अहमदाबाद की सिल्वर ओक यूनिवर्सिटी (एसओयू) को एक पकवाड़े में ही अपना फैसला वापस लेना पड़ा है। छात्रों के विरोध और वाइब्स ऑफ इंडिया (वीओआई) के खुलासे के बाद उसने आईडी कार्ड चार्ज वापस ले लिया है।
2009 में निजी विश्वविद्यालय का दर्जा पाने वाले एसओयू ने पिछले दिनों छात्रों पर 3,000 रुपये के भारी नामांकन शुल्क का बोझ डाल दिया था, जिसमें आश्चर्यजनक रूप से एक साधारण आईडी कार्ड के लिए 1,500 रुपये शामिल थे। इसका जहां छात्रों ने विरोध किया, वहीं वीओआई ने इसका खुलासा करते हुए सबके सामने ला दिया। इससे यूनिवर्सिटी को आईडी कार्ड वाला शुल्क वापस लेना पड़ा है।
हालांकि छात्रों ने दावा किया है कि यह पहली बार नहीं है जब विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने अपने ही छात्रों को धोखा दिया है। मदद मांगने गए छात्रों को पूर्व में भी भगा दिया गया था। उन्हें इसके बारे में मुंह बंद रखने के लिए कहा गया था। बता दें कि इस विश्वविद्यालय की चेयरमैन शीतल अग्रवाल हैं।
इस हालिया मामले में, विश्वविद्यालय ने पहचान पत्र के लिए पैसे देने के लिए सर्कुलर जारी कर 2 करोड़ रुपये से अधिक की लूट की। गैर-तकनीकी कार्यक्रमों के छात्रों के लिए फीस को लेकर 22 दिसंबर को सर्कुलर जारी किया गया था। इसे देख हैरान छात्रों के एक समूह ने न्याय के लिए वाइब्स ऑफ इंडिया से संपर्क किया था। छात्रों में हरेक को 3000 रुपये देने के लिए कहा जा रहा था। इसमें आईडी कार्ड के लिए 1500 रुपये शामिल थे। जब वाइब्स ऑफ इंडिया ने विश्वविद्यालय प्रबंधन से संपर्क किया, तो उसने ऐसा कोई शुल्क मांगने से इनकार किया था।
छात्र भी अंधेरे में थे। बीसीए के एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर हमें बताया, “हमें प्रदान किए गए शुल्क ढांचे में अतिरिक्त शुल्क के बारे में सूचित नहीं किया गया था।”
लगभग 50 छात्रों ने वीओआई से संपर्क किया था। कहा था कि शीतल अग्रवाल प्रबंधित सिल्वर ओक यूनिवर्सिटी ने छात्रों से रुपये मांगे हैं, जिसमें नामांकन शुल्क के रूप में 1500 रुपये और 1500 रुपये ही आईडी कार्ड का शुल्क है। दीपावली के बाद से छात्रों का आसानी से नामांकन हो गया है और पिछले माह से अवैध रूप से नामांकन शुल्क वसूल किया जा रहा था। छात्रों ने तर्क दिया कि आईडी कार्ड के लिए यह शुल्क बहुत अधिक था, क्योंकि एक चौथाई से भी कम राशि में आईडी कार्ड बनाया जा सकता है।
एसओयू के निदेशक और डीन डॉ एम समीर गोपालन ने वीओआई को बताया था कि, “नामांकन शुल्क प्रत्येक विश्वविद्यालय द्वारा सरकार को प्रस्तुत किया जाना है और प्रत्येक विश्वविद्यालय का अपना नामांकन शुल्क है।”
आईडी कार्ड शुल्क के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बस इतना कहा कि उन्हें ब्रेक-अप के बारे में पता नहीं था और “शुल्क और फॉर्म” विभाग से पता चल जाएगा। उस संबंधित विभाग के एक कर्मचारी का कहना था, “आईडी कार्ड के लिए कोई शुल्क नहीं है। नामांकन के लिए ही 3000 रुपये का शुल्क है।”
अंत में, छात्रों के विरोध के आगे झुकते हुए विश्वविद्यालय ने एक सर्कुलर जारी किया कि नामांकन के लिए शुल्क अब घटाकर 1500 रुपये कर दिया गया है।
विश्वविद्यालय ने सूचित किया कि उसने नामांकन शुल्क के बजाय व्यावसायिक नियामक शुल्क के रूप में 1500 रुपये कम कर दिए है। इसने उन छात्रों को भी आश्वासन दिया जिन्होंने नामांकन शुल्क के रूप में पहले ही 3000 रुपये का भुगतान कर दिया था, कि उन्हें अपने दूसरे वर्ष में 1500 रुपये का व्यावसायिक नियामक शुल्क का भुगतान नहीं करना होगा।
विशेषज्ञता और स्ट्रीम के आधार पर पूरे गैर-तकनीकी कार्यक्रम की फीस 35,000 से 70,000 रुपये तक है।