हिंदुओं के लिए ‘मां’ और मुसलमानों के लिए ‘नानी का हज’, पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित हिंगलाज शक्ति पीठ के दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों का कहना है कि यह पीठ अमरनाथ (Amarnath) की तुलना में अधिक कठिन है। यहां हिंदुओं और मुस्लिमों में कोई अंतर नहीं है।
हिंगलाज मंदिर के बारे में
हिंगलाज मंदिर (Hinglaj Temple) 2000 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है। यहां हिंदुओं और मुसलमानों के बीच अंतर कर पाना आसान नहीं है। कभी-कभी मंदिर के पुजारी भी मुस्लिम टोपी पहने नजर आते हैं। हिंदू और मुसलमान मिलकर देवी मां की पूजा करते हैं। इस मंदिर में हिंदू उन्हें मां के रूप में पूजते हैं, जबकि मुसलमान उन्हें ‘नानी का हज’ कहते हैं। अफगानिस्तान, मिस्र और ईरान के अलावा बांग्लादेश, अमेरिका और ब्रिटेन से भी लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं।
हिंगलाज माता मंदिर बलूचिस्तान प्रांत (Balochistan province) के हिंगलाज में हिंगोल नदी (Hingol River) के तट पर स्थित है। इस मंदिर की यात्रा बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। पहले मंदिर तक पहुंचने में 45 दिन लगते थे। अब भी तीर्थयात्रियों को रास्ते में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
हालांकि यहां मां की कोई मूर्ति नहीं है, लेकिन एक छोटी सी प्राकृतिक गुफा में एक चट्टान को हिंगलाज माता के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि मंदिर में आने से पहले भक्तों को दो प्रतिज्ञा लेनी पड़ती हैं। पहला संकल्प है मां के दर्शन कर संन्यास लेना और दूसरा यह है कि अपने जग से सहयात्रियों को पानी न देना। माना जा रहा है कि एक तरह से इन संकल्पों का मकसद भक्तों की परीक्षा लेना है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है।