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वंतारा को सुप्रीम कोर्ट से मिली क्लीन चिट, SIT जांच में सभी आरोप खारिज

| Updated: September 15, 2025 21:10

विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों को किया खारिज, वंतारा के पशु कल्याण मिशन को मिली बड़ी राहत।

नई दिल्ली: रिलायंस के जामनगर स्थित विशाल प्राणी बचाव और पुनर्वास केंद्र ‘वंतारा’ के खिलाफ दायर शिकायतों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) को जानवरों के अधिग्रहण में कोई भी कानूनी अनियमितता नहीं मिली है। इस रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी संतुष्टि जताई है, जिससे वंतारा को बड़ी राहत मिली है।

SIT रिपोर्ट में क्या सामने आया?

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, जस्टिस जे. चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली SIT ने अपनी जांच में निष्कर्ष निकाला कि वंतारा में जानवरों का अधिग्रहण पूरी तरह से नियामक कानूनों के अनुसार किया गया था। जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि अधिकारियों ने सभी वैधानिक अनुपालनों पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की है।

जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की बेंच ने शुक्रवार को खुली अदालत में रिपोर्ट के कुछ अंश पढ़े और उसके निष्कर्षों पर संतोष व्यक्त किया। बेंच ने कहा, “हमने रिपोर्ट का सारांश देखा है। इसमें नियामक अनुपालन का विद्वतापूर्ण उल्लेख है। हितधारकों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए और अधिकारियों ने नियामक अनुपालन पर संतोष व्यक्त किया है।” कोर्ट ने कहा कि वह रिपोर्ट को शामिल करते हुए बाद में एक आदेश पारित करेगा।

क्यों गोपनीय रखी जाएगी रिपोर्ट?

अनंत अंबानी के वंतारा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने SIT रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने का आग्रह किया। उन्होंने दलील दी, “इसमें कुछ हद तक व्यावसायिक गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता है। यह सुविधा दुनिया में अपनी तरह की अनूठी है। हम नहीं चाहते कि कल न्यूयॉर्क टाइम्स में इस पर रिपोर्ट छपे। इस मुद्दे को अब पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाना चाहिए।”

उन्होंने रिपोर्ट की एक प्रति भी मांगी ताकि अगर इसमें सुधार के लिए कोई सुझाव हों, तो वंतारा के अधिकारी उन पर काम कर सकें।

गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी हरीश साल्वे की बात का समर्थन करते हुए कहा कि रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन इसे वंतारा के अधिकारियों के साथ साझा किया जा सकता है ताकि वे किसी भी सिफारिश पर कार्रवाई कर सकें।

क्या थे आरोप और कोर्ट का रुख?

यह मामला दो याचिकाओं पर आधारित था, जिन्हें वकील सी.आर. जया सुकिन और देव शर्मा ने दायर किया था। उन्होंने मीडिया रिपोर्टों, सोशल मीडिया पोस्ट और कुछ गैर-सरकारी संगठनों की शिकायतों के आधार पर वंतारा में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। आरोपों में भारत और विदेशों से जानवरों, खासकर हाथियों के अधिग्रहण में कानून के उल्लंघन की बात कही गई थी।

हालांकि अदालत ने पहले कहा था कि ऐसे “निराधार आरोपों” वाली याचिकाएं सुनवाई के योग्य नहीं हैं, फिर भी “न्याय के हित में” एक स्वतंत्र जांच का आदेश देना उचित समझा गया।

सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं ने एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए SIT रिपोर्ट पर जवाब देने की कोशिश की, जिसमें कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर के एक मंदिर में दो दशकों तक अनुष्ठान करने वाले एक हाथी को सरकारी अधिकारी वंतारा ले गए थे। इस पर हरीश साल्वे ने याचिकाकर्ता के अधिकार पर ही सवाल उठा दिया और कहा कि मंदिर के अधिकारियों ने खुद कोई शिकायत नहीं की है।

बेंच ने इस आरोप पर विचार करने से इनकार करते हुए टिप्पणी की, “अगर कोई कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए किसी जानवर का अधिग्रहण करना चाहता है, तो इसमें गलत क्या है? मंदिरों में जुलूस के लिए हाथियों का इस्तेमाल होता है। हम व्यक्तिगत आरोपों में नहीं पड़ेंगे।”

अदालत ने स्पष्ट किया कि वह SIT की “रिपोर्ट के अनुसार ही चलेगी” और अब किसी भी व्यक्तिगत शिकायत पर विचार नहीं किया जाएगा।

जांच दल में शामिल थे ये दिग्गज

इस उच्च-स्तरीय SIT में जस्टिस चेलमेश्वर के अलावा उत्तराखंड और तेलंगाना उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राघवेंद्र चौहान, मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले (IPS), और अतिरिक्त आयुक्त (सीमा शुल्क) अनीश गुप्ता (IRS) शामिल थे।

जांच दल को वंतारा के कामकाज के कई पहलुओं की जांच करने का निर्देश दिया गया था, जिसमें जानवरों का अधिग्रहण, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का अनुपालन और पशु कल्याण के मानक शामिल थे।

वंतारा टीम का बयान

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वंतारा की टीम ने एक बयान जारी किया:

“हम अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ, भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (SIT) के निष्कर्षों का स्वागत करते हैं। SIT की रिपोर्ट और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वंतारा के पशु कल्याण मिशन के खिलाफ उठाए गए संदेह और आरोप निराधार थे। SIT के प्रतिष्ठित सदस्यों द्वारा सच्चाई का सत्यापन न केवल वंतारा में सभी के लिए एक राहत है, बल्कि एक आशीर्वाद भी है, क्योंकि यह हमारे काम को खुद बोलने का मौका देता है।

SIT के निष्कर्ष और शीर्ष अदालत का आदेश हमें उन लोगों की विनम्रता और भक्ति के साथ सेवा जारी रखने के लिए और अधिक शक्ति और प्रोत्साहन देता है जो खुद के लिए बोल नहीं सकते। पूरा वंतारा परिवार इस पुष्टि के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता है और सभी को जानवरों और पक्षियों की करुणा के साथ रक्षा और देखभाल करने की हमारी आजीवन प्रतिबद्धता का आश्वासन देता है।

हम इस अवसर पर भारत सरकार, राज्य सरकारों और पशु देखभाल के विशाल और चुनौतीपूर्ण कार्य में शामिल अन्य सभी हितधारकों के साथ अपनी एकजुटता का संकल्प लेते हैं और पुष्टि करते हैं कि वंतारा उनके साथ मिलकर काम करने के लिए हमेशा तैयार रहेगा।”

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