मनीषा रोपेटा बनीं पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला डीएसपी - Vibes Of India

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मनीषा रोपेटा बनीं पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला डीएसपी

| Updated: July 29, 2022 17:58

मनीषा रोपेटा का सिर न केवल इसलिए ऊंचा हुआ है कि वह सिंध पुलिस में बड़े पदों पर बैठने वाली चंद महिला अधिकारियों में से हैं, बल्कि इसलिए भी कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की पहली महिला उप अधीक्षक यानी डीएसपी बनी हैं। पाकिस्तान के पुरुष-प्रधान समाज और संस्कृति में पुलिस बल जैसे “मर्दाना” माने जाने वाले पेशे में महिलाओं के लिए शामिल होना मुश्किल है।

सिंध के जैकोबाबाद इलाके की 26 वर्षीया मनीषा कहती हैं, “बचपन से मैंने और मेरी बहनों ने पितृसत्ता की वही पुरानी व्यवस्था देखी है, जहां लड़कियों से कहा जाता है कि अगर वे शिक्षित होना चाहती हैं और काम करना चाहती हैं तो यह केवल शिक्षक या डॉक्टर के रूप में ही संभव है।”

सिंध प्रांत में जैकोबाबाद के एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली मनीषा कहती हैं कि वह इस भावना को खत्म करना चाहती हैं कि अच्छे परिवारों की लड़कियों का पुलिस या जिला अदालतों से कोई लेना-देना नहीं है। वह कहती हैं, “महिलाएं सबसे अधिक उत्पीड़ित हैं। हमारे समाज में कई अपराधों का लक्ष्य वे ही रहती हैं। मैं पुलिस में शामिल हुई, क्योंकि मुझे लगता है कि हमें अपने समाज में ‘रक्षक’ महिलाओं की आवश्यकता है।”

मनीषा इस समय ट्रेनिंग में शामिल हैं। उन्हें ल्यारी के अपराध वाले क्षेत्र में तैनात किया जाएगा। उन्हें लगता है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में काम करना वास्तव में महिलाओं को सशक्त बनाता है और उन्हें अधिकार देता है। वह कहती हैं, “मैं एक नारी सशक्तीकरण अभियान का नेतृत्व करना चाहती हूं। साथ ही पुलिस बल में लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करना चाहती हूं। मैं खुद हमेशा पुलिस के काम से बहुत प्रेरित और आकर्षित रही हूं। ”

उसकी तीन बहनें भी हैं, जो सभी डॉक्टर हैं। उनका सबसे छोटा भाई भी मेडिसिन की पढ़ाई कर रहा है।

यह पूछे जाने पर कि उन्हें एक अलग पेशा चुनने के लिए क्या प्रेरित किया, मनीषा का कहना है कि वह एमबीबीएस प्रवेश परीक्षाओं को पास करने में एक अंक से फेल हो गई थीं। उन्होंने कहा, “तब मैंने अपने परिवार को बताया कि मैं फिजिकल थेरेपी में डिग्री ले रही हूं। साथ ही मैंने सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी की और 468 उम्मीदवारों में से 16वां स्थान हासिल किया।” रोपेटा के पिता जैकोबाबाद में व्यापारी थे। जब वह 13 साल की थीं, तब उनका निधन हो गया। इसके बाद उनकी मां अपने बच्चों को कराची ले आईं और उनका पालन-पोषण किया।

वह स्वीकार करती हैं कि सिंध पुलिस में एक वरिष्ठ पद पर बैठना और ल्यारी जैसी जगह पर फील्ड प्रशिक्षण प्राप्त करना आसान नहीं है। लेकिन सहयोगियों, सीनियर और जूनियरों ने उनके विचारों और कड़ी मेहनत के लिए सम्मान के साथ व्यवहार किया।

मनीषा रोपेटा याद करती हैं कि उनके गृहनगर में लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करना सामान्य बात नहीं थी। यहां तक कि जब उनके रिश्तेदारों को पता चला कि वह पुलिस बल में शामिल हो रही हैं, तो उन्होंने कहा कि वह लंबे समय तक नहीं टिकेंगी, क्योंकि यह एक कठिन नौकरी है। वह कहती हैं, “अब तक तो मैंने उन्हें गलत ही साबित किया है।”

मनीषा पुलिस की एक बेहतर छवि पेश करने में बड़ी भूमिका निभाने के लिए आशान्वित है, जिस पर बहुत से लोग अभी भी भरोसा नहीं करते हैं और इसीलिए अपराधों की रिपोर्ट भी दर्ज नहीं कराते हैं।

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