नई दिल्ली/मुंबई: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने शनिवार (20 दिसंबर, 2025) को कहा कि रिलायंस अब एक इंडस्ट्रियल कंपनी से आगे बढ़कर एक ‘साइंस और डीप-टेक’ कंपनी बन गई है। वह डॉ. रघुनाथ माशेलकर और सुशील बोर्डे द्वारा लिखित पुस्तक “More from Less for More: Innovation’s Holy Grail” के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर मुकेश अंबानी ने प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. माशेलकर को उनके रिकॉर्ड 54 मानद डॉक्टरेट (Ph.Ds) प्राप्त करने के लिए सम्मानित भी किया।
रिलायंस में 1 लाख से ज्यादा टेक्निकल प्रोफेशनल्स
अपने संबोधन में मुकेश अंबानी ने गर्व के साथ बताया कि आज रिलायंस के 5,50,000 कर्मचारियों में से 1,00,000 से अधिक टेक्निकल प्रोफेशनल्स हैं। उन्होंने कहा, “ये सभी प्रोफेशनल्स अब रिलायंस को एक डीप इनोवेशन और डीप-टेक साइंस आधारित कंपनी बनाने की दहलीज पर हैं।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि डॉ. माशेलकर ने हम सभी को रिलायंस को एक इंडस्ट्रियल कंपनी के बजाय एक साइंस कंपनी के रूप में देखना सिखाया है।
‘गांधीवादी इंजीनियरिंग’ और ‘More from Less for More’
अंबानी ने डॉ. माशेलकर के मंत्र “More from Less for More” (कम संसाधनों में अधिक लोगों के लिए अधिक उत्पादन) का जिक्र करते हुए इसे रिलायंस की सफलता का मूल मंत्र बताया।
उन्होंने कहा, “डॉ. माशेलकर ने मुझे बहुत पहले सलाह दी थी कि रिलायंस को विकसित देशों की कंपनियों से अलग होना चाहिए और उसका फॉर्मूला ‘एक्स्ट्रीम अफोर्डेबिलिटी’ (अत्यधिक किफायती) होना चाहिए। इसे उन्होंने ‘गांधीवादी इंजीनियरिंग’ कहा था।”
अंबानी ने डॉ. माशेलकर के उस उदाहरण को भी याद किया जिसमें उन्होंने कहा था, “भारत ने एक बॉलीवुड फिल्म की लागत से भी कम में मंगल ग्रह पर रॉकेट भेजा है। भारतीय कॉरपोरेट्स को भी आम भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए इसी तरह के प्रयास करने चाहिए।”
जियो और न्यू एनर्जी में दिखा विजन
मुकेश अंबानी ने बताया कि रिलायंस ने जियो (Jio) में इसी सलाह को लागू किया, जिससे डिजिटल इंडिया की नींव पड़ी और डेटा अत्यधिक किफायती हुआ। अब रिलायंस न्यू एनर्जी (New Energy) के क्षेत्र में भी इसी विजन के साथ आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा, “डॉ. माशेलकर के मार्गदर्शन में, रिलायंस न्यू एनर्जी हर भारतीय के लिए ग्रीन और क्लीन एनर्जी को प्रचुर मात्रा में और किफायती बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। ग्रीन हाइड्रोजन से लेकर बायो-एनर्जी तक, हम ‘More from Less for More’ के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं।”
टेक्नोलॉजी के साथ करुणा (Compassion) जरूरी
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के दौर में टेक्नोलॉजी की भूमिका पर बात करते हुए आरआईएल चेयरमैन ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा, “टेक्नोलॉजी अगर करुणा के बिना हो, तो वह सिर्फ मशीनरी है। लेकिन करुणा के साथ टेक्नोलॉजी एक सामाजिक आंदोलन बन जाती है।”
उन्होंने कहा कि हमें AI में वर्ल्ड लीडर बनना है, लेकिन हमें एम्पैथी (संवेदना) और करुणा की और भी ज्यादा जरूरत है।
‘न्यू इंडिया’ में हकीकत बन रहे सपने
देश के युवाओं के बारे में बात करते हुए मुकेश अंबानी ने कहा, “न्यू इंडिया युवा स्वप्नद्रष्टाओं (Young Dreamers) से भरा है। लाखों सपने अब भारत में ही हकीकत बन रहे हैं, न कि विदेशी धरती पर उनका पीछा करके।”
समारोह के अंत में उन्होंने डॉ. माशेलकर को विज्ञान और बिजनेस कम्युनिटी के बीच का सबसे बड़ा ‘ब्रिज’ (सेतु) बताया और कहा कि भारत को डीप-टेक सुपरपावर बनने के लिए भारतीय व्यवसायों और रिसर्च संस्थानों के बीच मजबूत एकीकरण की आवश्यकता है।
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