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नवाचार की कमी और नागरिक अभिप्राय के कारण पिछड़ गया अहमदाबाद

| Updated: October 9, 2022 7:34 pm

वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 (Annual Sanitation Survey Swachh Survekshan 2022 )के परिणाम अहमदाबाद Ahmedabad समेत गुजरात के लिए आने वाले वक्त में बदलाव का संकेत ले कर आया है। गुजरात से सूरत को इंदौर के बाद भारत के दूसरे सबसे स्वच्छ शहर के रूप में स्थान दिया गया (Surat from Gujarat ranked as second cleanest city in India after Indore )। इंदौर (Indore )ने एक लाख से अधिक आबादी वाले शीर्ष स्वच्छ शहर के रूप में लगातार छठी बार नंबर एक स्थान हासिल किया, जबकि अहमदाबाद (Ahmedabad )का नंबर घटकर 18 वा हो गया है। 2016 से शुरू हुए स्वच्छता सर्वे में यह अहमदाबाद के लिए अभी तक की सबसे कमजोर रैकिंग है. 2019 में अहमदाबाद 6 और 2021 में 10 वे नंबर पर था। जिसका कारण दूसरे शहरों में तेजी से हो रहा सुधार है।

बेहतरी की बात यह है कि अहमदाबाद को सबसे स्वच्छ मेगा सिटी का पुरस्कार मिला। 40 लाख से अधिक की जनसंख्या वाले शहरों में लगातार चौथी बार “क्लीनेस्ट मेगा सिटी ” (Cleanest Mega City )का अवार्ड अहमदाबाद नगर निगम (Ahmedabad Municipal Corporation )के नाम गया , जबकि 10 लाख से अधिक की जनसंख्या वाले शहरों में अहमदाबाद 8वें नंबर पर है। गार्बेज फ्री सिटी (Garbage Free City )के तौर पर इंदौर की रेटिंग जहां 7 स्टार है वही अहमदाबाद थ्री स्टार रेटिंग धारण करता है। जबकि सूरत की 5 स्टार रेटिंग हैं।

अहमदाबाद नगर निगम को 7500 में से 5720 . 87 अंक हांसिल हुए हैं। अहमदाबाद के टॉप टेन में जगह ना बना पाने का बढ़ा कारण सिटीजन वायस में मिले कम अंक हैं , यानि अहमदाबाद की व्यवस्था से अहमदाबाद के लोग ही संतुष्ठ नहीं है। अहमदाबाद को सिटीजन वाइस (citizen vice )के 2250 में 1992 . 49 मार्क मिले जबकि इंदौर को 2195 और सूरत को 2171 अंक मिले सूरत से 180 अंक का अंतर अहमदाबाद को टॉप टेन से बाहर करने के लिए काफी था।

स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की मार्गदर्शिका के मुताबिक प्रेरक दौर ( दिव्य , अनुपम , उज्जवल ,उदित आरोही ) सम्मान अवार्ड कैटेगरी के विभिन्न पैरामीटर में कचरे की प्रोसेसिंग , सूखे कचरे की प्रोसेसिंग, सीएनडी वेस्ट प्रोसेसिंग ,रिसायकलिंग क्षमता समेत पहलुओं में थ्री स्टार रेटिंग के साथ अहमदाबाद पुरुस्कृत हुआ है।

सर्विस लेवल प्रोग्रेस स्कोर में 3000 में से अहमदाबाद को 2528 . 38 अंक हासिल हुए हैं। जबकि सर्टिफिकेट में 2250 में से 1200 अंक हासिल हुए जो थ्री स्टार रैंकिंग का कारण बना। जो यह बताता है कि अहमदाबाद नगर निगम को नवाचार और नए प्रयोग की जरूरत है।

पहली बरसात में ही सड़कों पर भरा पानी एएमसी की स्कोर सीट में भी दिखा आपदा प्रबंधन में एएमसी को 200 में से 150 अंक ही हांसिल हुए हैं , जबकि इनोवेशन में 75 में 21 अंक।

कुमार मनीष Urbanvoices.in के संस्थापक

Urbanvoices.in के संस्थापक कुमार मनीष City planning expert and founder of Urbanvoices.in Kumar Manish का मानना है कि नवाचार नहीं करने के पीछे का मूल कारण बजट की कमी है , पिछले तीन साल का आप बजट देखिये , बजट का एक बड़ा हिस्सा वेतन और प्रशासनिक खर्च पर जा रहा है। प्राथमिक सुविधा की बजाय ओवर ब्रिज एएमसी की प्राथमिकता है ,नागरिक अभिप्राय इसलिए कम है क्योकि नागरिक और नगर पालिका के बीच भरोसे का अभाव है। इंदौर की तरह प्रशासन और नागरिको के बीच सामजस्य नहीं है। एएमसी में लगातार नए क्षेत्र शामिल किये जा रहे है , जिससे भी ओवरआल रैंकिंग प्रभावित हो रही है।

किरीट परमार -महापौर अहमदाबाद नगर निगम

अहमदाबाद के महापौर किरीट परमार (Ahmedabad Mayor Kirit Parmar )ने कहा कि 40 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों में अहमदाबाद नंबर 1 पर है , तीन श्रेणियों में हमें पुरस्कार मिला है , ओवरआल रैंकिंग जरूर 18 वे नंबर पर गयी है , लेकिन इसे हम सुधार लेंगे। जन प्रतिभाव पर परमार ने कहा कि एएमसी समय समय पर जागरूकता अभियान चलाती है ,इस बार इसे और व्यापक बनाएंगे। लेकिन उन्हें भरोसा है कि अगले वर्ष रैंकिंग में सुधार होगा। पिराना वेस्ट साइट पर एएमसी के कार्यवाही को शहरी विकास विभाग ने भी सहारा है।

शहजाद खान पठान -अहमदाबाद नगर निगम के नेता विरोध पक्ष

वही अहमदाबाद नगर निगम के नेता विरोध पक्ष शहजाद खान पठान (Leader of the Ahmedabad Municipal Corporation Opposition Shahzad Khan Pathan )ने वाइब्स आफ इंडिया Vibes of India से कहा कि एएससी की लगातार गिरती रैंकिंग कमजोर प्रशासन का नतीजा है। सफाई के दावे के बीच आपको सोसायटी के बाहर कचरे के ढेर दिख जायेंगे। सड़क की हालत देख रहे हैं। यदि सुविधा प्रजा को नहीं मिलेगी तो प्रजा बेहतर प्रतिभाव कहा से देगी। लगातार तीसरे साल रैंकिंग में पिछड़ना अहमदाबाद के लिए अच्छा नहीं है।

द अहमदाबाद प्रोजेक्ट की संस्थापक रेनू पोखरना

द अहमदाबाद प्रोजेक्ट की संस्थापक रेनू पोखरना( Renu Pokharna, founder of The Ahmedabad Project )का मानना है कि हमारे यहा पब्लिसिटी ज्यादा है , जमीन पर काम कम है। कोरोना काल के बाद प्राथमिकता भी बदल गयी है। अब सफाई और हरियाली जैसे मसलों पर उतना फोकस नहीं है। नागरिकों की आदत में सुधार की बड़ी जरुरत है। यह रैंकिंग में गिरावट एक ” वेकअप काल ” नए सिरे से सोचना पड़ेगा अगर टॉप टेन में रहना है तो। मै अभी इंदौर गयी थी , वहां नागरिकों में सफाई को लेकर गजब की जागरूकता है। हमारे यहां ऐसा नहीं है।

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