गुजरात सत्र न्यायालय ने 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट के 78 आरोपियों में से 49 को दोषी ठहराया था। जिनकी सजा पर सुनवाई 11 फरवरी को होगी .अदालत ने मामले में कुल 28 आरोपियों को संदेह के आधार पर बरी कर दिया था , गुरुवार को दोषियों को सजा सुनाई जानी थी , लेकिन आरोपी के वकील ने धारा 354 (3 ) के तहत याचिका दायर कर तीन सप्ताह की मांग की , तीन सप्ताह ज्यादा समय है , की दलील देते हुए मुख्य सरकारी वकील ने विरोध किया ,जिसके बाद अदालत ने 11 फरवरी को अगली सुनवाई तय की है
बचाव पक्ष के वकील सोमनाथ ने अदालत से अपील की है कि आरोपी की शैक्षणिक योग्यता, सामाजिक स्थिति और स्वास्थ्य की स्थिति को बेहतर ढंग से समझने के लिए तीन और सप्ताह का समय दिया जाए। अन्य बचाव पक्ष के वकीलों ने अपील का समर्थन किया। अपील पर विचार करते हुए अदालत ने उन्हें आवश्यक दस्तावेज प्राप्त करने और 11 फरवरी को पेश करने को कहा है।अहमदाबाद में 2008 के सीरियल ब्लास्ट मामले में 14 साल बाद आये फैसले में अदालत ने 78 में से 49 आरोपियों को यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम)) के तहत दोषी पाया। अदालत ने मामले में संदेह के आधार पर कुल 28 आरोपियों को बरी कर दिया।
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धमाकों में 56 लोगों की गयी थी जान ,200 से अधिक हुए थे घायल
26 जुलाई, 2008 को 70 मिनट के भीतर अहमदाबाद शहर में हुए 21 बम विस्फोटों में कम से कम 56 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हो गए थे।अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में पुलिस ने दावा किया था कि आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम), कट्टरपंथियों का एक गुट है। इन धमाकों में प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) शामिल था।
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एक आरोपी बना सरकारी गवाह
उनमें से एक के सरकारी गवाह बनने के बाद आरोपियों की संख्या घटकर 77 हो गई। एक वरिष्ठ सरकारी वकील ने कहा कि बाद में चार और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन उनका मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है। अभियोजन पक्ष द्वारा 1,100 से अधिक गवाहों का परीक्षण किया गया। आरोपियों पर हत्या और आपराधिक साजिश के आरोप हैं, और उन पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
इन धाराओं में हुयी आरोपियों को सजा
49 आरोपियों को आईपीसी की धारा 302, 307, 326, 427, 435, 465, 468, 471, 212, 121 (ए), 124 (ए), 153 ए (1), 201, 120 बी34, 109 के तहत दोषी ठहराया गया था. गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 10, 13, 16 (1) (ए) (बी), 18, 19, 20 23, 38, 39, 40 के तहत दोषी पाया गया है.