सूरत/अहमदाबाद: दुनिया भर में हीरे की कटाई और पॉलिशिंग का सबसे बड़ा केंद्र माने जाने वाले सूरत का हीरा उद्योग इन दिनों अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है। अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले हीरों पर 27 अगस्त से 50% का भारी शुल्क लगाने का ऐलान किया है, जिससे उद्योग में अफरा-तफरी मच गई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस घोषणा के बाद सूरत की कई कंपनियों ने क्रिसमस के लिए अमेरिका से मिले ऑर्डर रोक दिए या टाल दिए हैं। क्रिसमस का सीजन सालाना अंतरराष्ट्रीय बिक्री का लगभग आधा हिस्सा होता है।
अमेरिकी बाजार पर सबसे बड़ा असर
जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में अमेरिका के कुल हीरा आयात में भारत की हिस्सेदारी वॉल्यूम में 68% और वैल्यू में 42% (5.79 अरब डॉलर) रही। दूसरी सबसे बड़ी सप्लायर, इज़रायल, पर अमेरिका ने सिर्फ 19% शुल्क लगाया है।
“निर्यात और गिरेंगे”
धर्मानंदन डायमंड्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर हितेश पटेल ने कहा कि अमेरिका को निर्यात पिछले कुछ सालों में पहले ही 25% घट चुके हैं, जबकि फैक्ट्रियों में उत्पादन 30-35% कम हुआ है।
उन्होंने कहा, “नए शुल्क के बाद निर्यात और नीचे जाएंगे। हम खरीदारों से बात कर उनकी ओर से भी कुछ भार उठाने का अनुरोध करेंगे।”
सूरत और मुंबई को सबसे बड़ा झटका
GJEPC के चेयरमैन किरीट भंसाली ने चेतावनी दी कि गुजरात और महाराष्ट्र पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। अमेरिका को कट और पॉलिश्ड डायमंड (CPD) का निर्यात 2021-22 के 9.86 अरब डॉलर से गिरकर 2024-25 में 4.81 अरब डॉलर रह गया है।
सिर्फ जून 2025 में ही CPD निर्यात 23.49% और लैब-ग्रोन डायमंड (LGD) निर्यात 24.95% गिरा है।
काउंसिल का अनुमान है कि 50% शुल्क के चलते अगले 4-5 महीनों में गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में 1.25 लाख लोगों की नौकरियां जा सकती हैं।
अमेरिका का कोई विकल्प नहीं
किरण जेम्स के मालिक वल्लभभाई लखानी ने कहा, “हमारे 70% माल का निर्यात अमेरिका होता था, जो अब घटकर 40% रह गया है। अब 50% शुल्क से चिंता बढ़ गई है।”
धनी ज्वेल्स के विजय मंगूकिया ने कहा, “दुनिया में कोई भी देश अमेरिका के बराबर हीरे की खपत नहीं करता।”
कीमतें गिरीं, रोजगार घटे
धर्मानंदन डायमंड्स के पटेल के अनुसार, रफ डायमंड की कीमत 2022-23 में 1,000 डॉलर प्रति कैरेट से घटकर अब 600 डॉलर हो गई है। दुनिया में बिकने वाले हर 10 पॉलिश्ड डायमंड में से 8 सूरत में तैयार होते हैं, जहां करीब 6 लाख कारीगर काम करते हैं — ज्यादातर सौराष्ट्र से आए प्रवासी।
फैक्ट्री मालिक उत्पादन घटा रहे हैं, LGD की ओर रुख कर रहे हैं और कर्मचारियों की छंटनी कर रहे हैं। कटारगाम के घनश्याम पटेल ने बताया कि उनके यहां कामगारों की संख्या 70 से घटकर 10 रह गई है।
मुकाबले में पिछड़ सकता है भारत
भंसाली ने कहा कि तुर्की, वियतनाम, थाईलैंड और दुबई पर अमेरिका ने सिर्फ 15-20% शुल्क लगाया है, जिससे भारतीय उत्पाद कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे।
नए बाजारों की तलाश
हाल ही में ब्रिटेन ने भारत से आयातित जेम्स और ज्वैलरी पर शुल्क हटा दिया है। 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 9.23 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि ब्रिटेन को सिर्फ 941 मिलियन डॉलर का।
सरकार से राहत की अपील
GJEPC ने वाणिज्य मंत्रालय से 25-50% अतिरिक्त शुल्क की भरपाई के लिए अगस्त से दिसंबर 2025 तक टारगेटेड रिइम्बर्समेंट मैकेनिज़्म लागू करने की मांग की है।
गुजरात का हीरा उद्योग पहले से संकट में
पिछले कुछ वर्षों से गुजरात का हीरा उद्योग कई कारणों से परेशान है:
- कट और पॉलिश्ड डायमंड की मांग और कीमत में गिरावट
- लैब-ग्रोन डायमंड का बढ़ता चलन
- रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे भूराजनीतिक संकट
- चीन जैसे बाजारों में आर्थिक सुस्ती
- रूस से रफ डायमंड आयात पर पाबंदियों के कारण सप्लाई चेन बाधाएं
- बड़ी संख्या में नौकरियों का नुकसान और कारीगरों में आत्महत्या जैसी सामाजिक समस्याएं
फिर भी, वीनस जेम्स के वरिष्ठ निर्यातक सेवंती शाह उम्मीद बनाए हुए हैं। उनका कहना है, “टैरिफ बढ़ने के बावजूद अमेरिका में लोग अपने प्रियजनों के लिए हीरे के गहने जरूर खरीदेंगे — चाहे आकार छोटा ही क्यों न हो।”











