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गुजरात के अमरेली में तीन शावकों की मौत, वन विभाग ने एहतियातन 9 शेरों को किया आइसोलेट

| Updated: July 31, 2025 14:08

गुजरात के अमरेली जिले में तीन शावकों की मौत के बाद वन विभाग ने एहतियातन तीन शेरनियों और छह शावकों को आइसोलेट कर ब्लड सैंपल जांच के लिए भेजे।

अमरेली (गुजरात): गुजरात के अमरेली जिले में बीते तीन दिनों में तीन एशियाई शेर शावकों की मौत हो गई है, जिससे वन्यजीव संरक्षण को लेकर चिंता बढ़ गई है। इस पर वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन शेरनियों और छह शावकों को आइसोलेट कर उनका स्वास्थ्य परीक्षण शुरू कर दिया है।

गुजरात के वन मंत्री मुलुभाई बेरा ने बुधवार को जानकारी दी कि दो शावकों की मौत 28 जुलाई को और एक शावक की मौत 30 जुलाई को हुई। उन्होंने बताया कि जैसे ही सूचना मिली, जूनागढ़ से वेटनरी डॉक्टरों की टीम मौके पर भेजी गई। वरिष्ठ वन अधिकारी मौके पर आवश्यक कदम उठा रहे हैं।

गुजरात, वन मंत्री, मुलुभाई बेरा ने कहा, “एहतियात के तौर पर तीन शेरनियों और छह शावकों को अलग किया गया है। इनके ब्लड सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं, जिससे मौत के सही कारणों का पता लगाया जा सके।”

वन विभाग के अनुसार, पिछले सप्ताह जाफराबाद तालुका के कागवडार गांव के पास दो शावकों को उनकी मां ने छोड़ दिया था, जिन्हें वन अधिकारियों ने रेस्क्यू कर इलाज के लिए केंद्र में भर्ती किया था। हालांकि, कमजोरी और निमोनिया के कारण उनकी मौत हो गई।

शेत्रुंजी वन्यजीव डिवीजन के डिप्टी कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट धनंजय साधु ने बताया—

“इन घटनाओं के बाद हमने क्षेत्र में मौजूद अन्य शेरों और शावकों की जांच करने का निर्णय लिया। बुधवार को हमने **तीन शेरनियों और छह शावकों को रेस्क्यू कर ब्लड सैंपल लिए हैं। जांच के बाद उन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा।”

सभी नमूने वन प्रयोगशाला में भेजे जा रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि एहतियातन कदम उठाए जा रहे हैं ताकि किसी प्रकार का संक्रामक रोग फैलने से रोका जा सके।

गौरतलब है कि वर्ष 2018 में गुजरात में एक महीने के भीतर 11 शेरों की मौत हो गई थी। जांच में पाया गया था कि ये मौतें कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (CDV) और प्रोटोजोआल संक्रमण के कारण हुई थीं।

CDV एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है, जो शेरों सहित अन्य जंगली जानवरों की प्रतिरक्षा प्रणाली और अंगों को प्रभावित करता है और अधिकतर मामलों में यह घातक साबित होता है।

वन विभाग ने क्षेत्र में निगरानी तेज कर दी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और गिर अभयारण्य में एशियाई शेरों की आबादी सुरक्षित बनी रहे।

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