नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में चीन के तियानजिन शहर में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जा सकते हैं। यह उनकी 2018 के बाद पहली चीन यात्रा होगी। इस बहुपक्षीय सम्मेलन में उनके साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत कई अन्य शीर्ष नेता भी मौजूद रहेंगे। एससीओ शिखर सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित होगा।
सूत्रों के अनुसार, सम्मेलन के इतर द्विपक्षीय बैठकों की भी योजना बन रही है, हालांकि इस बारे में फिलहाल कोई औपचारिक जानकारी साझा नहीं की गई है।
जापान दौरे के बाद चीन रवाना हो सकते हैं मोदी
सूत्रों ने यह भी बताया है कि प्रधानमंत्री मोदी 30 अगस्त को जापान की यात्रा कर सकते हैं, जिसके बाद वे चीन के लिए रवाना होंगे।
शिखर सम्मेलन से पहले राजनयिक गतिविधियां तेज
सम्मेलन से पहले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और विदेश मंत्री वांग यी, 18 अगस्त को भारत आ सकते हैं। वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भारत-चीन सीमा विवाद जैसे अहम मुद्दों पर बातचीत करेंगे।
हालांकि दोनों दौरों की अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन विश्वसनीय सूत्रों ने इनकी पुष्टि की है।
रूस के साथ भी सक्रिय बातचीत
इस बीच, एनएसए अजित डोभाल इन दिनों रूस में हैं, जहां वे अपने समकक्ष सेर्गेई शोइगु से वार्षिक बैठक कर रहे हैं। यह बैठक राष्ट्रपति पुतिन के लंबे समय से लंबित भारत दौरे को लेकर ज़मीन तैयार करने की दिशा में एक प्रयास मानी जा रही है, जो यूक्रेन युद्ध के चलते टलता रहा है।
इससे पहले इस वर्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी एससीओ से जुड़ी बैठकों में हिस्सा ले चुके हैं।
अमेरिका को संदेश?
जब सूत्रों से पूछा गया कि क्या ये सभी बैठकें और यात्राएं अमेरिका को किसी प्रकार का संकेत हैं — खासकर ऐसे समय में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीद को लेकर प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी — तो उन्होंने स्पष्ट किया कि ये सभी यात्राएं पूर्व-निर्धारित कूटनीतिक कार्यक्रमों का हिस्सा हैं।
भारत-चीन संबंधों में धीरे-धीरे आ रही स्थिरता
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच संभावित बैठक इस लिहाज से अहम मानी जा रही है क्योंकि दोनों देशों के बीच संबंध मई 2020 में लद्दाख में चीनी घुसपैठ के बाद से तनावपूर्ण रहे हैं। इस घटना के बाद हुई गलवान घाटी की हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन ने अपने चार सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की थी।
तब से अब तक दोनों देशों के बीच कूटनीतिक, सैन्य और राजनीतिक स्तर पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि, अधिकतर विवादित इलाकों से सेनाएं पीछे हट चुकी हैं, लेकिन अब भी डि-एस्केलेशन (तनाव कम करने) और सामान्य गश्त की बहाली जैसे मुद्दों पर समाधान नहीं हो पाया है।
23 अक्टूबर 2024 को कज़ान में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान मोदी और शी के बीच मुलाकात हुई थी, जिसे रिश्तों में नया मोड़ माना गया। उस बैठक से ठीक पहले दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख के डेपसांग क्षेत्र में गश्त शुरू करने पर सहमति जताई थी।
संबंधों में सामान्य स्थिति की ओर वापसी
हाल के महीनों में भारत-चीन संबंधों में तेजी से सामान्यता लौटती दिख रही है। भारत ने चीनी नागरिकों के लिए वीज़ा जारी करना फिर से शुरू कर दिया है, वहीं चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से खोलने की घोषणा की है।
इसके अलावा, चीन भारत से सीधी उड़ानों को बहाल करने का इच्छुक है, लेकिन भारत सरकार ने अभी तक चीनी या भारतीय एयरलाइनों को इसकी अनुमति नहीं दी है।
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