मध्यप्रदेश के सीधी जिले से बीजेपी सांसद राजेश मिश्रा के एक बयान ने सियासी और सामाजिक हलकों में विवाद खड़ा कर दिया है। मामला सीधी जिले के एक गांव की रहने वाली लीला साहू के वीडियो से शुरू हुआ।
लीला साहू, जो 9वें महीने की गर्भवती हैं, ने 3 जुलाई को सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला जिसमें उन्होंने सांसद से सड़क बनवाने की गुहार लगाई। वीडियो में लीला ने सांसद राजेश मिश्रा पर आरोप लगाया कि उन्होंने एक साल पहले सड़क बनवाने का वादा किया था लेकिन वह आज तक नहीं बनी।
लीला ने वीडियो में कहा–
“ओ सांसद जी, जब आप में हिम्मत नहीं थी इस रोड को बनवाने की तो आपने मुझसे झूठा वादा क्यों किया? अगर पहले ही बोल देते कि आपके बस का नहीं है तो मैं नितिन गडकरी से मिलती, नरेंद्र मोदी से मिलती। अब 9वां महीना चल रहा है। कभी भी हमें जरूरत पड़ सकती है। एंबुलेंस यहां तक नहीं आ पाएगी तो जिम्मेदार आप होंगे।”
वीडियो में लीला के साथ दूसरी महिला भी थीं, जो खुद भी गर्भवती थीं। उन्होंने भी सड़क ना होने से प्रसव के वक्त दिक्कतों की आशंका जताई।
सांसद का बयान: “डेट बता दें, उठवा लेंगे”
जब मीडिया ने इस वायरल वीडियो पर सांसद राजेश मिश्रा से सवाल किया तो उन्होंने लीला को अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी। मगर बयान का एक हिस्सा ऐसा था जिसने विवाद को और भड़का दिया।
राजेश मिश्रा ने कहा–
“हमारे पास एंबुलेंस है, आशा कार्यकर्ता हैं। जरूरत पड़ी तो अस्पताल में भर्ती हो जाएं। डिलिवरी की EDT होती है यानी संभावित तारीख होती है। उसके हम एक हफ्ते पहले उठवा लेंगे। इच्छा है तो यहां आकर भर्ती हो जाएं। सरकार सब सुविधाएं देती है।”
सांसद ने आगे कहा कि सड़क निर्माण उनका व्यक्तिगत काम नहीं है। इसमें इंजीनियरिंग सर्वे, ठेका प्रक्रिया और वर्षों का समय लगता है। उन्होंने लीला के वीडियो को सोशल मीडिया पर “प्रसिद्धि पाने का जरिया” भी बताया।
“अब अगर किसी को सोशल मीडिया में छाना है तो कुछ भी कर सकते हो। फिर तो हर गांव में ऐसा ही होगा।”
साथ ही उन्होंने अपने पूर्ववर्ती नेताओं पर भी निशाना साधा–
“मुझसे पहले कांग्रेस के नेता थे, उन्होंने सड़क के लिए क्या किया?”
हालांकि, यह तर्क उनके ही खिलाफ गया क्योंकि सीधी संसदीय सीट पिछले 27 साल से बीजेपी के ही कब्जे में रही है।
मंत्री का भी बयान: “ऐसे वीडियो डालने से नहीं बनती सड़क”
विवाद बढ़ने पर मध्यप्रदेश के PWD मंत्री राकेश सिंह का भी बयान आया। उन्होंने कहा–
“ऐसे ना जाने कितने लोग हैं जिनकी डिमांड है। क्या आपको लगता है कि PWD के पास इतना पैसा है कि कोई एक पोस्ट डाल दे और हम डंपर लेकर पहुंच जाएं? सीमेंट-कॉन्क्रीट का प्लांट लेकर पहुंच जाएं? ये संभव नहीं है।”
राकेश सिंह ने यह भी कहा कि सड़क निर्माण की एक प्रक्रिया होती है जो संविधान के तहत तय होती है। उन्होंने माना कि लोगों को परेशानी हो सकती है लेकिन विभाग की अपनी सीमाएं भी हैं।
विपक्ष और सोशल मीडिया पर आलोचना
सांसद के “डेट बता दें, उठवा लेंगे” वाले बयान को अमानवीय और असंवेदनशील बताते हुए सोशल मीडिया पर उनकी तीखी आलोचना हो रही है। विपक्षी दलों के नेताओं ने भी इसे “जनप्रतिनिधियों का जनता के प्रति संवेदनहीन रवैया” बताया है।
इस पूरे विवाद ने ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और नेताओं द्वारा किए गए वादों की हकीकत पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।










