भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने गुजरात में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए अहमदाबाद की निकोल विधानसभा सीट से तीसरी बार के विधायक जगदीश विश्वकर्मा को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है। इस नियुक्ति के साथ ही बीजेपी ने राज्य के जटिल जातीय समीकरणों और पार्टी की आंतरिक क्रियाकलापों में एक नया संतुलन साधने का स्पष्ट संकेत दिया है।
विश्वकर्मा, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल की जगह लेंगे और वह वर्तमान में गुजरात सरकार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), उद्योग, सड़क एवं भवन, वन एवं पर्यावरण, और नमक उद्योग जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों के राज्य मंत्री भी हैं।
बूथ प्रभारी से प्रदेश अध्यक्ष तक का सफर
जगदीश विश्वकर्मा की राजनीतिक यात्रा बेहद जमीनी रही है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1998 में अहमदाबाद के ठक्करबापानगर निर्वाचन क्षेत्र में एक बूथ प्रभारी के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने संगठन में विभिन्न भूमिकाएँ निभाते हुए अपनी जगह बनाई और बीजेपी के उद्योग सेल के संयोजक बने।
प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने से पहले उन्होंने अहमदाबाद शहर अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। अपने चुनावी हलफनामे में उन्होंने 29 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति घोषित की है, जिसमें कपड़ा मशीनरी, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में उनके व्यावसायिक हित शामिल हैं, जो उन्हें इस क्षेत्र के सबसे धनी विधायकों में से एक बनाता है।
जातीय समीकरण साधने की कोशिश
विश्वकर्मा, पांचाल समुदाय से आते हैं, जो पारंपरिक रूप से कारीगरों का समुदाय है और कई राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में वर्गीकृत है। एक गैर-पटेल और गैर-अभिजात्य जाति की पृष्ठभूमि से आने वाले नेता को यह महत्वपूर्ण पद देकर बीजेपी ने अपने सामाजिक गठबंधन को एक मजबूत संदेश दिया है। पार्टी यह दर्शाना चाहती है कि वह अपने पारंपरिक अभिजात्य, वैश्य और पाटीदार (भूमिधर) वोट बैंक से आगे बढ़कर अपने समर्थन आधार को संतुलित करने का प्रयास कर रही है।
विश्वकर्मा के सामने चुनौतियां और भविष्य की राह
नए अध्यक्ष के सामने राह आसान नहीं है, क्योंकि उन्हें सी.आर. पाटिल जैसे सफल अध्यक्ष की विरासत को आगे बढ़ाना है। पाटिल के नेतृत्व में ही पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनावों में 182 में से 156 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी और 2021 के निकाय चुनावों में भी शानदार प्रदर्शन किया था।
जून 2024 से ही पाटिल अपनी केंद्रीय भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे, और गुजरात में हजारों कार्यकर्ता बेसब्री से नए अध्यक्ष की घोषणा का इंतजार कर रहे थे।
विश्वकर्मा का चयन नई उम्मीदें लेकर आया है, लेकिन इसके साथ ही कुछ नई चुनौतियां भी हैं। पार्टी के भीतर, उन्हें प्रभावशाली पाटीदारों, ओबीसी, आदिवासियों और दलितों जैसे प्रतिस्पर्धी जाति समूहों के बीच संतुलन साधना होगा।
साथ ही, उन्हें पार्टी के पारंपरिक उच्च जाति के समर्थकों को भी यह विश्वास दिलाना होगा कि उनके हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी। अध्यक्ष पद की उम्मीद लगाए बैठे कुछ स्थानीय दिग्गजों की नाराजगी का सामना भी उन्हें करना पड़ सकता है। अहमदाबाद शहर इकाई में गुटबाजी और सांसदों-विधायकों की मांगें उनके प्रबंधन कौशल की परीक्षा लेंगी।
आगामी चुनाव और कैबिनेट फेरबदल की संभावना
पार्टी सूत्रों का कहना है कि नए नेतृत्व के साथ, बीजेपी का मुख्य ध्यान 2026 में होने वाले नगरपालिका चुनावों और 2027 के विधानसभा चुनाव पर केंद्रित होगा। पार्टी ने हाल ही में हुए स्थानीय चुनावों में 66 में से 62 नगर पालिकाओं और 78 में से 55 तालुका पंचायतों में जीत हासिल कर शानदार प्रदर्शन किया था।
विश्वकर्मा की नियुक्ति के बाद राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना प्रबल हो गई है। उम्मीद है कि नए अध्यक्ष जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को साधने, वफादारी को पुरस्कृत करने और नए नेतृत्व को अवसर देने के लिए मंत्री पदों के आवंटन पर जोर देंगे।
इसके अलावा, मंत्री पद के वादे के साथ कांग्रेस से आए नेताओं को भी नए मंत्रिमंडल में समायोजित किए जाने की उम्मीद है। स्पष्ट रूप से, जगदीश विश्वकर्मा की नियुक्ति बीजेपी का एक सोचा-समझा और रणनीतिक कदम है।
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