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अमित शाह बोलेः मुगलों से पहले कुछ शहरों के भारतीय नाम थे

| Updated: February 14, 2023 4:06 pm

मुगलों के इतिहास को मिटाने और उनसे जुड़े शहरों के नाम बदलने के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि भाजपा की राज्य सरकारों ने “सोच-समझ कर फैसले” लिए हैं, जो उनके वैधानिक अधिकारों (statutory rights) के दायरे में हैं।

शाह ने हालांकि कहा कि भाजपा इतिहास में किसी के योगदान को कम नहीं करना चाहती है।

गृह मंत्री की टिप्पणी इन आरोपों के जवाब में आई है कि भाजपा देश के इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास कर रही है, जिसमें भाजपा शासित राज्यों का नाम बदल दिया गया है या मुगल इतिहास से जुड़े शहरों के नामों को बदलने की योजना बना रही है।

कुछ नाम बदलने का कारण पूछने पर उन्होंने कहा, “अगर कोई देश की परंपरा को कायम करना चाहता है तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।” शाह ने कहा, “हमने एक भी ऐसे शहर का नाम नहीं बदला है, जिसका पहले कोई पुराना नाम नहीं था। हमारी सरकारों ने सोच-समझकर फैसले लिए हैं। हर सरकार के अपने वैधानिक अधिकार होते हैं।”

विशेष रूप से, भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता ने हाल ही में अमित शाह से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का नाम बदलकर “लखनपुर या लक्ष्मणपुर” करने का आग्रह किया था। भाजपा सांसद ने दावा किया कि त्रेता युग में इस शहर का नाम पहले लखनपुर और लक्ष्मणपुर था। लखनऊ नाम तो नवाब आसफ-उद-दौला ने रखा था।

शाह से जब जम्मू-कश्मीर का “नया इतिहास” लिखने और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के योगदान को मिटाने के आरोपों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को देश के पहले पीएम की सरकार द्वारा संविधान में शामिल किया गया था। इससे भारत को बहुत नुकसान हुआ था।

उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370 नेहरू जी के कारण लागू हुआ था। 1950 से ही हमारे एजेंडे में था कि इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए था। इससे देश को बहुत नुकसान हुआ। परिवर्तन और विकास कार्य रुके हुए थे, जो इसे समाप्त करने के बाद ही संभव हो सका।” 

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