गुजरात चुनाव: लालकृष्ण आडवाणी का अहमदाबाद के साथ टूटा तीन दशक पुराना संबंध

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गुजरात चुनाव: लालकृष्ण आडवाणी का अहमदाबाद के साथ टूटा तीन दशक पुराना संबंध

| Updated: November 14, 2022 11:51

अहमदाबाद: पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के मार्गदर्शक (patriarch) लालकृष्ण आडवाणी इस बार गुजरात चुनाव में अहमदाबाद में वोट नहीं डालेंगे। इस तरह जमालपुर-खड़िया निर्वाचन क्षेत्र में एक मतदाता के रूप में उनका तीन दशक पुराना संबंध समाप्त हो गया।

आडवाणी दरअसल पंडित दीनदयाल भवन, जेपी चौक स्थित भाजपा के पुराने ऑफिस से वोटर के रूप में पंजीकृत (registered) थे। वह खानपुर के शाहपुर हिंदी हाई स्कूल में वोट डाला करते थे। आडवाणी ने आखिरी बार मई 2019 में अहमदाबाद में लोकसभा चुनाव में मतदान किया था। 1991 के लोकसभा चुनाव में आडवाणी ने नई दिल्ली और गांधीनगर से चुनाव लड़ा था। उन्होंने गांधीनगर से भारी मतों से जीत हासिल की थी। उन्होंने एक सांसद के रूप में गुजरात का प्रतिनिधित्व करना शुरू किया। मतदाता सूची में आडवाणी का आधिकारिक पता (official address) अब अटल आदर्श स्कूल, नई दिल्ली के रूप में दिखाया गया है।

आडवाणी ने 1991 में पहली बार दो सीटों से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, क्योंकि उन्हें भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जा रहा था। नई दिल्ली में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार और बॉलीवुड सुपरस्टार राजेश खन्ना से कड़ा मुकाबला किया किसी तरह 1,589 वोटों से जीत दर्ज की। हालांकि. गांधीनगर में आडवाणी ने 1.25 लाख वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की।

आडवाणी ने नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से इस्तीफा दे दिया। फिर खन्ना ने उस सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की। सुपरस्टार राजेश खन्ना 1996 में  गांधीनगर लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने आए। यह सोचकर कि भाजपा से प्रधानमंत्री पद के उस समय के दावेदार अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा खाली गई गांधीनगर सीट से आडवाणी ही चुनाव लड़ेंगे। लेकिन जैन हवाला डायरी मामले के मद्देनजर आडवाणी ने चुनाव ही नहीं लड़ा।

हालांकि, 1998 में आडवाणी गांधीनगर से जीते और तब से 2019 तक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 2019 में भाजपा के उस समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को गांधीनगर से मैदान में उतारा गया और वह जीते भी।

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