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कर्नाटक ‘वोट चोरी’ मामला: 6000+ फर्जी आवेदनों का खुलासा, एक नाम हटाने के लिए 80 रुपये का भुगतान, BJP नेता पर SIT का शिकंजा

| Updated: October 23, 2025 13:46

SIT जांच में बड़ा खुलासा: अलंद सीट पर 6,018 फर्जी आवेदनों के पीछे डेटा सेंटर का हाथ, बीजेपी नेता सुभाष गुट्टेदार के ठिकानों पर छापेमारी।

नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 से पहले अलंद सीट पर वोटर लिस्ट से फर्जी तरीके से नाम हटाने के एक सनसनीखेज मामले का खुलासा हुआ है। कर्नाटक पुलिस की SIT (विशेष जांच दल) की जांच के अनुसार, चुनाव आयोग को भेजे गए हर एक फर्जी आवेदन के लिए एक डेटा सेंटर ऑपरेटर को 80 रुपये का भुगतान किया गया था।

दिसंबर 2022 से फरवरी 2023 के बीच, इस सीट पर ऐसे कुल 6,018 आवेदन किए गए। इस हिसाब से, इस पूरे फर्जीवाड़े के लिए कुल 4.8 लाख रुपये का भुगतान किया गया।

राहुल गांधी ने उठाया था ‘वोट चोरी’ का मुद्दा

यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने “वोट चोरी” के आरोपों में अलंद वोटर लिस्ट की इन्हीं अनियमितताओं का प्रमुखता से जिक्र किया था। इसी जांच के सिलसिले में, SIT ने पिछले हफ्ते भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुभाष गुट्टेदार से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की। आपको बता दें कि सुभाष गुट्टेदार 2023 में अलंद सीट से कांग्रेस के बी आर पाटिल से चुनाव हार गए थे।

जब चुनाव अधिकारियों ने इन 6,018 आवेदनों की जमीनी स्तर पर जांच की, तो सच्चाई सामने आ गई। इनमें से केवल 24 मतदाता ही ऐसे पाए गए जो वास्तव में उस निर्वाचन क्षेत्र में नहीं रहते थे। बाकी सभी आवेदन फर्जी पाए गए।

कैसे काम कर रहा था यह रैकेट?

सूत्रों के मुताबिक, 26 सितंबर को इस मामले की जांच अपने हाथ में लेने वाली SIT ने उस डेटा सेंटर का पता लगा लिया है, जहाँ से ये सारे फर्जी आवेदन जमा किए गए थे। यह डेटा सेंटर कलबुर्गी जिला मुख्यालय में स्थित है।

जांच में पहले एक स्थानीय निवासी मोहम्मद अशफाक की संलिप्तता सामने आई थी। 2023 में पूछताछ के दौरान, अशफाक ने खुद को निर्दोष बताया था और अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सौंपने का वादा करने के बाद उसे छोड़ दिया गया था। इसके तुरंत बाद वह दुबई भाग गया।

अब SIT ने इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (IPDR) और अशफाक से जब्त किए गए उपकरणों की गहराई से जांच की है। जांच में कथित तौर पर पाया गया कि वह दुबई से इंटरनेट कॉल के जरिए अपने सहयोगी मोहम्मद अकरम और तीन अन्य लोगों के संपर्क में था।

डेटा सेंटर ऑपरेटर और एंट्री ऑपरेटर गिरफ्तार

पिछले हफ्ते SIT ने इन चारों के ठिकानों पर तलाशी ली और वोटर लिस्ट में हेरफेर के लिए डेटा सेंटर चलाने के पुख्ता सबूत पाए। जांच में पता चला कि मोहम्मद अकरम और अशफाक इस डेटा सेंटर का संचालन करते थे, जबकि अन्य तीन लोग डेटा एंट्री ऑपरेटर के तौर पर काम कर रहे थे। टीम ने कथित तौर पर वह लैपटॉप भी बरामद कर लिया है जिसका इस्तेमाल ये आवेदन करने के लिए किया गया था।

भाजपा नेता और उनके बेटों पर भी छापे

इन बरामदगियों के बाद, SIT ने 17 अक्टूबर को भाजपा नेता सुभाष गुट्टेदार, उनके बेटों हर्षनंदा और संतोष, और उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट सहयोगी मल्लिकार्जुन महंतगोल के ठिकानों पर भी छापेमारी की। SIT अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने सात से अधिक लैपटॉप और कई मोबाइल फोन जब्त किए हैं। अब इस पूरे रैकेट के लिए दिए गए पैसे के मुख्य स्रोत की जांच की जा रही है।

75 मोबाइल नंबरों का हुआ इस्तेमाल

जांच में यह भी पता चला कि अलंद की वोटर लिस्ट में बदलाव के लिए चुनाव आयोग के पोर्टल पर रजिस्टर करने के लिए 75 अलग-अलग मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया था। ये नंबर पोल्ट्री फार्म वर्कर से लेकर पुलिसकर्मियों के रिश्तेदारों तक, यानी आम लोगों के नाम पर थे, जिन्हें शायद इस फर्जीवाड़े की भनक भी नहीं थी।

SIT अभी भी इस बात की जांच कर रही है कि चुनाव आयोग के पोर्टल तक पहुंचने के लिए इन लोगों को फर्जी क्रिडेंशियल्स (पहचान) का एक्सेस आखिर कैसे मिला। यह भी पाया गया कि न तो उन लोगों को, जिनके क्रिडेंशियल्स का इस्तेमाल हुआ, और न ही उन असली वोटरों को, जिनके नाम पर आवेदन किए गए, इस धोखाधड़ी की कोई जानकारी थी।

आरोपों पर क्या बोले सुभाष गुट्टेदार?

दूसरी ओर, अलंद से चार बार के विधायक रह चुके सुभाष गुट्टेदार ने वोटर लिस्ट से नाम हटाने के प्रयास से किसी भी तरह का संबंध होने से साफ इनकार किया है। उन्होंने उल्टे कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए दावा किया कि 2023 में कांग्रेस के विजेता बी आर पाटिल ने निजी लाभ के लिए ये आरोप लगाए थे। गुट्टेदार के अनुसार, बी आर पाटिल मंत्री बनना चाहते हैं और ये आरोप लगाकर वह राहुल गांधी की नजरों में आना चाहते हैं।

कांग्रेस ने कहा- ’80 रुपये में बिका वोट का अधिकार’

SIT की जांच पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “भाजपा के राज में, वोट देने के पवित्र अधिकार को एक वस्तु (commodity) बना दिया गया है – जिसे प्रति व्यक्ति 80 रुपये जैसी छोटी रकम के लिए निलंबित किया जा रहा है। यह इस सरकार के लिए बेहद शर्म की बात है।”

खेड़ा ने आगे कहा कि इस जांच ने राहुल गांधी के उस आरोप को साबित कर दिया है कि वोटर लिस्ट से नाम हटाना कोई रैंडम घटना नहीं थी।

उन्होंने कहा, “SIT के निष्कर्ष अब पुष्टि करते हैं कि ‘वोट चोरी’ कोई दुर्घटना नहीं है, बल्कि हमारे चुनावों में धांधली करने के लिए बनाया गया एक केंद्रीय रूप से संगठित और अच्छे-खासे फंड वाला रैकेट है। हम जितनी गहराई में जाएंगे, यह धोखाधड़ी उतनी ही उजागर होगी।”

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