अहमदाबाद की एक अदालत ने डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया पर बिना जांच-परख के खबर चलाने वालों के खिलाफ एक कड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने राज्यसभा सांसद और रिलायंस इंडस्ट्रीज के कॉरपोरेट अफेयर्स डायरेक्टर, परिमल नथवानी के खिलाफ चलाए जा रहे अपमानजनक कंटेंट को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया है।
यह आदेश अहमदाबाद (ग्रामीण) के तीसरे अतिरिक्त वरिष्ठ दीवानी न्यायाधीश (Third Additional Senior Civil Judge) ने परिमल नथवानी द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे पर सुनवाई करते हुए दिया। अदालत ने इस मामले में ‘एड-अंतरिम एक्स-पार्टी निषेधाज्ञा’ (ad-interim ex-parte injunction) जारी की है, जो ऐसे मामलों में एक असाधारण कदम माना जाता है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, परिमल नथवानी ने सात ऐसे व्यक्तियों और सोशल मीडिया न्यूज़ प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ 100 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया है, जिन्होंने उनके खिलाफ कथित तौर पर झूठे और बेबुनियाद वीडियो, पोस्ट और खबरें प्रसारित की थीं। नथवानी की दलील थी कि ये आरोपी न तो मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं और न ही किसी पंजीकृत मीडिया संस्थान से जुड़े हैं।

अदालत ने रविवार तक सभी विवादित सामग्री को हटाने का निर्देश देते हुए सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने माना कि प्रथम दृष्टया (prima facie) ये आरोप झूठे, दुर्भावनापूर्ण लग रहे हैं और इनसे नथवानी की प्रतिष्ठा को गंभीर और अपूरणीय क्षति पहुँच सकती है।
प्रतिष्ठा एक बार गई, तो वापस नहीं आती: कोर्ट
फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि परिमल नथवानी तीन बार के निर्वाचित सांसद हैं और समाज में उनकी एक गरिमापूर्ण साख है। अदालत ने टिप्पणी की, “ऐसे सम्मानित व्यक्ति के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक सामग्री फैलाने से उनकी साख और सार्वजनिक छवि को गहरा धक्का लग सकता है।”
अदालत ने डिजिटल मीडिया की वायरल प्रकृति पर चिंता जताते हुए कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर नुकसान बहुत तेजी से होता है और अक्सर इसे सुधारा नहीं जा सकता। कोर्ट का कहना था, “प्रतिष्ठा एक बार खो जाने के बाद दोबारा हासिल नहीं की जा सकती।”
इसी आधार पर कोर्ट ने माना कि अगर यह कंटेंट ऑनलाइन मौजूद रहा, तो नथवानी को आरोपियों की तुलना में कहीं ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा।

डिजिटल मीडिया की जवाबदेही पर बड़ा संदेश
यह फैसला गुजरात में एक नजीर (precedent) साबित हो सकता है। अदालत ने साफ किया कि बोलने या छापने की आजादी के साथ जिम्मेदारी भी आती है। चाहे मुख्यधारा का मीडिया हो या सोशल मीडिया, पत्रकारिता हमेशा तथ्यों की जांच (verification), निष्पक्षता और जवाबदेही पर आधारित होनी चाहिए।
महज एक सोशल मीडिया चैनल बना लेने से किसी को यह हक नहीं मिल जाता कि वह बिना सबूत किसी की भी छवि खराब करे। कोर्ट ने नथवानी को यह छूट भी दी है कि वे ‘इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021’ के तहत संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से संपर्क कर कंटेंट हटवा सकते हैं।
परिमल नथवानी ने क्या कहा?
अदालत के आदेश के बाद राज्यसभा सांसद परिमल नथवानी ने ‘मेटा’ (Meta) पर एक पोस्ट साझा कर अपनी बात रखी। उन्होंने लिखा:
“मेरे द्वारा दायर किए गए ₹100-करोड़ के मानहानि मुकदमे में, माननीय न्यायालय ने मेरे खिलाफ सभी अपमानजनक सामग्री को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से 48 घंटे के भीतर हटाने का आदेश दिया है…
मैंने सनातन सत्य समाचार, संजय चेतारिया, द गुजरात रिपोर्ट, मयूर जानी, हिमांशु भयानी, दिलीप पटेल और भाविन @ बन्नी गजेरा के खिलाफ मेरे बारे में झूठी और अपमानजनक सामग्री फैलाने के लिए 100 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
शुक्रवार को माननीय न्यायालय ने सभी शामिल व्यक्तियों और संस्थाओं को नोटिस और समन जारी किया। साथ ही, मेरे खिलाफ किए गए सभी अपमानजनक पोस्ट को तत्काल हटाने का आदेश देकर मुझे अंतरिम सुरक्षा प्रदान की है।
मैं अपनी सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हूं और किसी भी बेबुनियाद आरोप को जनता को गुमराह करने या मेरी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की अनुमति नहीं दूंगा।
सत्य के साथ खड़े रहने के लिए मेरा समर्थन करने वाले सभी लोगों का मैं हृदय से आभारी हूं।
– परिमल नथवानी”
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