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मोदी ने क्यों कहा जेल-जेल खेल रही योगी सरकार ?

| Updated: January 2, 2022 5:44 pm

मेरठ में जनसमूह को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की उत्तर प्रदेश में पहले अपराधी और माफिया अपना खेल खेलते थे अब योगी सरकार उनके साथ जेल जेल खेल रही है | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि प्रदेश में 2017 से पहले की सरकारों के कार्यकाल में प्रदेश में अपराधी और माफिया अपना-अपना खेल खेलते थे।

पहले तो यहां अवैध कब्जे के टूर्नामेंट होते थे, बेटियों पर फब्तियां कसने वाले खुलेआम घुमते थे, मेरठ के आसपास के लोग भूल नहीं सकते कि माफिया लोग तो उनके घर जला दिया करते थे। पहले की सरकार अपने खेल में लगी रहती थी। उस खेल का नतीजा था कि लोग पलायन को मजबूर हो गए। अब योगी आदित्यनाथ की सरकार उनके साथ जेल-जेल खेल रही है।


याद दिलाया कैराना का दर्द
पांच साल पहले इसी मेरठ की बेटियां शाम होने के बाद अपने घर से निकलने से डरती थींं, आज मेरठ की बेटियां पूरे देश का नाम रोशन कर रही है। मेरठ के सोतीगंज बाजार में गाडिय़ों के साथ होने वाले खेल का भी एंड हो रहा है। अब यूपी में असली खेल को बढावा मिल रहा है, अब तो यूपी के युवओं को खेल की दुनिया में छा जाने का मौका मिल रहा है।प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरठ की उर्जावान तथा क्रांतिकारी भूमि का लोगों ने दुरुपयोग किया। युवाओं को लक्ष्य से भटकाया। अब ऐसा नहीं हो पा रहा है।

प्रदेश में डबल इंजन की सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पांच साल पहले जो अपराधी यहां अपराध का खेल खेलते थे, आज योगी आदित्यनाथ सरकार उन माफिया के साथ जेल-जेल खेल रही है। पहले तो यहां पर अवैध कब्जे के टूर्नामेंट होते थे, लोग अपना घर छोड़कर पलायन करते थे, अब ऐसा नहीं हो रहा है। लोग घर वापस लौट रहे हैं।


मोदी ने की कसरत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खेल नगरी के सरधना में रविवार को मेजर ध्यान चंद खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया। करीब सात सौ करोड़ की लागत से तैयार होने वाले इस विश्वविद्यालय को योगी आदित्यनाथ सरकार ने करीब ढाई वर्ष में तैयार करने का लक्ष्य रखा है। पीएम मोदी ने इस अवसर पर खेल प्रदर्शनी का अवलोकन करने के साथ कुछ उपकरणों पर अपना हाथ भी आजमाया।


1857 की क्रांति में मेरठ ने नई दिशा दी
पीएम मोदी ने कहा कि 1857 की क्रांति में मेरठ ने नई दिशा दी। आज हम गर्व से आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। राष्ट्र रक्षा के लिए, सीमा पर बलिदान हो या फिर खेल के मैदान में राष्ट्र के लिए सम्मान। इस क्षेत्र ने सदा अपनी लौ को प्रज्ज्वलित रखा है। भारत के इतिहास में मेरठ का स्थान केवल एक शहर का नहीं।

यह हमारी संस्कृति का अहम केंद्र है। नूरपुुर मढिया ने चौधरी चरण सिंह जैसा विजिनरी नेता दिया। देश की शान मेजर ध्यानचंद की कर्मस्थली मेरठ भी रहा है। हमने खेल के सर्वोच्च पुरस्कार का नाम दददा के नाम कर दिया गया। उनके नाम में एक संदेश है, ध्यान। बिना ध्यान केन्द्रित करे किसी को कभी भी सफलता नहीं मिलती है। जिसका नाम मेजर ध्यानचंद से जुड़ा हो वहां के खिलाड़ी अब तो देश का नाम रोशन करेंगे। देश के पहले खेल विवि की बधाई। सात सौ करोड से बनने वाला यह विवि दुनिया का शानदार विवि बनेगा। यहां से हर साल एक हजार से अधिक खिलाड़ी निकलेंगे।

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