जामनगर स्थित पशु पुनर्वास केंद्र वंतारा ने बुधवार को बयान जारी कर 36 वर्षीय हथिनी ‘माधुरी’ को उसके मूल स्थान कोल्हापुर वापस लाने के प्रयासों का पूर्ण समर्थन जताया है। यह बयान महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका दायर करने की घोषणा के बाद आया है, जिसमें कोर्ट से माधुरी को वापस भेजने की अनुमति मांगी जाएगी।
वंतारा ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि वह कोल्हापुर के जैन मठ और स्थानीय जनता के लिए माधुरी के गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को पूरी तरह समझता और उसका सम्मान करता है। “माधुरी दशकों से आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा रही हैं। हम जैन मठ के नेतृत्व, श्रद्धालुओं और कोल्हापुर की जनता की भावनाओं को सम्मानपूर्वक स्वीकार करते हैं,” वंतारा ने कहा।
बयान में स्पष्ट किया गया कि इस पूरे मामले में वंतारा की भूमिका केवल न्यायालय के आदेशों का पालन करने तक सीमित रही है। “माधुरी को स्थानांतरित करने का निर्णय अदालतों द्वारा लिया गया था, और हमारी भूमिका केवल उन्हें पशु चिकित्सा सहायता, देखभाल और आश्रय प्रदान करने की थी। हमने कभी इस स्थानांतरण की सिफारिश नहीं की और ना ही धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई उद्देश्य था।”
गौरतलब है कि माधुरी, जिन्हें ‘महादेवी’ के नाम से भी जाना जाता है, को पिछले महीने बंबई हाईकोर्ट के आदेश पर कोल्हापुर के नंदनी मठ से वंतारा के जामनगर स्थित केंद्र में लाया गया था। यह आदेश PETA (People for the Ethical Treatment of Animals) द्वारा दायर एक याचिका के आधार पर दिया गया था।
वंतारा ने यह भी कहा कि यदि महाराष्ट्र सरकार और जैन मठ सुप्रीम कोर्ट में माधुरी की वापसी की याचिका दायर करते हैं, तो वह उस याचिका का पूरा समर्थन करेगा। “कोर्ट की अनुमति मिलने पर, हम तकनीकी और पशु चिकित्सा सहायता के साथ उनकी सुरक्षित और गरिमामय वापसी सुनिश्चित करेंगे।”
कोल्हापुर में सैटेलाइट पुनर्वास केंद्र का प्रस्ताव
वंतारा ने आगे यह भी प्रस्ताव दिया कि कोल्हापुर के नंदनी क्षेत्र में माधुरी के लिए एक सैटेलाइट पुनर्वास केंद्र स्थापित किया जाए। यह केंद्र जैन मठ, महाराष्ट्र सरकार और पशु कल्याण विशेषज्ञों के सहयोग से विकसित किया जाएगा।
प्रस्तावित केंद्र में ये सुविधाएं होंगी:
- हाइड्रोथैरेपी और तैराकी के लिए विशेष जल कुंड
- लेजर थैरेपी कक्ष और पुनर्वास क्षेत्र
- बिना जंजीर के रात्री आश्रय और खुला क्षेत्र
- रेत का गड्ढा, जो हाथियों के प्राकृतिक व्यवहार को प्रोत्साहित करेगा
- 24×7 पशु चिकित्सा क्लिनिक
- नरम रबर की फर्श और रेत के टीले, जो जोड़ों के दर्द और पैर की सड़न से राहत देंगे
वंतारा ने कहा कि ज़मीन के चयन में जैन मठ के प्रमुख और राज्य सरकार के अधिकारियों की सहमति ली जाएगी और जैसे ही अनुमति मिलती है, काम शुरू कर दिया जाएगा।
‘मिच्छामी दुक्कड़म’: समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचने पर खेद
बयान में यह भी कहा गया कि “यदि कोर्ट के निर्देशों के तहत हमारी भूमिका के बावजूद जैन समुदाय या कोल्हापुर की जनता को कोई दुख पहुंचा है, तो हम दिल से खेद प्रकट करते हैं। मिच्छामी दुक्कड़म—यदि हमने विचार, वचन या कर्म से, जान-बूझकर या अनजाने में कोई ठेस पहुंचाई हो, तो हम क्षमा प्रार्थी हैं।”
जानवरों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता
वंतारा ने कहा कि वह देशभर में समुदायों के साथ सम्मानपूर्वक सहयोग, पारदर्शिता और जानवरों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देता रहेगा। “हम अपने प्रयासों को विरोध में नहीं, बल्कि एकजुटता में आगे बढ़ाना चाहते हैं—माधुरी के लिए प्रेम को केंद्र में रखकर।”
वंतारा का यह रुख इस बात को दर्शाता है कि एक ओर जहां वह कानून और अदालत के आदेशों का पालन कर रहा है, वहीं दूसरी ओर वह समुदाय की भावनाओं और धार्मिक परंपराओं के प्रति भी संवेदनशील है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट क्या निर्णय लेता है, लेकिन फिलहाल वंतारा का यह प्रस्ताव और समर्थन एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
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