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निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा रद्द होने का दावा गलत: विदेश मंत्रालय ने दी सफाई

| Updated: July 29, 2025 11:42

विदेश मंत्रालय ने केरल की नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा रद्द होने की खबरों को खारिज किया, कहा– यमन सरकार से आधिकारिक पुष्टि नहीं मिली है।

नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय (MEA) ने मंगलवार को उन दावों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि 2017 के यमन हत्याकांड में दोषी ठहराई गई केरल की नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा को आधिकारिक तौर पर रद्द कर दिया गया है।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, “निमिषा प्रिया के मामले में कुछ व्यक्तियों द्वारा गलत जानकारी फैलाई जा रही है।”

ग्रैंड मुफ्ती के दावे पर उठे सवाल

विदेश मंत्रालय की सफाई ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के उस दावे के बाद आई है, जिसमें कहा गया था कि यमन की राजधानी सना में एक उच्चस्तरीय बैठक में निमिषा की मौत की सज़ा को पूरी तरह से रद्द करने का फैसला लिया गया है।

मुफ्ती के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, “जो मौत की सज़ा पहले निलंबित की गई थी, उसे अब पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है।”

हालांकि, मुफ्ती कार्यालय ने खुद भी स्पष्ट किया है कि यमन सरकार की ओर से उन्हें अब तक कोई लिखित आधिकारिक पुष्टि नहीं मिली है।

धार्मिक अपील के बाद रुकी थी फांसी

निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी, लेकिन ग्रैंड मुफ्ती की सीधी अपील के बाद एक दिन पहले ही सज़ा पर अस्थायी रोक लगा दी गई थी। उन्होंने यमनी अधिकारियों से मानवीय आधार पर दया की गुहार लगाई थी।

कौन हैं निमिषा प्रिया और क्या है पूरा मामला?

केरल के पालक्काड ज़िले की रहने वाली 38 वर्षीय निमिषा प्रिया साल 2008 में नौकरी के बेहतर अवसरों के लिए यमन गई थीं। पेशे से नर्स रही निमिषा ने वहां के यमनी नागरिक तालाल अब्दो महदी के साथ मिलकर सना में एक क्लीनिक शुरू किया।

हालांकि, समय के साथ उनके रिश्ते बिगड़ गए। महदी ने कथित तौर पर उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया, खुद को उनका पति बताने लगा और उनका पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया, जिससे वे भारत नहीं लौट सकीं।

2017 में पासपोर्ट वापस पाने के लिए, प्रिया ने महदी को नींद की दवा देकर बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन इससे उसकी मौत हो गई। महदी की संभावित ड्रग ओवरडोज़ से मौत हो गई, जिसके बाद प्रिया को गिरफ्तार कर हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया गया।

2020 में यमन की एक अदालत ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब यमनी राष्ट्रपति राशद अल-अलीमी और हूती नेता महदी अल-मशात ने 2024 के अंत और 2025 की शुरुआत में सज़ा की मंजूरी दे दी।

हालांकि, भारत सरकार और धार्मिक नेताओं के लगातार कूटनीतिक प्रयासों के बाद इस पर अस्थायी रोक लगाई गई।

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