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यात्रा व्लॉग से जासूसी तक: कैसे एक व्लॉगर बन गई पाकिस्तान की डिजिटल प्रॉपेगेंडा मशीन का हिस्सा?

| Updated: May 20, 2025 13:20

नई दिल्ली: एक धार्मिक यात्रा के बहाने शुरू हुई पाकिस्तान यात्रा अब एक बड़े डिजिटल जासूसी और प्रॉपेगेंडा ऑपरेशन की कहानी में बदल गई है। यूट्यूब व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा, जिन्होंने 2023 में 324वें बैसाखी उत्सव के दौरान पाकिस्तान की यात्रा की थी, अब भारतीय खुफिया एजेंसियों की जांच के घेरे में हैं।

बैसाखी यात्रा से शुरू हुई कहानी

खुफिया दस्तावेजों के अनुसार, ज्योति मल्होत्रा की यह धार्मिक यात्रा हरकीरत सिंह नामक व्यक्ति के जरिए संभव हुई थी। हरकीरत सिंह वर्षों से बैसाखी और अन्य धार्मिक अवसरों पर सिख जत्थों को पाकिस्तान ले जाने का काम करते रहे हैं।

जब 2023 में मल्होत्रा को पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं मिली, तो हरकीरत ने उन्हें ‘एहसान उर्फ दानिश’ नाम के एक पाकिस्तानी अधिकारी से मिलवाया।

कौन है एहसान दर?

एहसान दर पाकिस्तान उच्चायोग में सांस्कृतिक और कांसुलर अधिकारी के पद पर नियुक्त था। भारत सरकार ने 13 मई 2025 को उसे “अवांछित व्यक्ति” (Persona Non Grata) घोषित कर देश से निष्कासित कर दिया। आरोप है कि वह ISI के लिए कार्यरत था और भारत में डिजिटल इन्फ्लुएंस ऑपरेशन चला रहा था।

एहसान का तरीका था — भारतीय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, पत्रकारों और यूटूबर्स से संपर्क कर उन्हें ‘सॉफ्ट टारगेट’ के रूप में तैयार करना, और धीरे-धीरे उनके कंटेंट को पाकिस्तान-समर्थक दिशा में मोड़ना।

दूसरी पाकिस्तान यात्रा ने बढ़ाई चिंता

2024 में 325वें बैसाखी उत्सव के दौरान ज्योति मल्होत्रा एक बार फिर पाकिस्तान गईं — इस बार उन्होंने 17 अप्रैल से 25 मई तक तय वीजा अवधि से एक महीने से अधिक समय तक पाकिस्तान में रुककर सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया।

खुफिया एजेंसियों का मानना है कि इस दौरान वह पाकिस्तान के एक बड़े डिजिटल नेटवर्क का हिस्सा बन गईं जो यूट्यूब, इंस्टाग्राम और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर भारत विरोधी नैरेटिव फैलाने का काम कर रहा था।

प्रचार का हथियार बना यूट्यूब चैनल

ज्योति मल्होत्रा ने कोरोना महामारी के दौरान नौकरी छूटने के बाद एक यात्रा-केंद्रित यूट्यूब चैनल शुरू किया था। धीरे-धीरे उनका चैनल लोकप्रिय हुआ। इसी दौरान एहसान ने उन्हें आर्थिक सहयोग, स्क्रिप्ट सुझाव, और कंटेंट गाइडेंस देना शुरू किया।

उनके वीडियो में पाकिस्तान की तारीफ, आतिथ्य, साफ-सफाई और सांस्कृतिक महत्त्व को बार-बार उभारा गया, जबकि भारत के नीति-निर्माण और सुरक्षा एजेंसियों की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले संदेश दिए गए।

पहलगाम वीडियो: डिजिटल वॉर का उदाहरण

खुफिया एजेंसियों के अनुसार, मल्होत्रा का एक वीडियो जो पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपलोड किया गया था, खासतौर पर चिंता का विषय बना हुआ है। इस वीडियो में उन्होंने हमले के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया, जबकि स्पष्ट संकेत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की ओर इशारा करते हैं।

यह वीडियो भारतीय संस्थाओं में अविश्वास पैदा करने और जनता की सोच को प्रभावित करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

विदेश यात्राएं और संदेह का घेरा

भारत सरकार की खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के बाद मल्होत्रा ने चीन, नेपाल, बांग्लादेश, यूएई, थाईलैंड, इंडोनेशिया और भूटान की यात्राएं कीं। इन सभी यात्राओं की अब जांच की जा रही है कि क्या ये भी किसी रणनीतिक उद्देश्य का हिस्सा थीं।

उन्होंने नवंबर 2024 में कश्मीर की यात्रा भी की थी और आखिरी बार मार्च 2025 में पाकिस्तान गई थीं, ठीक दो महीने पहले जब एहसान दर को देश से निकाला गया।

डिवाइस जब्त, एनक्रिप्टेड चैट और डिजिटल सबूत

जांच एजेंसियों ने मल्होत्रा के डिजिटल डिवाइस जब्त किए हैं, जिनमें एन्क्रिप्टेड चैट, कंटेंट प्लानिंग, और पाकिस्तान-समर्थक नैरेटिव से जुड़े सुराग मिले हैं। माना जा रहा है कि यह मामला भारत में डिजिटल इन्फ्लुएंस ऑपरेशन का एक केस स्टडी बन सकता है।

डिजिटल युग में जासूसी के नए रूप

ज्योति मल्होत्रा का मामला दिखाता है कि आज की जासूसी पारंपरिक तरीकों तक सीमित नहीं रह गई है। अब यह यूट्यूब थंबनेल, इंस्टाग्राम रील और ट्रैवल व्लॉग्स के जरिए लड़ी जा रही है।

खुफिया एजेंसियां अब केवल हथियारों या गोपनीय दस्तावेजों पर नहीं, बल्कि डिजिटल कंटेंट पर भी नजर रख रही हैं — क्योंकि युद्ध का मैदान अब ऑनलाइन बन चुका है।

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