भावनगर, गुजरात: एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात के भावनगर में ₹34,200 करोड़ की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, तो दूसरी तरफ भावनगर की जनता आज भी उन वादों के पूरा होने का इंतजार कर रही है जो 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने किए थे। आज जब प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भरता पर जोर दिया, तो लोगों के मन में सवाल था कि क्या इस बार के वादे हकीकत में बदलेंगे?
यह कहानी 2006 से शुरू होती है, जब मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी ने सौराष्ट्र के इस तटीय शहर के लिए विकास की एक लंबी फेहरिस्त पेश की थी। उन्होंने एक 12-लेन सड़क बनाने का वादा किया था, जिसके बारे में कहा गया था कि 2020 तक इस पर रोजाना 75,000 गाड़ियां दौड़ेंगी और भावनगर की सुस्त अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिलेगी। लेकिन आज तक इस प्रोजेक्ट के लिए एक ईंट भी नहीं रखी गई है।
यही नहीं, शहर में एक समुद्री विश्वविद्यालय (Maritime University) का भी प्रस्ताव था। लेकिन आज प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि यह विश्वविद्यालय अब अहमदाबाद जिले के लोथल में बनेगा। एक तरफ जहाँ विश्वविद्यालय दूसरे जिले में चला गया, वहीं कल्पसर परियोजना के किनारे प्रस्तावित 12-लेन सड़क का काम भी शुरू नहीं हो पाया।
मोदी के अधूरे वादों की सूची यहीं खत्म नहीं होती। इसमें भावनगर में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का डायमंड पार्क, GIDC और बंदरगाहों का विकास भी शामिल था।
उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए यह भी वादा किया था कि वे पश्चिमी रेलवे का मुख्यालय भावनगर में स्थानांतरित करेंगे। विडंबना यह है कि पहले भावनगर लोकोमोटिव मरम्मत का एक बड़ा केंद्र हुआ करता था, लेकिन अब उसे भी यहाँ से कहीं और स्थानांतरित कर दिया गया है।
हालांकि, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी जवाहर मैदान से ₹34,200 करोड़ की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी, जहाँ से उन्होंने 2006 और 2012 में बड़े-बड़े वादे किए थे। इन परियोजनाओं में से ₹26,000 करोड़ से अधिक की परियोजनाएं अकेले गुजरात के लिए हैं।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, “आज भारत ‘विश्वबंधु’ की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है। दुनिया में हमारा कोई बड़ा दुश्मन नहीं है। हमारा सबसे बड़ा दुश्मन दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता है। हमें मिलकर भारत के इस दुश्मन को हराना है।”
गुजरात को मिली नई परियोजनाओं में छारा पोर्ट पर HPLNG रीगैसीफिकेशन टर्मिनल, 600 मेगावाट की हरित पहल सहित नई नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं, धोरडो गांव का पूर्ण सौरीकरण, और भावनगर व जामनगर के बड़े अस्पतालों का विस्तार शामिल है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश को आत्मनिर्भर बनना ही होगा… सौ दुखों की एक ही दवा है, और वह है आत्मनिर्भर भारत।”
कांग्रेस ने याद दिलाए पुराने वादे
इस दौरे से एक दिन पहले, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने प्रधानमंत्री को उनके पुराने वादों की याद दिलाई और कहा कि उन्हें भावनगर की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
गोहिल और गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनहर पटेल ने 2006 और 2012 में मुख्यमंत्री मोदी द्वारा भावनगर से किए गए झूठे वादों की एक विस्तृत सूची पेश की। गोहिल ने उन सभाओं के वीडियो भी दिखाए जिनमें ये वादे किए गए थे।
गोहिल ने वाइब्स ऑफ़ इंडिया से बताया कि, “दिया गया एक भी वादा पूरा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री को यह स्वीकार करना चाहिए कि वे वादे पूरे नहीं कर पाए और इसके लिए भावनगर के लोगों से माफी मांगें।”
गोहिल ने मोदी के पुराने बयान को याद करते हुए कहा, “मुख्यमंत्री मोदी ने कहा था कि ‘विकास भावनगर चलकर नहीं आएगा, बल्कि कूदकर और लंबी छलांग लगाकर आएगा’। दुर्भाग्य से, तथाकथित विकास का वादा भावनगर को पूरी तरह से भूल गया।”
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आगामी निकाय चुनावों को देखते हुए प्रधानमंत्री का यह दौरा हो रहा है।
एक और अधूरा वादा: महाराजा कृष्णकुमारसिंह को भारत रत्न
गोहिल ने यह भी याद दिलाया कि मोदी ने भावनगर के महाराजा कृष्णकुमारसिंहजी को भारत रत्न देने की बात भी कही थी। भावनगर भारत का पहला ऐसा रजवाड़ा था जिसने भारत में विलय की पहल की थी, जिसके बाद 564 अन्य रियासतों के लिए रास्ता खुला।
आज भी भावनगर सड़क, हवाई या रेल यातायात के मामले में गुजरात के अन्य प्रमुख शहरों की तरह अच्छी तरह से जुड़ा हुआ नहीं है, जिसके कारण व्यापार और उद्योग इस बंदरगाह शहर से दूरी बना रहे हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि आज की गई घोषणाएं सिर्फ घोषणाएं बनकर रह जाती हैं या वाकई भावनगर के विकास को “लंबी छलांग” लगाने में मदद करती हैं।
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