बच्चे सुपरहीरो से इतना लगाव क्यों रखते हैं? - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

बच्चे सुपरहीरो से इतना लगाव क्यों रखते हैं?

| Updated: January 14, 2022 21:19

अरुणा रघुराम,अहमदाबाद : यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि स्पाइडर-मैन वाली नई फिल्म, स्पाइडर-मैन: नो वे होम, ने प्रचंड महामारी के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रखी है। सुपरहीरो वाली फिल्में बच्चों और वयस्कों दोनों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।

स्पाइडर-मैन, सुपरमैन, वंडर वुमन, बैटमैन, कैप्टन मार्वल, आयरन मैन, द हल्क और द पावरपफ गर्ल्स जैसे सुपरहीरो/हीरोइनों पर कई बच्चे मोहित रहते हैं। वे ऐसी फिल्में और कार्टून देखना चाहते हैं और अपने पसंदीदा चरित्र की तरह ही बन-ठन कर उनकी नकल रहते हैं।

सवाल है कि आखिर सुपरहीरो में बच्चों की दिलचस्पी के पीछे कौन-सा मनोविज्ञान है? सुपरहीरो फिल्में, टीवी शो, कॉमिक्स और वीडियो गेम मजेदार और मनोरंजक होते हैं। लेकिन और भी कारण हैं, जिनकी वजह से बच्चे उन्हें इतना आकर्षक पाते हैं। नेचर ह्यूमन बिहेवियर जर्नल में 2017 में प्रकाशित क्योटो यूनिवर्सिटी-आधारित एक अध्ययन के अनुसार, बच्चे न्याय की भावना के साथ पैदा होते हैं।

छह महीने से कम उम्र के शिशुओं तक को कमजोरों की रक्षा करने वाले के तौर पर पेश किया जाता है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि सुपरहीरो का खेल बच्चों के लिए इतना आकर्षक होने का कारण यह कल्पना करना है कि वे भी दरअसल सुपरहीरो हैं, जो उन्हें शक्ति, नियंत्रण और बड़े पैमाने पर स्वतंत्रता प्रकट करने की अनुमति देता है, जो शिक्षकों और माता-पिता द्वारा शासित दुनिया में उनके पास नहीं है।

सुपरहीरो बच्चों के लिए अच्छे रोल मॉडल होते हैं। उनसे बच्चों को स्वस्थ खाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। चुनौतियों को दूर करने के लिए साहस और कल्पना विकसित करने के लिए भी प्रेरित किया जा सकता है। सुपरहीरो नैतिकता भी सिखाते हैं, क्योंकि कहानियां अच्छाई और बुराई के बीच निरंतर लड़ाई पर आधारित होती हैं, जहां आमतौर पर अच्छाई की जीत होती है। लेकिन इसके साथ एक सावधानी भी है। सुपरहीरो वाली फिल्मों की कहानी में हिंसा, मृत्यु और विनाश के विषय शामिल होते हैं।

अहमदाबाद स्थित क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट इति शुक्ला का मानना है कि बच्चे अपने पसंदीदा सुपरहीरो को कमजोरों की रक्षा करते हुए देखने से कई सकारात्मक बातें सीख सकते हैं। वह कहती हैं, “हालांकि एक दूसरा पहलू भी है। कई बच्चे आक्रामक विषयों को चुनते हैं, जिनसे उनके शारीरिक और संबंधपरक रूप से आक्रामक होने की अधिक संभावना रहती है। सुपरहीरो फिल्मों और कार्टून में जटिल कहानी होती है, जो हिंसा और सामाज-समर्थक व्यवहार को जोड़ती है। छोटे बच्चों में व्यापक नैतिक संदेश ग्रहण करने की अधिक क्षमता नहीं होती है। इसके अलावा, हिंसक मीडिया के सेवन से जुड़ा कुछ असंवेदनशीलता भी है। यह खेल के मैदान या स्कूल में हिंसा के शिकार लोगों के लिए सहानुभूति की कमी में तब्दील हो सकता है। ”

लेकिन क्या हम शहरी भारतीय बच्चों को सुपरहीरो से दूर रख सकते हैं? अहमदाबाद में ट्रैवल और टूरिज्म बिजनेस से जुड़े तेज मेहता का कहना है कि उनका 10 साल का बेटा माहिर मार्वल मूवीज पसंद करता है। मेहता कहते हैं, “वह नई वाली स्पाइडर-मैन फिल्म पहले दिन के पहले शो में ही देखने के लिए बहुत बेचैन था। चार साल की उम्र में भी उसे स्पाइडर-मैन वाली पोशाक चाहिए थी, लेकिन मुझे अहमदाबाद में उसके साइज का नहीं मिला। मैंने इसे पुणे जाकर खरीदा था। वह पोशाक उतारना ही नहीं चाहता था। वह आज भी कई बार स्पाइडर मैन का मुखौटा पहनता है। माहिर को बॉलीवुड फिल्मों में कोई मिल गया, कृष और सुपरहीरो थीम पर आधारित इसके सीक्वल भी खूब पसंद आईं। ”

माहिर बहुत स्पष्ट है कि उसका पसंदीदा सुपरहीरो कौन है। वह कहता है, “मेरा पसंदीदा आयरन मैन है। मुझे एक्शन की वजह से सुपरहीरो वाली फिल्में पसंद हैं। मैंने बैटमैन कॉमिक्स पढ़ी है। जहां तक कार्टून का सवाल है, तो मैं शिन-चैन और पोकेमोन का आनंद लेता हूं। उनमें सुपरहीरो नहीं हैं।”

इति शुक्ला के अनुसार, इसमें थोड़ा संयम बरतने की सलाह दी जाती है। माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्क्रीन पर देखना या सुपरहीरो के बारे में पढ़ना उनके बच्चों से जुड़ी कई चीजों में से सिर्फ एक है। साथ ही, माता-पिता को अपने छोटे बच्चों से उन सकारात्मक चीजों के बारे में बात करनी चाहिए, जो वे सुपरहीरो से सीख सकते हैं।

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d