) जैसे जहरीले रसायनों की मिलावट की बात कही थी।

इन अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के बाद, भारत सरकार और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने देश भर में दवा कंपनियों पर अपनी निगरानी बढ़ा दी थी। इसी जांच और सख्ती का परिणाम है कि अब घरेलू स्तर पर भी ऐसी कंपनियों पर कार्रवाई की जा रही है, जिनकी दवाओं की गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतर रही है।

सरकार ने क्या कहा?

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, “निरीक्षण रिपोर्ट में पाई गई कमियों के आधार पर, दोनों कंपनियों को तत्काल दवा निर्माण रोकने का आदेश दिया गया है। उन्हें यह भी सख्त निर्देश दिया गया है कि वे बाजार से अपनी ‘मानक गुणवत्ता रहित’ (NSQ) दवाओं के सभी बैच बिना किसी देरी के वापस मंगाएं।”

रकार द्वारा जारी एक बयान में यह भी कहा गया है कि एहतियात के तौर पर, इन दोनों फर्मों से कफ सिरप के 14 अतिरिक्त नमूने एकत्र किए गए हैं और उन्हें जांच के लिए सरकारी प्रयोगशालाओं में भेजा गया है। स्वास्थ्य मंत्री पटेल ने यह भी स्पष्ट किया कि ये दोनों कंपनियां राज्य द्वारा संचालित दवा खरीद एजेंसी, गुजरात मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (GMSCL) की “खरीदार सूची” में शामिल नहीं थीं। इसका मतलब है कि वे सरकारी अस्पतालों में अपनी दवाओं की आपूर्ति नहीं कर रही थीं।

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